भारत में प्याज निर्यात पर एक स्थिर प्याज निर्यात-नीति लागू करने की जरूरत !

भारत सरकार ने घरेलू आपूर्ति की कमी और कीमतों को नियंत्रित करने के लिए प्याज के निर्यात पर कई बार प्रतिबंध लगाए हैं। इन प्रतिबंधों के कारण, बांग्लादेश, संयुक्त अरब अमीरात जैसे प्रमुख खरीदार देशों ने अन्य देशों से प्याज खरीदना शुरू कर दिया है, जिससे भारत के निर्यात में कमी आई है। और भारत में मूल्य गिरने से किसानों को भी नुकसान उठाना पढ़ रहा है।

भारत सरकार ने 19 अगस्त 2023 को प्याज के निर्यात पर 40 प्रतिशत निर्यात शुल्क लगाया। 28 अक्टूबर 2023, निर्यात शुल्क हटाया गया, लेकिन प्याज निर्यात के लिए 800 डॉलर प्रति टन न्यूनतम निर्यात मूल्य (MEP) तय किया गया। 8 दिसंबर 2023 को भारत सरकार ने प्याज के निर्यात पर पूरी तरह से रोक लगा दी थी। इसका उद्देश्य घरेलू बाजार में प्याज की उपलब्धता सुनिश्चित करना और कीमतों को स्थिर रखना था।

यह प्रतिबंध 31 मार्च 2024 तक जारी रहा, और बाद में इसे हटा लिया गया, लेकिन 40 प्रतिशत निर्यात शुल्क और 550 डॉलर प्रति टन का न्यूनतम निर्यात मूल्य (MEP) फिर से लगाया गया। 13 सितंबर, 2024 को, सरकार ने प्याज निर्यात से न्यूनतम निर्यात मूल्य (MEP) हटा दिया। और 1 अप्रैल 2025 से, प्याज पर 20 प्रतिशत निर्यात शुल्क भी हटा दिया गया है।

निर्यात में आई कमी
भारत सरकार द्वारा प्याज के निर्यात पर बार-बार प्रतिबंध लगाने से निर्यात बाधित हुआ। विश्व बाजार पर अन्य देशों ने अपना स्थान बना लिया। भारत ने वर्ष 2023-24 में 17.17 लाख टन प्याज का निर्यात किया वर्ष 2024-25 में अब तक 11.75 लाख टन का निर्यात हुआ है।

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घरेलू प्याज़ उत्पादन और खपत
भारत में वर्ष 2024-25 में प्याज उत्पादन 30.77 मिलियन टन रहने का अनुमान है, जो कि पिछले साल के 24.27 मिलियन टन से लगभग 6.5 मिलियन टन अधिक है। उत्पादन बढ़ने का कारण है कि अब मध्यप्रदेश, गुजरात, कर्नाटक जैसे अन्य राज्य भी प्याज की खेती कर रहे हैं। भारत में प्याज की घरेलू खपत लगभग 16.0 मिलियन टन प्रति वर्ष है।
भारत अपनी घरेलू जरूरतों से ज्यादा प्याज का उत्पादन करता है, लेकिन खराब स्टोरेज सुविधा और कमजोर सप्लाई चेन की वजह से हर साल संकट पैदा होता है, हालाकि भारत में प्याज स्टोरेज क्षमता को भी बढ़ाकर 54 लाख मीट्रिक टन कर दिया गया है।

स्थिर नीति के कई फायदे
प्याज के निर्यात पर एक सही और स्थिर नीति बनाने की आवश्यकता है, ताकि किसानों को उनके उत्पादन का उचित मूल्य मिल सके और उपभोक्ताओं को प्याज की उपलब्धता सुनिश्चित हो सके। सरकार को निर्यात नीति बनाते समय घरेलू बाजार की जरूरतों और वैश्विक मांग दोनों पर विचार करना चाहिए।

पीजेंट के चेयरमैन अशोक बालियान ने केन्द्रीय वाणिज्य मंत्री व् कृषि मंत्री को एक पत्र लिखा है, जिसमें भारत में प्याज निर्यात पर एक स्थिर प्याज निर्यात-नीति लागू करने की बात कही है।

लेखक : अशोक बालियान, Chairman, Peasant Welfare Association

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