तकनीक से तरक्की पार्ट- 6 : खेती में मशीनों का साथ, किसान की आमदनी 50 लाख 

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जुन्नर (महाराष्ट्र)। अगर आप पुणे, नाशिक या मुंबई में रहते हैं, तो सकता है, आपके घर की सब्जी जुन्नर से आई हो। महाराष्ट्र के ये बड़े शहर ही नहीं कई बार दिल्ली वाले भी जुन्नर के नारायणगांव का टमाटर और प्याज खाते हैं। पुणे की सब्जी बेल्ट कही जाने वाली जुन्नर तालुका में किसान बड़े पैमाने पर प्याज-टमाटर के साथ सब्जियों की खेती करते हैं। यहां के प्रगतिशील किसान खेती में मेहनत के साथ नई-नई तकनीक और मशीनों का खूब इस्तेमाल करते हैं, नतीजा मेहनत भी कम और लागत भी कम…जबकि मुनाफा बंपर। तकनीक से तरक्की सीरीज में मिलिए हमारे अगले हीरो ओतूर गांव के किसान सचिन श्रीधर दाते से…

जुन्नर इलाके की प्रगति और खुशहाली का आधार खेती है, किसानों के लिए पुणे, नाशिक और मुंबई की मार्केट नजदीक होना खेती के लिए प्लस प्वाइंट है। लेकिन सबसे बड़ी चुनौती है, कम जमीन से ज्यादा उत्पादन लेना। मजदूरों का संकट और आसपास वन क्षेत्र होने के चलते टाइगर के अटैक का खतरा। सचिन दाते के मुताबिक लेबर और टाइगर दोनों की समस्याएं सिंचाई से जुड़ी थी, पानी लगाने के लिए रात में खेत में जाना होता था और खुले में सिंचाई करने पर मजदूर बहुत लगाने पड़ते थे, इसलिए उन्होंने अपनी पूरी खेती में स्प्रिंकलर और ड्रिप लगवा दी है। अब वो घर बैठे सिंचाई करते हैं।

सचिन दाते बताते हैं, खेती में मुश्किलें हैं तो उसका सॉल्सूयन भी है। पहले और अब की खेती में बड़ा बदलाव आ चुका है।  उनके पिता बैलों से खेती करते थे। लेकिन उनके पास अब 2-2 ट्रैक्टर हैं। पहले हाथ से प्याज लगाना पड़ता था, जिसके लिए दर्जनों मजदूरों की ज़रूरत पड़ती थी, फिर सिंचाई में हर हफ्ते काफी मजदूरों का जरूरत होती थी, जिससे वक्त और लागत दोनों ज़्यादा आती थी। अब ज्यादातर काम वो मशीनों से करते हैं।  सचिन के पिता तो यहां तक कहते हैं, अगर ये नई-नई मशीनों ना आई होतीं, तो आज उनकी खेती हो ही नहीं पाती।

सचिन बताते हैं वो ड्रिप तो इस्तेमाल कर रही रहे थे, पिछले 5 सालों से स्प्रिंकलर भी लगा रखा है। पहले सरकारी सब्सिडी काफी कम थी, लेकिन किसानों और पर्यावरण सबको चौतरफा फायदा होते देख सरकार ने सब्सिडी 80 फीसदी कर दी है। उनके मुताबिक स्प्रिकंलर इरिगेशन ने न सिर्फ उनका पानी, बिजली, समय, मजदूरी बचाई है,बल्कि इसका मेनटेनेंस भी जीरो है।

सचिन का दावा है कि स्प्रिंकलर क्लाइमेंट चेंज के चलते खेती में आ रही मुश्किलों में भी काफी हद तक मददगार हैं। वो बताते हैं कि, गर्मियों में दोपहर का तापमान काफी ज्यादा हो जाता है, ऐसे में अगर वो कुछ देर के टमाटर की फसल में स्पिंकलर चला देते हैं तो फसल झुलसती नहीं है।

सचिन की फैमिली का अगला लक्ष्य ड्रोन है.. वो कहते हैं, सरकार ने टपक और फव्वारा सिंचाई पर सब्सिडी बढ़ाई तो किसानों को फायदा हुआ। ऐसे ही ड्रोन और खेती की दूसरी मशीनों पर भी छूट देनी चाहिए

सचिन गांव में रहकर अच्छी कमाई करते हैं, शहरों जैसी सुविधाओं के साथ जिंदगी जीते हैं। वो कहते हैं, अच्छी खेती करना उनका शौक है, यहां वो अपनी मर्जी के मालिक हैं। जब चाहे काम करते हैं और जब चाहे परिवार और बच्चों के साथ समय बिताते हैं। सचिन का मानना है कि नौकरी में टाइम और सैलरी फिक्स है, जबकि खेती में बिज़नसे बढ़ाने की असीम संभावनाए हैं। वो चाहते हैं उनके बच्चे खेती करें लेकिन पढ़ लिखकर.. ताकि वो खेती को नए मुकाम पर ले जा सकें।

तकनीक से तरक्की सीरीज – न्यूज पोटली और जैन इरिगेशन की जागरुकता मुहिम है, सीरीज में उन किसानों की कहानियों को शामिल किया जा रहा है, जो खेती में नए प्रयोग कर, नई तकनीक का इस्तेमाल कर मुनाफा कमा रहे हैं। ड्रिप इरिगेशन, आटोमेशन, फर्टिगेशन सिस्टम आदि की विस्तृत जानकारी के लिए संपर्क करें-

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