प्रदेश सरकार खरीफ फसल(Kharif crop) वर्ष 2024-25 के अंतर्गत मोटा अनाज(Millets) जैसे रागी, ज्वार-बाजरा, मिलेट्स, कोदो, संवा, कुटकी जैसी फसलों को उगाने पर किसानों को अधिकतम 15,000 रुपये की प्रोत्साहन राशि देगी। इसके लिये राज्य सरकार ने मिलेट मिशन योजना(Jharkhand State Millet Mission Yojana) की शुरुआत की है।
किसानों की खेती में लागत कम लगे और उनका आय बढ़े इसके लिये केंद्र और राज्य सरकार कई प्रकार की योजनाएं (Government Scheme) चला रही है। इसी क्रम में झारखंड सरकार मोटे अनाजों की खेती के लिये किसानों को बढ़ावा देने के लिये इसकी बुआई पर 3,000 रुपये प्रति एकड़ और अधिकतम 15,000 रुपये प्रोत्साहन राशि के रूप में दे रही है।ये लाभ झारखंड के किसानों को राज्य मिलेट मिशन योजना (Jharkhand State Millet Mission Yojana) के अंतर्गत दिया जाएगा।
मोटे अनाज के उत्पादन को बढ़ावा
मोटे अनाज(Millets) के उत्पादन को बढ़ावा देने के लिए सरकार Jharkhand State Millet Mission Yojana की शुरुआत की है।इस योजना का लाभ खरीफ फसल वर्ष 2024-25 के अंतर्गत कृषि विभाग रागी, ज्वार-बाजरा, मिलेट्स, कोदो, संवा, कुटकी जैसी फसलों को उगाने पर प्रोत्साहन राशि देगी।इसकी खेती के लिये प्रति एकड़ 3,000 से लेकर 5 एकड़ के लिए 15,000 रुपये देने का निर्णय लिया गया है। इस योजना का लाभ कृषि, पशुपालन और सहकारिता विभाग द्वारा दिया किसानों और बटाईदारों दोनों को दिया जाएगा।
ज़रूरी documents
आवेदन के लिए किसानों के पास आधार नंबर, मोबाइल नंबर, आधार सीडिंग बैक खाता, भू-स्वामित्व प्रमाण-पत्र (राजस्व रसीद), मुखिया, ग्राम प्रधान, राजस्व कर्मचारी या अंचल अधिकारी द्वारा निर्गत वंशावली, रैयत या बटाईदार किसान का स्वयं घोषणा पत्र होना अनिवार्य है।
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ये योग्यता है ज़रूरी
1.इस योजना का लाभ लेने के लिए किसानों का राज्य का स्थायी निवासी होना जरूरी है।
2.किसानों की उम्र 18 साल से ज्यादा होनी चाहिए।
3.किसानों के पास कम से कम 10 डिसमिल और अधिकतम 5 एकड़ जमीन होनी चाहिए।
आवेदन के लिये ये करें –
इस योजना का लाभ लेने के लिए किसानों को प्रज्ञा केंद्र में मिशन वेब पोर्टल पर जाकर ऑनलाइन आवेदन करना होगा।
आवेदन की अंतिम तारीख़ 30 अगस्त है।
भारत में मोटे अनाज का उत्पादन
भारत विश्व में मोटे अनाजों का सबसे बड़ा उत्पादक देश है। यह वैश्विक उत्पादन में 20% और एशिया के उत्पादन में 80% की हिस्सेदारी रखता है। वर्ष 2022-23 के दौरान देश में मोटे अनाज का कुल उत्पादन 17.32 मिलियन टन था।
लेकिन पिछले एक दशक में ज्वार के उत्पादन में गिरावट आई है, जबकि बाजरा के उत्पादन में स्थिरता बनी हुई है। वहीं रागी सहित कई अन्य मोटे अनाजों के उत्पादन में भी गिरावट देखी गई है।
भारत में मोटे अनाजों के उत्पादन में कमी की मुख्य वजह इसके स्वास्थ्य लाभों के बारे में पर्याप्त जागरूकता का न होना है, जिसकी वजह से इसकी बहुत मांग भी नहीं होती। ज़्यादा मांग न होने की मुख्य वजह ये भी है कि मोटे अनाजों के मूल्य पारंपरिक अनाजों की तुलना में अधिक होते हैं, जिससे वे निम्न आय वाले उपभोक्ताओं के लिये खाना मुश्किल होता है।
मोटे अनाज के स्वास्थ लाभ और कृषि विशेषताएँ जैसे सूखा प्रतिरोधी और सेमी एरिड क्षेत्रों के लिये उपयुक्त होने की वजह से FAO ने वर्ष 2023 को International year of millets घोषित किया था। जिसका मुख्य उद्देश्य इसके consumption और production दोनों को बढ़ावा देना था।
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