किसानों की आत्महत्या के आंकड़े चिंताजनक

कर्ज, मौसम और बाजार की मार से टूट रहे किसान, किसानों की आत्महत्या के आंकड़े चिंताजनक

महाराष्ट्र में किसानों की आत्महत्या के मामले तेजी से बढ़ रहे हैं। जनवरी से सितंबर 2025 के बीच यह संख्या 1,700 से ऊपर पहुंचने का अनुमान है। अकेले मराठवाड़ा में 520 और सिर्फ बीड जिले में 120 से अधिक किसानों ने आत्महत्या की। सरकार के मुताबिक 1,546 किसानों की आत्महत्या के मामलों में 517 परिवारों को मुआवजा मंजूर हुआ है, जबकि कई मामले जांच में हैं।

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महाराष्ट्र में बाढ़ और अतिवृष्टि से तबाही

महाराष्ट्र में बाढ़ और अतिवृष्टि से तबाही, करीब 18 लाख हेक्टेयर फसलें बर्बाद

महाराष्ट्र में अतिवृष्टि और बाढ़ से 30 जिले प्रभावित हुए हैं, जहां करीब 18 लाख हेक्टेयर में सोयाबीन, कपास, मक्का, दलहन और मूंगफली जैसी फसलें बर्बाद हो गईं। सबसे ज्यादा नुकसान जलगांव और मराठवाड़ा में हुआ है। राज्य सरकार ने किसानों को मुआवजा और राहत राशि जल्द देने का आश्वासन दिया है, जबकि IMD ने कई जिलों में ऑरेंज अलर्ट जारी किया है।

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केला खेती

केला खेती में नवाचार के लिए Jain Irrigation को ICAR–NRCB ने दिया बड़ा सम्मान

जैन इरिगेशन सिस्टम्स लिमिटेड (JISL), जो कृषि-तकनीक नवाचारों और टिकाऊ खेती के समाधानों में विश्व स्तर पर अग्रणी है, को आईसीएआर-राष्ट्रीय केला अनुसंधान केंद्र (NCRB) ने अपने 32वें स्थापना दिवस और किसान मेले के अवसर पर प्रतिष्ठित “स्मार्ट केला फार्म-टेक प्रमोशन अवार्ड” से सम्मानित किया।

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ISMA

ISMA ने गन्ना उत्पादकता बढ़ाने के लिए लॉन्च किया AI नेटवर्क

भारतीय चीनी एवं जैव-ऊर्जा निर्माता संघ (ISMA) ने महाराष्ट्र के बारामती स्थित कृषि विकास ट्रस्ट (ADT) के साथ साझेदारी में राष्ट्रीय AI-ML नेटवर्क कार्यक्रम शुरू करने की घोषणा की। ISMA ने कहा कि यह पहल गन्ने की उत्पादकता, गुणवत्ता, स्थिरता और किसानों की आय में उल्लेखनीय वृद्धि के लिए AI की शक्ति का लाभ उठाएगी।

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कृषि मंत्री कोकाटे

महाराष्ट्र में विधान परिषद में मोबाइल गेम खेलने वाले कृषि मंत्री कोकाटे को पद से हटाया गया, अब मिली नई जिम्मेदारी

महाराष्ट्र में राकांपा विधायक माणिकराव कोकाटे को कृषि मंत्री के पद से हटाया गया. मोबाइल पर रमी गेम खेलने के विवाद के बाद उन्हें खेल व अल्पसंख्यक विभाग सौंपा गया है. अब कृषि मंत्रालय की जिम्मेदारी दत्तात्रेय भरणे को दी गई है.

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अरहर

अरहर के रकबे में 8 प्रतिशत की गिरावट, प्रमुख उत्पादक राज्यों में किसानों की रुचि दूसरी फसलों में

इस खरीफ फसल सीजन में अरहर/तुअर का रकबा पिछले साल के स्तर से पीछे है, खासकर कर्नाटक, महाराष्ट्र और गुजरात में रकबे में गिरावट के कारण, क्योंकि किसानों का एक वर्ग मक्का, कपास और तिलहन जैसी अन्य लाभकारी फसलों की ओर रुख कर रहा है। हालांकि, तेलंगाना में इस रुझान के उलट, तुअर के रकबे में बढ़ोतरी देखी गई है।

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बहुउपयोगी मोरिंगा की खेती से करोड़ों की कमाई, जानिए पोषक तत्वों से भरपूर सहजन की खेती कैसे होती है?

मोरिंगा एक बहुउपयोगी पौधा है। इसका फूल, फल और पत्तियों का भोजन के रूप में इस्तेमाल किया जाता है। सहजन का छाल, पत्ती, बीज, गोंद, जड़ आदि से आयुर्वेदिक दवा तैयार किया जाता है, जो लगभग 300 से ज़्यादा बीमारियों के इलाज में काम आता है। सहजन के पौधा से गूदा निकालकर कपड़ा और कागज उद्योग के काम में इस्तेमाल किया जाता है। सहजन बिना किसी विशेष देखभाल और एक तरह से कम से कम लागत पर आमदनी देनी वाली फसल है।

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किसान आत्महत्या

महाराष्ट्र में जनवरी से मार्च 2025 के बीच 700 से ज्यादा किसानों ने की Suicide, मंत्री ने विधानपरिषद में दी जानकारी

Maharashtra में जनवरी से मार्च 2025 के बीच 700 से ज्यादा किसानों ने Suicide की है. इसमें से अधिकतर किसान Vidarbha क्षेत्र के हैं. उपलब्ध आंकड़ों के मुताबिक, साल 2024 में महाराष्ट्र में लगभग 2,635 किसानों ने आत्महत्या की थी, जबकि साल 2023 में लगभग 2,851 किसानों ने आत्महत्या की थी.

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गन्ने की खेती

AI की मदद से 50 फीसदी तक कम पानी में 30 फीसदी तक बढ़ सकता है गन्ना उत्पादन: एक्सपर्ट

कृषि, दुनिया के सबसे पुराने और सबसे महत्वपूर्ण व्यवसायों में से एक है, जिसमें तेजी से तकनीकी परिवर्तन हो रहा है और यह परिवर्तन AI यानी आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस से प्रेरित है।एक एक्सपर्ट के मुताबिक AI के इस्तेमाल से गन्ने की खेती में पानी की जरूरत को 50 फीसदी तक कम कर प्रति एकड़ उत्पादन में करीब 30 फीसदी तक बढ़ोतरी की जा सकती है।

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जलवायु अनुकूल नई किस्में

जलवायु अनुकूल नई किस्में विकसित करने की जरूरत: कृषि मंत्री चौहान

केंद्रीय कृषि एवं किसान कल्याण मंत्री शिवराज सिंह चौहान अभियान के छठे दिन महाराष्ट्र के पुणे स्थित, नारायणगांव, कृषि विज्ञान केंद्र से ‘विकसित कृषि संकल्प अभियान’ को आगे बढ़ाते हुए, किसानों से संवाद किया। किसानों को संबोधित करते हुए उन्होंने कहा कि जब-तक कृषि मंत्री, कृषि विभाग व वैज्ञानिक खेतों तक नहीं पहुंचेंगे, खेती को सही दिशा नहीं मिल सकती। व्यावहारिक समस्याओं को समझे बिना मात्र कागज पर योजनाएं बनाने का कोई अर्थ नहीं है।

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