ICRA

चालू सत्र में खरीफ फसलों की बुवाई पिछले साल से अधिक होने का अनुमान: ICRA

भारत में खरीफ सीजन अच्छा रहने की उम्मीद है। अनुकूल मानसून की स्थिति बुवाई में वृद्धि को बढ़ावा दे रही है। खरीफ की बुवाई पहले ही पिछले साल के स्तर से आगे निकल चुकी है। अगस्त और सितंबर में सामान्य से अधिक बारिश होने की उम्मीद है। इससे खरीफ और रबी दोनों फसलों को फायदा होगा। कृषि सकल मूल्य वर्धन (GVA) में वृद्धि का अनुमान है। ग्रामीण मजदूरी वृद्धि भी बढ़ रही है। इससे ग्रामीण उपभोग में वृद्धि होने की संभावना है।

पूरी र‍िपोर्ट
खरीफ फसल

अभी भी खरीफ फसलों का बीमा करा सकते हैं यूपी के किसान, सरकार ने 30 अगस्त तक बढ़ाई तारीख

यूपी में फसल बीमा की तारीख बढ़ा दी गई है. सरकारी निर्देश के मुताबिक, अब सभी खरीफ की अधिसूचित फसलों के लिए फसल बीमा कराए जाने की अंतिम तारीख-गैर ऋणी किसानों के लिए 14 अगस्त और ऋणी किसानों (केसीसी/क्रॉपलोन) के लिए 30 अगस्त तक निर्धारित की गई है.

पूरी र‍िपोर्ट
KHARIF

25 जुलाई तक खरीफ फसलों की बुवाई का रकबा 829.4 लाख हेक्टेयर तक पहुंचा, धान, मूंग और मक्का के रकबे में बढ़ोतरी

कृषि विभाग के आंकड़ों के अनुसार कुल मिलाकर 25 जुलाई तक बुवाई का रकबा 829.4 लाख हेक्टेयर तक पहुंच गया जबकि एक साल पहले यह 797.7 लाख हेक्टेयर था. धान, मूंग और मक्का उन फसलों में शामिल हैं जिनके रकबे में सबसे ज्‍यादा इजाफा देखा गया है. जबकि कपास, सोयाबीन, अरहर और उड़द का रकबा पिछले साल की तुलना में कम बना हुआ है. 

पूरी र‍िपोर्ट
यूपी

यूपी में तिलहन और दलहन के रकबे में रिकॉर्ड बढ़ोतरी, जानिए सोयाबीन, अरहर और मक्का का रकबा कितना बढ़ा?

उत्तर प्रदेश में खरीफ सीजन के दौरान तिलहन और दलहन की खेती में तेजी देखी जा रही है। तिल, मूंगफली और सोयाबीन के रकबे में उल्लेखनीय वृद्धि हुई है, जिसमें तिल की खेती में सबसे अधिक वृद्धि देखी गई है। अरहर किसानों के बीच एक लोकप्रिय विकल्प बनी हुई है, जबकि धान, मक्का और कपास की खेती में भी उल्लेखनीय वृद्धि देखी गई है, जिससे खरीफ फसल के कुल रकबे में वृद्धि हुई है।

पूरी र‍िपोर्ट
खरीफ सीजन

खरीफ सीजन में फसलों की बुवाई का रकबा 708 लाख हेक्टेयर पार, जानिए किस फसल की कितनी हुई है बुवाई?

देशभर में अब तक खरीफ फसलों की बुवाई कुल 708.31 लाख हेक्टेयर में हो चुकी है, जो पिछले साल की इसी अवधि की तुलना में 27.93 लाख हेक्टेयर अधिक है। खरीफ की मुख्य फसल धान की बुवाई 176.68 लाख हेक्टेयर में हुई है, जो पिछले साल से 19.47 लाख हेक्टेयर अधिक है।

पूरी र‍िपोर्ट
खरीफ सीजन

अब तक 597.86 लाख हेक्टेयर क्षेत्रफल में हुई बुवाई, धान का रकबा 11.84 लाख हेक्टेयर बढ़ा, जानिए दलहन, गन्ना, कपास, का हाल

सरकार ने चालू खरीफ सीजन 2025 की बुवाई का आंकड़ा जारी किया है। इसके मुताबिक अब तक 597.86 लाख हेक्टेयर क्षेत्रफल में बुवाई हुई है। खरीफ सीजन में बुवाई का यह आंकड़ा पिछले साल की तुलना में 37 लाख हेक्टेयर ज्यादा है।

पूरी र‍िपोर्ट
बकानी रोग

बुवाई से पहले ऐसे करें बीज उपचार, बकानी रोग से धान की फसल बचाने का जानें तरीका

बकानी रोग बासमती धान की फसल को प्रभावित करने वाला एक प्रकार का रोग है, जो धान उत्पादक किसानों के लिए एक बड़ी समस्या है। पंजाब कृषि विश्वविद्यालय ने किसानों को इससे निपटने में मदद के लिए एक समाधान दिया है।

पूरी र‍िपोर्ट
फसल बीमा

1 जुलाई से शुरू होगा फसल बीमा सप्ताह , क्या आपने फसल बीमा करवाया?

फसल बीमा का प्रीमियम किसानों द्वारा दी जाने वाली एक निश्चित राशि है जो उनकी फसलों को प्राकृतिक आपदाओं, कीटों और बीमारियों से बचाने के लिए होती है. खरीफ की फसलों के लिए प्रीमियम 2% और रबी की फसलों के लिए 1.5% है. बागवानी और वाणिज्यिक फसलों के लिए, प्रीमियम 5% है. शेष प्रीमियम सरकार द्वारा सब्सिडी दी जाती है.

पूरी र‍िपोर्ट
पंजाब सरकार

पंजाब सरकार ने किसानों से की इस तकनीक से धान बोने की अपील, मिलेगी 1500 रुपये प्रति एकड़ की प्रोत्साहन राशि

देशभर में अब खरीफ फसल की बुवाई की शुरुआत होने वाली है. किसान खरीफ की मुख्य फसल धान की बुवाई की तैयारी में जुट गये हैं. इसी बीच पंजाब सरकार ने धान की बुवाई को लेकर किसानों से अपील की है कि वे डीएसआर तकनीक से सीधी बुवाई करें. इससे ग्राउंडवाटर बचेगा और फसल की लागत भी कम होगी. आपको बता दें कि इस साल राज्‍य सरकार ने 5 लाख एकड़ में सीधी बुवाई का लक्ष्‍य रखा है. और इस तकनीक से बुवाई करने वाले किसानों को 1500 रुपये प्रति एकड़ की राशि देने की योजना भी बनायी है.

पूरी र‍िपोर्ट
ग्रीष्मकालीन जुताई

ग्रीष्मकालीन जुताई कब करें? मानसून आने से पहले किसान कर लें ये काम, बढ़ेगी पैदावार

बेहतर उत्पादन के लिए खेत की जुताई एक महत्वपूर्ण क्रिया है। तेज धूप में गहरी जुताई करने से मिट्टी में पाए जाने वाले हानिकारक जीवाणु खत्म हो जाते हैं. ग्रीष्मकालीन जुताई मई-जून के दौरान मानसून आने से पहले की जाती है. ग्रीष्मकालीन जुताई कम लागत में गुणवत्तायुक्त उत्पादन में सहायक है. इसलिए किसान अपने खेतों की जुताई मानसून से पहले कर लें. इससे आगामी फसल की बेहतर पैदावार होगी. इसको लेकर कृषि विभाग ने किसानों के लिए एडवाइजरी जारी की है. 

पूरी र‍िपोर्ट