फरवरी और मार्च की बढ़ती गर्मी के कारण गेहूं के उत्पादन में कमी आने को लेकर किसान चिंतित हैं। इस साल डेढ़ एकड़ में 28 क्विंटल तक उत्पादन होने की उम्मीद थी, लेकिन बढ़ती गर्मी के कारण 15 से 16 क्विंटल ही उत्पादन होगा। बढ़ती गर्मी से गेहूं के उत्पादन में कमी के कारण गेहूं किसान दूसरी फसलों की ओर रुख कर रहे हैं। ये कहना है बाराबंकी जिले के सौरसौंधी के किसान अमित वर्मा का।
बढ़ती गर्मी का गेहूं की फसल पर क्या प्रभाव पड़ सकता है? जानने के लिए पूरी वीडियो देखें
ये भी पढ़ें – भारत में रबी की फसलों की स्थिति क्या है?
मौसम विभाग के मुताबिक फरवरी के दूसरे हफ्ते में उत्तर और उत्तर-पश्चिमी हिस्सों में दिन के तापमान बढ़ सकती है। जलवायु परिवर्तन के कारण लगातार गेहूं के उत्पादन में कमी आ रही है।। पिछले साल 2023 में फरवरी का तापमान सबसे अधिक था। रॉयटर्स की रिपोर्ट के मुताबिक, इस साल सामान्य तापमान से 5 डिग्री तक बढ़ने की संभावना है, जिससे रबी के गेहूं की फसल को काफी नुकसान हो सकता है।
ये भी पढ़ें – अमरूद के पौधों में लगने वाले रोगों से बचाव के लिए ICAR ने दिया सुझाव
भारत गेहूं के उत्पादन में चीन के बाद दूसरे नंबर पर आता है। गेहूं के उत्पादन में कमी से भारत की अर्थव्यवस्था के लिए काफी नुकसानदायक हो सकता है। गेहूं के किसान अमित वर्मा कहते हैं, “हमने मशीन से गेहूं बोई थी और पैदावार अच्छी होने की उम्मीद थी। गर्मी जल्दी आने से पानी की समस्या बढ़ जाती है। डीजल पंप से पानी देने में खर्च बढ़ेगा। वहीं पौधों की कलियों में कमी आएगी। गर्मी के कारण गेहूं समय से पहले तैयार हो जाएगा, जिससे उत्पादन में कमी आएगी।
साल 2021-22, 2022-23 और 2023-24 तीनों सालों में असामान्य तापमान के कारण गेहूं की फसल में काफी गिरावट आई थी। ग्राम सहरिया के अंकित राज, जो पिछले 12 सालों से खेती कर रहे हैं, का कहना है कि रसायन डालने के बावजूद गेहूं के उत्पादन बढ़ोत्तरी नहीं हो रही है। बढ़ती गर्मी के कारण गेहूं के उत्पादन में कमी आ रही है।

मौसम विभाग के अनुसार, फरवरी और मार्च में तापमान सबसे अधिक बढ़ता है। सरकार इस साल बढ़िया गेहूं की फसल के उत्पादन की उम्मीद कर रही थी ताकि पिछले तीन सालों के नुकसान की भरपाई की जा सके। लेकिन यदि तापमान के कारण उत्पादन में कमी आती है, तो गेहूं के मामले में भारत का ग्राफ बिगड़ सकता है।चौधरी चरण सिंह कृषि विश्वविद्यालय के विभाग अध्यक्ष डॉ. मदन खीचर का कहना है कि पिछले 15 दिनों से तापमान में बढ़ोतरी हुई है। रात का तापमान पहले ठीक था, लेकिन अब रात के तापमान में भी बढ़ोतरी हो रही है। जब मौसम बदलते हैं, तो दिन का तापमान कम हो जाता है। अभी के दिन और रात का तापमान फसल के लिए नुकसानदायक नहीं होता। दिन का तापमान बढ़ने से पौधों में प्रकाश संश्लेषण की प्रक्रिया तेज होती है, जिससे पौधे जल्दी बढ़ती है।

रात के तापमान में के एक्सप्रेशन की प्रक्रिया बढ़ती है, जिससे ड्राई मेट्रिक्स कम हो जाता है। रात का तापमान सामान्य रहने की संभावना है। आने वाले दिनों में में हरियाणा में बारिश की संभावना बढ़ रही है। इससे तापमान कम हो सकता है और धुंध भी हो सकती है, जो फसलों के लिए फायदा साबित होगा । फिलहाल फसलों को कोई खतरा नहीं है, लेकिन जब फसल में बालियां आएंगी और ग्रोथ होगी, तो बढ़े हुए तापमान से फसल सिकुड़ सकती है।
भारत से गेहूं के निर्यातक अजय गोयल कहना है कि भारत में गेहूं की बहुत अधिक कमी है, जिसे पूरा नहीं किया जा पा रहा है। इसलिए पिछले दो साल से गेहूं के एक्सपोर्ट पर बैन कर दिया गया है। गर्मी बढ़ने से गेहूं की फसल के उत्पादन में कमी आ सकती है।
गेहूं के विशेषज्ञ डॉक्टर राजबीर यादव का कहना है कि गेहूं को लगभग 10-12 डिग्री तापमान की आवश्यकता होती है। दिन के तापमान के बढ़ने पर भी गेहूं की फसल के लिए रात का तापमान कम होना चाहिए। अभी का तापमान ठीक है, लेकिन अगर तापमान बढ़ता है, तो फसल जल्दी हार्वेस्टिंग के लिए तैयार हो जाएगी।
ये भी पढ़ें – क्या है ‘वाटरशेड यात्रा’? केंद्रीय मंत्री शिवराज सिंह चौहान आज करेंगे इसकी शुरुआत
मौसमी उठापटक से इस साल गेहूं की पैदावार कितनी प्रभावित होगी ये फरवरी से लेकर मार्च की परिस्थितियां तय करेंगी लेकिन आने वाले वर्षों में गेहूं की पैदावार घटना तय है। National Innovations in Climate Resilient Agriculture यानि NICRA का अनुमान है कि जलवायु परिवर्तन की वजह से आने वीले कुछ सालों में गेहूं के उत्पादन में 6-25 फीसदी तक की गिरावट आ सकती है। जबकि 2050 तक धान का उत्पादन 7 फीसदी तक गिरेगा। जिसका सीधा असर हमारी आपकी जिंदगी पर पड़ने वाला है।
भारत के पंजाब, हरियाणा, उत्तर प्रदेश और मध्य प्रदेश राज्य देश के प्रमुख गेहूं उगाने वाले राज्य हैं। भारत, चीन के बाद, दुनिया में गेहूं का दूसरा सबसे बड़ा उत्पादक देश है। सरकार 2024 में महंगाई को कंट्रोल करने के लिए गेहूं के निर्यात पर रोक लगा दी थी। भारत 2025 में गेहूं के बंपर उत्पादन की उम्मीद कर रही थी, जो 2022 से 2024 के बीच हुए नुकसान की भरपाई करेगा, लेकिन बढ़ते तापमान के कारण फसल खराब हो सकती है।