खरगौन (मध्य प्रदेश)| पानी का कोई रंग नहीं होता, लेकिन इसके बिना जिंदगी भी बेरंग है। बिना पानी उपजाऊ मिट्टी कंकड-पत्थर सी हो गई थी, किसानों की मेहनत का पसीना सूखी धरती के लिए नाकाफी था, लेकिन जिन किसानों ने टेक्नोलॉजी से हाथ मिलाया उनकी तकदीर बदल गई। मध्य प्रदेश में निमाड इलाके के किसान महादेव पटेल ने पानी का इंतजाम, और उसका सही इस्तेमाल कर वो कर दिखाया जो किसी सपने से कम नहीं है।
खरगोन जिले के चौंडी गांव में रहने वाले महादेव पटेल ने जब खेती की कमान संभाली, बारिश पर निर्भर उनकी 12 एकड़ जमीन में परिवार किसी तरह बस पल रहा था। कई वर्षों की लगातार मेहनत से महादेव समझ गए थे, खेती की सबसे बड़ी जरूरत पानी है, इसलिए वो इसके इंतजाम में जुट गए और उनकी मेहनत कुछ हद तक रंग भी लाई। कपास के साथ मिर्च की भी खेती शुरु कर दी थी।
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महादेव पटेल बताते हैं कि मन में खेती को लेकर सपने बड़े थे पर जल स्तर नीचे होने के कारण पानी बेहद कम था। अपने छोटे भाई की बाइक को बेंच कर एक हेक्टेयर के लिए ड्रिप पाइप ली और खेत में मिर्च की खेती की। इतना फायदा हुआ कि बाइक भी खरीद ली। इससे हम दोनों भाइयों में पानी के इंतजाम और उसके सही इस्तेमाल की लालसा जगी और खेती में बड़ा करने की उम्मीद भा आ गई।
एक बड़े फैसले से सपने हुए पूरे
बूंद बूंद सिंचाई की व्यवस्था ने महादेव के जीवन में खुशियों की बरसात कर दी। पानी पाकर फसलें लहलहा उठी। अब वो सिर्फ सब्जियों की खेती करने लगे थे, क्योंकि उसमें कमाई अच्छी थी। साल 2010 से 2015 तक उन्होंने अच्छी कमाई की और 2016 तक उम्मीदों के सहारे एक ऐसा फैसला ले लिया जो बहुत जोखिम भरा था। अपनी बढ़ती खेती और सपनों को पूरा करने के लिए उन्हें और पानी चाहिए था इसलिए उन्होंने 4 किलोमीटर दूर से पानी की निजी पाइप लानी डलवाने का फैसला किया, उस वक्त इसकी लागत करीब 16 लाख रुपए थी। महादेव के लिए ये रकम पहाड़ जैसी थी।
महादेव कहते हैं थोडे से पानी से खेती का रकबा बड़ा पाना मुश्किल हो रहा था तो खेत से 4 किलोमीटर दूर से पाइप लाइन के सहारे पानी खेत तक लाने का फैसला किया और पर अंदर से डर भी था कि कहीं ये सिस्टम फैल हुआ तो सारे पैसे पानी में मिल जाएंगे। पर लोगों के साथ से ये सबकुछ मुमकिन हुआ और अब मेरे पास 50 एकड़ खेत को सीचनें के लिए पानी का इंतजाम है। क्योंकि खेती ड्रिप इरिगेशन पद्धति से करता हूं तो पानी भी कम ही लगता है।
सब्जी वाले किसान के नाम से फेमस
महादेव और उनके भाई को खरगोन समेत पूरे निमाड में सब्जी वाले किसान के रूप में जाना जाता है। उनके खेतों के टमाटर, मिर्च खीरा, देश के कई इलाकों में सप्लाई होता है। महादेव के कंधे से कंधा मिलाकर खेती करने वाले छोटे भाई कहते हैं, पानी, ड्रिप इरीगेशन और उनके भाई की मेहनत ने ये करिश्मा किया है।
खेती में तकनीकी अपनाने से घर परिवार के लिए मिल जाता है समय
खेती में तकनीकी के उपयोग, ट्रैक्टर समेत दूसरी मशीनों ने महादेव की खेती को काफी हद तक आसान बना दिया। अब वो 50 एकड़ में सिर्फ सब्जियां उगाते हैं। हर प्लाट पर बूंद-बूंद सिंचाई सिस्टम लगा है। अब सिंचाई के लिए न फावड़ा चलाना होता है न दिन-रात खेत के चक्कर लगाने होते हैं। आमदनी बढ़ने के साथ सबसे बड़ा फायदा ये हुआ कि अब वो अपने परिवार के लिए समय निकाल पाते हैं।
महादेव के बच्चे कहते हैं कि पहले पापा को समय ही नहीं मिलता था पर अब पापा हमें घुमाने भी लेकर जाते हैं, घर भी समय पर आ जाते हैं, साथ में खाना भी खाते हैं इससे हम सबको बहुत अच्छा लगता है।
मेहनत और तकनीकी से मिली तरक्की
महादेव कहते हैं मुझे खेती में अभी और बड़ा करना है। अपनी खेती को 50 एकड़ से बढ़ाकर 100 एकड़ करना है। खेत में ड्रिप इरिगेशन की ऑटोमेशन यूनिट लगवानी है जिससे सिंचाई का काम और आसान हो जाए। मुझे खेती में तरक्की मेरी मेहनत-लगाव से और खेती में तकनीकी को अपनाने से मिली है।
तकनीक से तरक्की सीरीज… न्यूज पोटली News Potli और जैन इरिगेशन Jain Irrigation की जागरुकता मुहिम है, सीरीज में उन किसानों की कहानियां हैं, जो खेती में नए प्रयोग कर, नई तकनीक का इस्तेमाल कर मुनाफा कमा रहे हैं। उनकी खेती दूसरे किसानों से हटकर, जिसे अपनाकर आप भी घाटे और मेहनत वाली खेती को मुनाफे में बदल सकते हैं।
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