केंद्र सरकार ने पीएम धन-धान्य कृषि योजना को दी मंजूरी, योजना का उद्देश्य और 100 जिलों के चयन का पैमाना समझिए

मोदी कैबिनेट ने 24000 करोड़ रुपये की लागत वाली पीएम धन-धान्य कृषि योजना को मंजूरी दे दी है। इस योजना में 36 योजनाओं को शामिल किया गया है, जिससे 1.7 करोड़ किसानों को लाभ मिलने की उम्मीद है। सूचना एवं प्रसारण मंत्री अश्विनी वैष्णव ने इसकी जानकारी दी।

आज 16 जुलाई को मोदी कैबिनेट ने 24,000 करोड़ रुपये प्रति वर्ष कि लागत के साथ 36 योजनाओं को मिलाकर पीएम धन-धान्य कृषि योजना को छह साल के लिए मंजूरी दी है। यह योजना 24,000 करोड़ रुपये के वार्षिक लागत के साथ 100 जिलों को कवर करेगी। इसके तहत 100 कृषि जिले विकसित किए जाएंगे। केंद्रीय बजट में घोषित यह कार्यक्रम 36 मौजूदा योजनाओं को एकीकृत करेगा और फसल विविधीकरण और टिकाऊ कृषि पद्धतियों को अपनाने को बढ़ावा देगा।

क्या है पीएम धन धान्य कृषि योजना?
आपको बता दें कि इस योजना की घोषणा वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने बजट 2025 के दौरान की थी। इसका मकसद है खेती में नई तकनीक को बढ़ावा देना, एक जैसी फसलें उगाने की बजाय फसल विविधता लाना, जलवायु के अनुसार खेती को प्रोत्साहित करना और गांव स्तर पर भंडारण, सिंचाई और कर्ज की सुविधा मजबूत करना है। कुल मिलाकर इस कार्यक्रम से 1.7 करोड़ किसानों को मदद मिलने की संभावना है।

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पाँच बड़े उद्देश्य
मंत्री अश्विनी वैष्णव ने बताया कि चयनित जिलों के किसानों को योजना के जरिये जिंदगी में परिवर्तन लाना मकसद है चाहे वो किसान खेती से जुड़ा हो, पशुपालन से हो या किसी और चीज से।
वैष्णव ने इस योजना के पाँच बड़े उद्देश्य गिनाए –
1.कृषि उत्पादकता बढ़ाना पहला उद्देश्य
2.सस्टेनेबल एग्रीकल्चर को बढ़ावा और क्रॉप डाइवर्सिफिकेशन पर विशेष जोर ।
3.क्रेडिट को बड़े संख्या में बढ़ना, जिससे किसान खेती में जरूरत पर इस्तेमाल कर सकें। मतलब किसानों को आसानी से लोन उपलब्ध कराना।
4.सिंचाई सुविधा, ज़्यादा ध्यान कम पानी में ज़्यादा से ज़्यादा सिंचाई करना है।
5.पोस्ट हार्वेस्ट फ़ैसिलिटीज मतलब फसल कि कटायी के बाद रख रखाव पर काम होगा ।

100 जिलों के चयन का पैमाना क्या होगा?
मंत्री अश्विनी वैष्णव ने मीडिया ब्रीफिंग में बताया कि इस योजना के तहत देश के अलग अलग राज्यों से 100 जिलों को चयन करने के कुछ पैमाने होंगे जैसे जिन जिलों में कृषि उत्पादकता कम होगी, जहाँ मॉडरेट क्रॉप डेंसिटी होगी मतलब जहाँ खेती की इंटेंसिटी कम होगी। इसके अलावा चयन में इस बात का विशेष ध्यान दिया जाएगा कि उन जिलों को लिया जाए जहाँ किसानों के बीच क्रेडिट फाइनेंस की पहुँच कम हो।

ये देखें –

Pooja Rai

पूजा राय ने बनारस हिंदू विश्वविद्यालय (BHU) से पढ़ाई की है।
Lallantop में Internship करने के बाद NewsPotli के लिए कृषि और ग्रामीण भारत से जुड़ी खबरें लिखती हैं।

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