यूनिवर्सिटी ऑफ मैरीलैंड के वैज्ञानिकों ने गेहूं की उपज बढ़ाने वाली एक किस्म की पहचान की है। इसमें गेहूं के पौधे के फूल में एक की जगह तीन अंडाशय विकसित है।

गेहूं में वैज्ञानिकों की बड़ी खोज: अब एक फूल से निकलेंगे तीन दाने!

अमेरिका की यूनिवर्सिटी ऑफ मैरीलैंड के वैज्ञानिकों ने गेहूं की उपज बढ़ाने वाली एक किस्म की पहचान की है। इसमें गेहूं के पौधे के फूल में एक की जगह तीन अंडाशय विकसित है। दुनिया भर में बढ़ती जनसंख्या और लगातार घटती कृषि भूमि, लोगों के पेट भरने के लिए उठाए जा रहे प्रयासों के सामने…

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भारत-भूटान

पशुधन, अनुसंधान और खेती में सहयोग बढ़ाएंगे भारत-भूटान

भारत और भूटान ने कृषि और संबद्ध क्षेत्रों में सहयोग बढ़ाने के लिए थिम्फू में समझौता ज्ञापन (MoU) पर हस्ताक्षर किए। इसके तहत दोनों देश कृषि अनुसंधान, तकनीक, पशुधन स्वास्थ्य, खाद्य प्रसंस्करण और किसानों के कौशल विकास जैसे क्षेत्रों में मिलकर काम करेंगे। इस समझौते को लागू करने के लिए संयुक्त तकनीकी कार्य समूह (JTWG) का गठन किया गया है, जिसकी पहली बैठक थिम्फू में हुई और अगली बैठक भारत में होगी।

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National Agricultural Gene Bank

भावी पीढ़ियों के लिए खाद्य सुरक्षा और आनुवंशिक संसाधन सुनिश्चित करने के लिए भारत स्थापित करेगा दूसरा राष्ट्रीय कृषि जीन बैंक  

प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए आयोजित पोस्ट बजट वेबिनार में घोषणा की कि देश के आनुवंशिक संसाधनों के संरक्षण के लिए एक जीन बैंक की स्थापना की जाएगी। इस पहल का उद्देश्य भावी पीढ़ियों के लिए आनुवंशिक संसाधन और खाद्य सुरक्षा सुनिश्चित करना है। जीन बैंक आनुवंशिक सामग्री का भंडार है। जैसे बीज, पराग या ऊतक के नमूने, जो विभिन्न पौधों की प्रजातियों से एकत्र किए जाते हैं ताकि उन्हें विलुप्ति से बचाया जा सके और भावी पीढ़ियों के लिए महत्वपूर्ण किस्मों को संरक्षित किया जा सके।

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World Food Day 2024: क्यों मनाया जाता है वर्ल्ड फ़ूड डे, जानिए क्या है इसका महत्व?

वर्ल्ड फ़ूड डे हर साल 16 अक्टूबर को मनाया जाता है, जिसका उद्देश्य वैश्विक स्तर पर खाद्य सुरक्षा और भुखमरी के मुद्दे के प्रति जागरूकता बढ़ाना है। साल 2024 की थीम “बेहतर जीवन और बेहतर भविष्य के लिए भोजन का अधिकार” है, जो पर्याप्त भोजन तक पहुंच के मौलिक मानव अधिकार और भूख को मिटाने के लिए दुनिया भर की प्रतिबद्धता पर जोर देता है।

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स्थाई कृषि (Sustainable Agriculture) तक पहुँचने के लिए क्यों आसान नहीं है भारत की राह?

अंतर्राष्ट्रीय कृषि अर्थशास्त्रियों की 32वीं प्रेस कॉन्फ्रेंस में प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि जीरो एमिशन के लक्ष्य को हम पारंपरिक खेती के बजाय सस्टेनेबल फ़ार्मिंग (स्थाई कृषि) के जरिए पाया जा सकता है. लेकिन सस्टेनेबल फ़ार्मिंग (स्थाई कृषि) की ये राह भारत में इतनी आसान है क्या?

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