भारतर में अधिकांशतय फसल काटने के बाद फसल उपरांत अज्ञानता के कारण प्रसंस्करण (Processing) की तकनीकों को नहीं अपनाया जाता है। जिस वजह से 15.25 प्रतिशत उत्पादित टमाटर खेत में ही खराब हो जाते है और किसानो को अच्छा लाभ नहीं मिल पता। बाजार के भाव में भी बदलाव होता रहता है जिस वजह से उचित कीमत उठा पाना किसानो के लिए संभव नहीं है। अगर किसान प्रसंस्करण और मूल्य संवर्धन के तरीको को अपनाता है तो उचित लाभ कमा सकता है। टमाटर देश की दूसरी सर्वाधिक उपजाई जाने वाली सब्जी की फसल है। दुनिया भर में टमाटर एक महत्वपूर्ण सब्जी है। विश्व भर में बढ़ती जनसंख्या के कारण इसकी मांग भी लगातार बढ़ रही है, इसका उपयोग ताजा कच्चे रूप में किया जाता है ताजी अवस्था में इसे सलाद ,सैंडविच, सूप या सब्जी के रूप में खाया जाता है,जो आर्थिक मूल्य के अलावा मानव पोषण के लिए अच्छा है क्योंकि यह विटामिन सी ए के और पोटेशियम और लाइकोपीन और कैरोटीन जैसे कैरोटीनॉइड का स्रोत है जो एंटी- ऑक्सिडेंट के रूप में कार्य करते हैं।
टमाटर परिरक्षण के उद्देश्य एवं लाभ
- परिरक्षण (Preservation) द्वारा टमाटर को नश्ट होने से बचाकर वर्श-भर उपलब्ध करवाया जा सकता है।
- कटाई के उपरान्त होने वाली हानि से बचाया जा सकता है।
- परिरक्षित पदार्थ से भोजन के सुगन्ध , स्वाद व मूल्य संवर्धन से पोषण मूल्य की भी वृद्धि होती है।
- परिरक्षित पदार्थों को डिब्बा बंद करके एक स्थान से दूसरे स्थान पर आवागमन आसान हो जाता है।
- आर्थिक बचत के साथ रोजगार के अवसर प्रदान करता है।
परिरक्षण द्वारा फसल उपरांत होने वाली क्षति को काम करने के लिए टमाटर के विभिन मूल्य संवर्धित उत्पाद बनाये जा सकते है। जिनकी कुछ विधि या इस प्रकार है।
टमाटर विकारी प्रकृति के होने के कारण कम समय तक सुरक्षित रहते है तथा जल्दी सड-गल कर खराब हो जाते हैं। इनको लम्बे समय तक सुरक्षित रखने के लिए इनका परिरक्षण किया जाता है।
टमाटर को लम्बे समय तक बिना खराब हुये उसकी गुणवत्ता व पौष्टिकता के साथ संरक्षित करके रखना परिरक्षण कहलाता है। यह एक कृषि औद्योगीकरण की प्रक्रिया है जिसके द्वारा मूल्य सवंर्धित उत्पादों का निर्माण किया जाता है। जिसके कई कारण है।
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- टमाटर टिकाऊ नही है किन्तु इन के उत्पाद जैसे टमाटर की प्यूरी , सास , जैम परिरक्षित किए जा सकते हैं जो टिकाऊ होने के साथ-साथ आमदनी में भी वृद्धि करते हैं।
- सुरक्षित भोजन की बढ़ती मांग के कारण इन डिब्बा बंद पदार्थों का बाजार में विस्तार हुआ है जो इस उद्योग के संवर्धन में सहायक हैं।
- शहरीकरण के विस्तार एवं आर्थिक स्थिति के सुधार के कारण , पौष्टिक , स्वादिश्ट एवं सीधे उपयोग होने वाले पदार्थो की मांग बढ़ रही है।
- ग्रामीण क्षेत्र में आर्थिक सुधार के लिए कृषि को अधिक लाभप्रद होना आवष्यक है ओैर उसका एक सरल एवं सहज उपाय है, परिक्षण।
टमाटर का सॉस तैयार करके टमाटर का परिरक्षण करना।
टमाटर की सॉस तथा स्केचअप में बहुत ही थोड़ा अंतर होता है दोनों को बनाने की विधि तथा सामग्री एक ही समान होती है लेकिन अंतर इतना होता है कि केचप सॉस की अपेक्षाकृत कुछ गाढ़ा होता है सॉस की ब्रिक्स प्रतिशत 25 होती है तथा केचप की 28 से 30 होती है।
स्क्वैश तथा टमाटर सॉस के लिए यंत्र
(1) रस निकालने की मशीन-स्क्वैश तैयार करने के लिए नींबू प्रजाति के फलों से रस निकालने हेतु कई प्रकार की हां तथा बिजली चालित मशीनें प्रयोग की जाती हैं जिन्हें जूस निचोड़क यंत्र कहते हैं इन मशीनों द्वारा रस एक तरफ तथा बीज और छिलके दूसरी तरफ गिरते जाते हैं बाद में रस को आवश्यकता अनुसार छीन लिया जाता है।
(2) टमाटर के गूदे को निकालने की मशीन- टमाटर के गूदे को पृथक करने के लिए कई प्रकार की हां तथा बिजली 40 मशीनें प्रयोग की जाती हैं जिन्हें पल्पर कहा जाता है।
(3) फलों का चुनाव-सॉस बनाने के लिए अच्छे पके हुए टमाटर को ही चुनना चाहिए। टमाटरो में कोई भी हरापन नहीं होना चाहिए तथा वे सुंदर एवं बीमारियों से रहित हो।
(4) फलों को साफ करना-फलों को चाटने के बाद चलाते हुए पानी में धोना चाहिए जिससे उनकी सभी गंदगी दूर हो जाए।
(5) फलों को काटना-साफलों को चाकू की सहायता से छोटे-छोटे टुकड़ों में काट लेना चाहिए।
(6) फलों को गर्म करना-फलों के टुकड़ों को थोड़े पानी के साथ गर्म किया जाता है यह क्रिया 15 से 20 मिनट तक की जाती है जिससे वे अच्छी तरीके से मुलायम हो जाएं ।फलों को गर्म करते ही उसमें प्याज ,लहसुन ,अदरक बारीक काटकर व कूट कर डाल देना चाहिए ,जिससे उसका सत्व निकलकर रस में आ जाए।
(7) फलों का रस निकालना – टमाटर को गरम करने के पश्चात उनको छिलका तथा बीजों से रहित कर दिया जाता है। इस क्रिया को करने के लिए एलुमिनियम की छलनी को किसी भगौने पर रख लेते हैं तथा उबले हुए टमाटर को थोड़ा-थोड़ा करके छलनी पर डालकर इतना मसलते हैं कि उनका गूदा नीचे बर्तन में गिर जाए तथा बीज और छिलकेऊपर रह जाए ।इस तरह सभी उबले टमाटर से गुदे वरस को निकाल लेते हैं।
(8) रस को पकाना व चीनी मसाले आदि को मिलाना – गूदे को स्वच्छ स्टील के भगाने में पकाने के लिए रख देते हैं ।चीनी की दो तिहाई मात्रा शुरू में डाल दी जाती है जिससे रंग काला हो जाता है तथा एक तिहाई हिस्सा सॉस तैयार करने के कुछ समय पहले डाला जाता है जो कि भूरा रंग देता है ।यह दोनों रंग मिलकर टमाटर की सॉस को लाल रंग प्रदान करते हैं मसालों को बारीक कूटकर व कपड़े में बांधकर पकाते हुए रस में लटका देते हैं लेकिन यह ध्यान रहे कि मसाले पूरेरस में डूबे रहे ।बाद में जब सांस तैयार होने का होता है ,तो मसालों को पोटली से बाहर निकाल लिया जाता है ।मसालों को दूसरे तरीकों द्वारा भी पकाते हुए रस में मिलाया जाता है ।इनको बारीक कूटकर अलग से छोटे भगौने में पानी के साथ उबालते हैं ,बाद में इनको छानकर मसालों के रस को पकाते हुए पदार्थ में मिला दिया जाता है।
निम्नलिखित वस्तुओं की मात्रा 5 किलोग्राम टमाटर से सॉस तैयार करते समय मिलाई जाती है–
1. टमाटर – 5 किलो ग्राम
2. चीनी – 250 ग्राम
3. नमक – 80 ग्राम
4. लाल मिर्च – 25 ग्राम
5. प्याज -200 ग्राम
6. लहसुन -50 ग्राम
7.अदरक -100 ग्राम
8. गरम मसाला– 25 ग्राम
9. एसिटिक एसिड– 10 मिलीलीटर( 4 छोटी चम्मच)
10. सोडियम बेंजोएट -5 ग्राम छोटी चम्मच
जब पके हुए पदार्थ की ब्रिक्स लगभग 25% हो जाए या तश्तरी पर डालने पर पानी छोड़े तो सास बना हुआ समझना चाहिए इसके बाद सांस को आग से नीचे उतारकर टमाटर का रंग सोडियम बेंजोएट तथा एसिटिक एसिड की निश्चित मात्रा डालकर सॉस को चम्मच से भली प्रकार चला देना चाहिए।
9. बोतलों को भरना, बंद करना एवं संग्रह– जब सांस कुछ ठंडा हो जाए तो लंबी गर्दन वाली बोतलों में भरकर सील कर देना चाहिए बोतलों को ठंडे सूखे प्रकाश सहित स्थान पर संग्रह करना अच्छा रहता है।
सावधानियां
1. अच्छे पके हुए स्वस्थ फलों का प्रयोग करना चाहिए।
2. सॉस को लोहे के बर्तन में नहीं पकाना चाहिए क्योंकि लोहे से फेरिक टैनेट बन जाता है जो सॉसको काला बनाता है टैनिंग लौंग में पाया जाता है।
3. लोंग के ऊपरी भाग को हटा देना चाहिए जिसमें टैनिन होता है।
4. चीनी का 2 /3 भाग शुरू में तथा से 1 /3 हिस्सा सॉस तैयार होने से थोड़े समय पहले मिलाना चाहिए।
5.सोडियम बेंजोएट रंग तथा एसिटिक एसिड सॉस तैयार करने होने के बाद में मिलाना चाहिए। मिलाते समय सॉस को आग से अलग कर लेना चाहिए।
6. बोतलों को अच्छी तरह बंद करने के बाद ठंडे सूखे एवं प्रकाश रहित स्थान पर संग्रह करना चाहिए क्योंकि प्रकाश की उपस्थिति में सास का रंग फीका पड़ जाता है।
टमाटर पोमेस पाउडर
टमाटर पाउडर जैसे नाम से पता चलता है व्यापक अर्थ में निर्धारित टमाटर का रस है टमाटर पाउडर तैयार करने के लिए इसके रसका निर्जलीकरण विभिन्न तरीकों से किया जा सकता है व्यापारिक रूप से टमाटर के रस को अलग-अलग सूखने वाली तरीकों का प्रयोग करके पाउडर में परिवर्तित किया जा सकता है। स्प्रे ड्राइंग ,रोलर ड्राइंग और मेप ड्रॉइंग जैसे विभिन्न तरीकों का उपयोग करके उसको पाउडर में परिवर्तित किया जा सकता है। किसान-उद्यमी जिनके पास प्रसंस्करण (processing) करने के लिए ज्यादा सुविधा नहीं है वह सूर्य एवं तकनीकी का प्रयोग कर टमाटर का पाउडर बना सकते हैं और मुनाफा कमा सकते हैं।
उपयोग
-विकसित टमाटर पाउडर विभिन्न सूप की तैयारी के लिए इस्तेमाल किया जा सकता है इससे केचप निर्माण के आधार सामग्री के रूप में भी इस्तेमाल किया जा सकता है।
– यह टमाटर चावल जैसे विभिन्न व्यंजनों को तैयार करने में इस्तेमाल किया जा सकता है।
– टमाटरपाउडर से सूप में फिर से बनाया जा सकता है, साथ ही उन्हें अपने विशिष्ट रंग ,स्वाद और पानी बंधक गुणों के कारण सॉस मैरिनेड्स, बेबी फूड एवं स्नैक्स के रूप में भी इस्तेमाल किया जा सकता है।
टमाटर की प्यूरी
आवष्यक सामग्री & टमाटर 1 किलो पानी 2 लीटर] 1@2 कप सिरका, 1 बड़ा चम्मच नमक] 1@2 कप चीनी।
प्यूरी बनाने की विधि-
टमाटर को अच्छी तरह धोइये] एक बर्तन में टमाटर भरें ढककर धीमी आग पर उबाल कर आग बंद कर 5 मिनट के लिए पानी में टमाटर छोड़ दें। गर्म पानी से टमाटर निकालें और उन्हें ठंडे पानी के साथ एक बर्तन में डाल कर छोड़ दें।
5 मिनट के बाद बाहर निकाल कर छील लें। टमाटर के गूदे को काट कर मिक्सर ग्राइन्डर में बारीक पीस कर तैयार कर लें । बर्तन में टमाटर की प्यूरी में सिरका] नमक और चीनी के साथ प्यूरी उबाल कर गाड़ा होने तक पकने दें।
टमाटर की प्यूरी तैयार है ठंडी करें और किसी कांच की साफ सूखी बोतल में भर कर रखें।
लेखिका, डॉ दीपाली चौहान, वैज्ञानिक, कृषि विज्ञान केंद्र रायबरेली
चंद्रशेखर आजाद कृषि एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय कानपुर