गेहूं की किस्म करण शिवानी DBW 327 दे सकती है 80 कुटंल प्रति हेक्टेयर तक की उपज

80 कुंटल प्रति हेक्टेयर उपज देने वाली गेहूं की किस्म DBW 327 पश्चिमी यूपी, हरियाणा, पंजाब, राजस्थान और दिल्ली के लिए उपयोगी किस्म।

करनाल, हरियाणाः भारतीय गेहूं एवं जौं अनुसंधान संस्थान, करनाल (IIWBR) के वैज्ञानिकों ने गेहूं की एक ऐसी किस्म विकसित की है, जो 80 कुंटल प्रति हेक्टेयर तक का उत्पादन दे सकती है। इस किस्म का नाम है DWB 327 जिसे करण शिवानी के नाम से भी जाना है। गेहूं किसानो को ये तोहफा करनाल में स्थित भारतीय गेहूं एवं जौ अनुसंधान संस्थान ने दिया है। IIWBR भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद यानि ICAR का प्रमुख संस्थान है। करण शिवानी गेहूं की किस्म को ICAR ने पुरस्कृत भी किया है। इस किस्म की सबसे बड़ी खूबी ये है कि ये बदले मौसम में भी अच्छा उत्पादन देती है। यानि ये किस्म क्लाइमेंट रिजिलिएंट है, जिसे फसल पकने के दौरान हीटवेब से होने वाले नुकसान को ध्यान में रखकर विकसित किया गया है। ये किस्म गेहूं की अगैती बुआई की फसल के लिए उपयोगी है। साल 2022 में इस किस्म के बीच चुनिंदा किसानों को दिए गए थे लेकिन इस बार आवेदन करने वाले  किसानों को भी दिये जाएंगे।

IIWBR के निदेशक डॉ. ज्ञानेन्द्र सिंह न्यूज पोटली को बताते हैं “ ये किस्म DBW 327 उत्तरी पश्चिमी मैदानी क्षेत्र के लिए हैं, जिसमें पंजाब, हरियाणा, दिल्ली, पश्चिमी यूपी और राजस्थान के क्षेत्र आते हैं। ये विशेषककर अगेती बुआई के लिए उपयोगी किस्म है जिसे 20 अक्टूबर के आस-पास बोना चाहिए। इसकी  उपज 80 कुंटल प्रति हेक्टेयर से ज्यादा है। अगर खाद का प्रबंधन सही तरीके से किया जाए तो उपज में बढ़ोत्तरी 87 कुंटल प्रति हेक्टेयर तक देखने को मिल सकती है।” डॉ. ज्ञानेन्द्र सिंह आगे बातते हैं कि मध्य भारत में संस्थान ने परिक्षण किये हैं और वहां के परिणाम अच्छे आए हैं लेकिन अभी संस्तुति नहीं है जल्द ही परिषद की तरफ से मध्य भारत के लिए भी संस्तुति मिल जाएगी और हम इसे वहां के किसानों तक भी पहुंचाएगे।

वीडियो यहां देखिए

करण शिवानी DBW 327 गेहूं की किस्म के प्रमुख गुण

यह किस्म अगेती बुआई के लिए उपयोगी मानी जाती है।

पीला और भूरा रतुआ रोग की सभी प्रमुख रोगप्रकारों के लिए प्रतिरोधक है

औसत उपज 80 कुंतल प्रति हेक्टेयर यानि 32 कुंटल प्रति एकड़ तक है

उचित खाद प्रबंधन, अनुकूल मौसम में उपज में बढ़ोतरी संभावित है

दिल्ली, हरियाणा, पंजाब, पश्चिमी उत्तर प्रदेश और राजस्थान के लिए रिकमंडेड

यह किस्म उच्च तापमान और सूखे के प्रति अवरोधी पाई गई है

20 अक्टूबर से 5 नवंबर तक इसकी बुआई की जानी चाहिए

एक हेक्टेयर खेत के लिए 100 किलो बीज पर्याप्त है

इस खास किस्म में बुवाई के 98 दिनों में बालियां निकल आती हैं

DBW 327 बुवाई के 155 दिनों बाद पककर तैयार हो जाती है

चपाती/रोटी के लिए गेहूं की यह किस्म अच्छी है

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *