चित्तौड़गढ़ (राजस्थान)। “बहुत सारे किसानों को लगता है खेती में कुछ नहीं हैंस लेकिन खेती में अगर मेहनत की जाए तो क्या कुछ नहीं हो सकता है। शुरु में मुझे 500 रुपए नहीं मिलते थे, आज सिर्फ खेती से 45 लाख का इनकम टैक्स फाइल करता हूं।” गर्व के साथ मेवाड़ के आम किसान नेमीचंद धाकड़ बताते हैं।
तकनीक से तरक्की सीरीज में मिलिए राजस्थान में चित्तौड़गढ़ के किसान नेमीचंद धाकड़ से। निंबाहेड़ा के श्रीपुरा गांव में रहने वाले नेमी चंद धाकड़ आज खुद सफल किसान और किसानों के ट्रेनर हैं। उनकी खेती की शुरुआत की कहानी बहुत रोचक है।
साल 2011 में नेमीचंद ने जब खेती की शुरुआत की उनके पास सिर्फ 8 एकड़ जमीन थी, कम पानी और पथरीली जमीन में पिता और बड़े भाई परंपरागत तरीके से गेहूं, चना, सरसों और सोयाबीन उगाते थे, जिसमें मुश्किल से घर चल पा रहा था। आज उनके पास करीब 20 एकड़ खुद की जमीन है, वो आम, अमरुद, सीताफल, लहसुन-प्याज, हल्दी-मिर्च, अरदक की खेती करते हैं। घर में हर सुविधा और जरूरत का सामान भी है। बच्चे अच्छे स्कूल में पढ़ने भी जाते हैं।
नेमीचंद कहते हैं, “हर किसान खेती से कमाई करना चाहता है। लेकिन ज्यादातर लोग बस मजबूरी में खेती करते नज़र आते हैं। खेती से कमाई करनी है तो कुछ अलग खेती करनी होगी, नई तकनीक अपनानी होगी।” नेमीचंद अब रेज बेड पर खेती करते हैं, सोलर सिस्टम लगाया है। ड्रिप और स्प्रिंकलर से सिंचाई करते हैं।
नेमीचंद कितने कुशल किसान हैं और कैसे नई तकनीक का इस्तेमाल कर वो खेती से कमाई कर रहे हैं, वो उनकी नर्सरी और स्ट्राबेरी की खेती के तरीके से समझा जा सकता है।
नेमीचंद ने तरक्की का रास्ता एक-दो दिन में पूरा नहीं किया, बल्कि इसके लिए बहुत मेहनत की। 4-5 साल तो नेमीचंद को खुद कमाई देने वाली खेती को सीखने-समझने में लग गए। इस बीच कई बार मुश्किल वक्त आया, कई बार नुकसान हुआ तो हताशा ने भी घेरा। लेकिन जब फसलों ने मुनाफा देना शुरु किया तो नेमीचंद की जिंदगी की गाड़ी तेज़ रफ्तार में दौड़ पड़ी। दो बड़े भाइयों और परिवार का साथ मिला तो उन्होंने खेती में फिर पीछे मुड़कर नहीं देखा। दूर-दूर से किसान चलकर उनके पास आने लगे, वो भी नेमीचंद बनना चाहते थे, उन्हें अच्छी किस्म के पौधे चाहिए तो नेमीचंद ने ग्राफ्टिंग सीखकर, आम, अमरुद, चीकू, सीताफल के पौधे बेचने लगे।
नेमीचंद अपनी तरक्की का श्रेय खुद की मेहनत के साथ-साथ कृषि वैज्ञानिकों से मिली जानकारी और तकनीक खेती को देते हैं। वो कहते हैं, वैज्ञानिक द्ष्टिकोण से ही मुनाफे देने वाली खेती संभव है। तकनीक से तरक़्क़ी के अगले भाग में आप को मिलवायेंगे एक और ख़ास किसान से। देखते और पढ़ते रहिए न्यूज़ पोटली, अपनाते रहिए खेती में तकनीक।
तकनीक से तरक्की सीरीज – न्यूज पोटली और जैन इरिगेशन की जागरुकता मुहिम है, सीरीज में उन किसानों की कहानियों को शामिल किया जा रहा है, जो खेती में नए प्रयोग कर, नई तकनीक का इस्तेमाल कर मुनाफा कमा रहे हैं। ड्रिप इरिगेशन, आटोमेशन, फर्टिगेशन सिस्टम आदि की विस्तृत जानकारी के लिए संपर्क करें-
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