लखनऊ (यूपी)। किसानों की सहकारी संस्था इफको और आकाशवाणी लखनऊ की तरफ से आयोजित नवाचारी कृषकों के परिचर्चा कार्यक्रम में कई जिलों के आए जागरुक किसानों ने अपने अनुभव बाटें।
लखीमपुर जिले के प्रगतिशील गन्ना किसान दिलजिंदर सिंह ने कहा,
“मैं पिछले 8-9 वर्षों से गन्ने की पारंपरिक खेती छोड़कर वर्टिकल सिंगल बड विधि से खेती करता हूं। इस विधि में बीज कम लगता है। गन्ने की बुवाई करने से पहले बीज का नैनो डीएपी से ट्रीटमेंट करता हूं, ऐसा करने से जमाव जल्द होता है। बीज को अच्छा पोषण मिलने से फसल की शुरुआत अच्छी होती है।”

वहीं बाराबंकी में दौलतपुर के किसान अमरेंद्र सिंह ने बताया कि,
वो एक दर्जन से ज्यादा फसलों की खेती करते हैं, जिनमें केला, गन्ना, स्ट्रॉबेरी, खरबूजा-तरबूज, शिमला मिर्च, जिमिकंद आदि शामिल हैं। उन्होंने कहा, “ज्यादातर मैं ड्रिप के जरिए जल विलेयक उर्वरक का इस्तेमाल करता हूं, कुछ फसलों में नैनो फर्टिलाइजर का जरुरत के अनुसार इस्तेमाल करता हूं।”

28 जून को लखनऊ के इफको भवन में आयोजित इस परिचर्चा में गोसाईगंज ब्लॉक में कासिमपुर गांव के एग्जॉटिक (विदेशी) सब्जी उगाने वाले किसान रमेश वर्मा ने कहा कि,
उनकी ज्यादातर फसलें पत्तेदार (सलादवाली) होती हैं, दानेदार उर्वरकों के इस्तेमाल से वो झुलस जाती थीं या उनमें दाग पड़ जाते थे, जबकि इफको नैनो फर्टिलाइजर से पत्तियां हरी-भरी रहती हैं और चमक बढ़िया रहती हैं। वो पिछले ढाई-तीन वर्षों से नैनो फर्टिइलाजर का इस्तेमाल कर रहे हैं।” विदेशी सब्जियों को मॉल में सप्लाई करके रमेश वर्मा 2.5 एकड़ से करीब 20 लाख रुपए कमाते हैं।

इस दौरान लखनऊ में ही पॉलीहाउस में रंगीन शिमला मिर्च और खीरे की खेती करने वाले शुभम द्वेदी ने सागरिया के फायदे गिनाएं। शुभम ने कहा कि, “अगर बेसल डोल में दानेदार उर्वरक की मात्रा कम करके फसल में स्टेज के मुताबिक अलग-अलग उर्वरक डालने से अच्छा फायदा मिलता है।”
इस एक दिवसीय कार्यक्रम को संबोधित करते हुए मुख्य अतिथि और आकाशवाणी केंद्र लखनऊ के निदेशक डॉ अजीत चतुर्वेदी ने कहा कि,
“भारत की 140 करोड़ की आबादी के पालन पोषण का जिम्मा किसानों पर है। रेडियो हमेशा से किसानों की जागरुकता का माध्यम रहा है।”
डॉ चतुर्वेदी ने किसानों से कहा,
“किसानों को नवाचार अपनाना चाहिए। अपने द्वारा किये गए नवाचारों को दूसरे किसानों को भी बताएं। जमीन को बचाने के लिये उर्वरकों का सन्तुलित प्रयोग करें।”

प्रसिद्ध मृदा वैज्ञानिक और पौध पोषण विशेषज्ञ डॉ. के. एन तिवारी ने इस दौरान किसानों मिट्टी की बिगड़ती सेहत और फसलों में हो रही पोषक तत्वों की कमी के बारे में विस्तार से बताया। उन्होंने कहा,
“फसल के पूर्ण पोषण के लिए 17 पोषक तत्वों की जरुरत होती है लेकिन ज्यादातर किसान एनपीके यानि नाइट्रोजन, फास्फोरस, और पोटेशियम की जरुरत है यूरिया, डीएपी के माध्यम से पूरी कर रहे हैं, इसीलिए लगातार उर्वरा शक्ति घट रही है।”
उन्होंने प्रोजेक्टर के माध्यम से जिंक से लेकर बोरान तक की कमी के लक्षण किसानों के समझाए.. इस दौरान उन्होंने नैनो फर्टिलाइजर की उपयोग विधि पर विस्तार से चर्चा। नैनो डीएपी के किसी भी तरह के बीज, कंद और जड़ का शोधन के बाद ही बोना चाहिए। इसके लिए प्रति लीटर पानी में 5 मिलीलीटर नैनो डीएपी पानी में मिलाकर बीज को शोधित करना चाहिए और 30 मिनट तक छांव में सुखाने के बाद बुवाई करें।”
उन्होंने आगे कहा,
“आजकल धान की रोपाई चल रही है तो किसान साथियों को चाहिए अपने खेत में 4 इंच गहरा एक गड्डा खोदे उसमें उसमें पानी भरे और 5 मिलीलीटर प्रति लीटर पानी की दर से नैनो डीएपी मिलाएं। धान की पौध को 30 मिनट तक उसमें रखे और फिर रोपाई करें.ऐसा करने से फसल की बढ़वार तेजी से होगी और ज्यादा कल्ले निकलेंगे।”

किसानों को संबोधित करते हुए इफको के राज्य विपणन प्रबंधक यतेंद्र तेवतिया ने कहा,
“खेती का पैटर्न तेजी से बदल रहा है। आपने देखा होगा कि मक्के की खेती इन दिनों तेजी से बढ़ी है, उसी तरह उर्वरकों की मांग बढ़ी हैं लेकिन ये सब संसाधन सीमित हैं तो हमें फसल और खाद्य की जरुरत भी पूरी करनी और संसाधनों का भी ख्याल रखना है। इफको के स्मार्ट उर्वरक बेहत उच्च तकनीक से तैयार किए गए हैं और बहुउपयोगी हैं।”
किसानों के बीच अपनी राय रखते हुए मंचासीन लखीमपुर खीरी जिले में औरंगाबाद कस्बे के प्रगतिशील किसान सैयद कलबे हसन ने कहा
जिस गन्ने में उन्होंने नैनो यूरिया और नैनो डीएपी के प्रयोग किया था वो फसल दूसरों से अलग नजर आती है।”

कई किसानों ने अपने अनुभव साझा किए
कार्यक्रम में कई किसानों, बागवानों ने गेहूं, धान, मक्का, केला से लेकर सब्जियों तक स्मार्ट फर्टिलाइजर के अपने अनुभव बांटे। इसके साथ ही कृषि में उद्मिता लाने पर भी चर्चा हुई। कई किसानों ने अनुभव से बताया कि कैसे वो गांव में रहकर अपनी उपज को सीधे या प्रोडक्ट के रुप में उपभोक्ताओं को बेच रहे हैं।
कार्यक्रम में सूत्रधार की भूमिका आकाशवाणी के अधिशाशी अधिकारी डॉ. सुशील राय ने निभाई। वहीं संचालन इफको के सीनियर अधिकारी डॉ. आर के नायक ने किया। समारोह में लखनऊ, गोंडा, सुल्तानपुर,अमेठी, सीतापुर, बहराइच, लखीमपुर, कानपुर समेत कई जिलों के 100 के करीब किसान शामिल हुए। नवाचारी किसानों में प्रमुख रूप से लखीमपुर से क़लबे हसन, कानपुर से भंवरपाल सिंह, लखनऊ से रमेश वर्मा, शुभम द्विवेदी, उन्नाव से राजू सिंह, प्रहलाद कुशवाहा, बहराइच से गुलाम मोहम्मद, अमेठी से अनंत बहादुर सिंह, गोंडा के शिवकुमार मौर्या, बहाराइच के प्रवेश मौर्या, बाराबंकी के दुर्गेश, सीतापुर से नवीन राजवंशी, उदय राज, मो. उस्मान आदि ने मुख्य रूप से अपने विचार रखेl इफको की तरफ से डॉ. एसपी सिंह. डॉ. जसवीर सिंह, डॉ. आनंद, डॉ. आर के वर्मा समेत कई अधिकारी और वैज्ञानिक उपस्थित रहे। किसानों की सलाह पर राज्य विपणन प्रबंधन यतींद्र तेवतिया ने ऐसे कार्यक्रम लगातार कराए जाने का भरोसा दिया।
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