आलूबुखारा की इन किस्मों से दोगुनी होगी किसानों की आय, ऐसे करें खेती

रहमानखेड़ा(लखनऊ)। अगर आप बागवानी करके कम समय में अच्छा उत्पादन लेना चाहते हैं तो आलूबुखारा आपके लिए अच्छा विकल्प हो सकता है। इसके फल में कई प्रकार के पोषक तत्व पाये जाते हैं जिसके चलते बाजार में इसकी मांग बनी रहती है।

केंद्रीय उपोष्ण बागवानी संस्थान के प्रधान वैज्ञानिक डॉ कंचन कुमार श्रीवास्तव नें आलूबुखारा की खेती और फल की विशेषताएं बताई हैं। वे बताते हैं” ये फल फल बाजार में दशहरी आम से पहले बाजार में जाता है। बाजार में इसकी अच्छी कीमत मिलती है। उत्तर प्रदेश के किसान इसकी खेती करके अच्छा मुनाफा कमा सकते हैं। इसके पेड़ में कोई रोग भी नही लगता है। किसान आलूबुखारा की खेती करके अपनी आय दोगुनी कर सकते हैं। “

वे आगे बताते हैं”आलू बुखारा सामान्यत: शीतोष्ण फल है जिसकी खेती ठंढ़े क्षेत्रों में की जाती है। इसकी कम अवशीतन वाली किस्मों की खेती पंजाब, हरियाणा और पश्चिमी उत्तर प्रदेश में की जाती है। इस फल की कुछ किस्में कम अभिशीतन वाली होती हैं जिनकी खेती उत्तर प्रदेश के उपोष्ण क्षेत्रों में भी की जा सकती है। ये फल किसान और स्वास्थ दोनों के लाभकारी है। “

खाने में खट्टा-मीठा यह फल अप्रैल मई के महीने में बाजार में बिकता है। आम की फसल से पहले पकने के कारण बाजार में दाम भी अच्छे मिलते हैं । लाल, नीले, बैंगनी रंग के इस फल में विभिन्न प्रकार के पोषक तत्व पाये जाते हैं। इसमें विटमिन-A विटामिन-C,कैल्शियम, मिनरल्स, फाइबर और एंटी ऑक्सीडेंट प्रचुर मात्रा में पाये जाते हैं।

उपोष्ण क्षेत्रों में उगाई जाने वाली किस्में

1. काला अमृतसरी- इस किस्म के फल छोटे और गुच्छेदार होते हैं। इसके पौधे की रोपाई जनवरी-फरवरी के महीने में की जाती है। इसके ग्राफटेड पौधे की रोपाई करनी चाहिए जिससे पैदावार अच्छी होती है। रोपाई करते समय इस बात का विशेष ध्यान रखें कि पौधे से पौधे की दूरी 6 मीटर और लाइन से लाइन की दूरी 6 मीटर होनी चाहिए। पौधा जब डेढ़ से दो मीटर का हो जाये तो उसकी कटाई-छंटाई करदें। इसमें तीन साल बाद पौधे में फल आने शुरु हो जाते हैं। पांचवे साल 55 से 60 किलो फल निकलने लगते हैं।

2. सतलुज पर्पल- इस किस्म के फल काला अमृतसरी की अपेक्षा में बड़े होते हैं। इस किस्म के पौधे उत्तर प्रदेश में बागवानी के लिए अनुकूल हैं। इसकी पांच साल बाद एक पेड़ से लगभग 30 से 35 किलो फल निकलते हैं। दोनों किस्मों को एक खेत में लगाने से परागण की समस्या नही आती है।

डॉ कंचन कुमार के मुताबिक आलूबुखारे के पौधे में ज्यादा रोग और कीट नही लगते हैं। इसमें खाद डालने की आवश्यकता नही पड़ती। ये फल पूरी तरह से ऑर्गेनिक होता है। अगर पेड़ में गोंद निकल रहा हो तो कॉपर सल्फेट का बोडोपेस्ट बनाकर लगा दें इससे पेड़ स्वस्थ रहता है।

फल तुड़ाई के बाद करें कॉपर ऑक्सिक्लोराइड का छिड़काव

पेड़ से फल तोड़ने के बाद कॉपर ऑक्सिक्लोराइड का छिड़काव करना चाहिए। इससे पेड़ स्वस्थ रहता है।

कैसे करें सिंचाई

आलूबुखारा के पेड़ो की सिंचाई नाली विधि से करनी चाहिए। जब पेड़ में फलत हो रही हो तब 15 दिन के अंतराल पर सिंचाई करें। इससे उत्पादन अच्छा होता है।

जनवरी-फरवरी मे करें छंटाई

पेड़ की कटाई छंटाई प्रति वर्ष जनवरी से फरवरी के महीने में करनी चाहिए। इससे पेड़ स्वस्थ रहता है उत्पादन अच्छा होता है।

25 साल तक आते हैं फल

आलूबुखारा के पेड़ 25 साल तक फल देता है। पेड़ की अच्छी देखभाल करके अच्छी कमाई की जा सकती है।

आलूबुखारा की खेती का पूरा वीडियो देखें-

Arvind Shukla

Arvind Shukla is a freelance journalist and founder of News Potli, a website that tells the stories of farmers, women, and tribal people.

Based in Lucknow, Uttar Pradesh, he grew up in a farming community and has spent years documenting the impact of climate threats, such as droughts, floods, and water shortages, on farmers and their livelihoods.

He has previously written about the plight of sugar workers, including a story focusing on how mills in Uttar Pradesh and Maharashtra owe sugarcane cutters billions in outstanding payments.

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