
यूपी(UP) के किसान 31 जुलाई तक फसलों का करायें बीमा, खेती किसानी से जुड़ी और खबरें पढ़ें
दिनभर की खेती किसानी से जुड़ी खबरों की न्यूज पोटली में आपका स्वागत है। चलिए देखते हैं आज की पोटली में किसानों के लिए क्या क्या नया है।
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इंडियन फार्मर्स फर्टिलाइजर कोआपरेटिव लिमिटेड (IFFCO) ने अपने नैनो उत्पादों और ड्रोन छिड़काव की पहल को शुरू करने के लिए, यूरिया की बिक्री के आधार पर लगभग 200 क्लस्टरों की पहचान की है। चालू खरीफ सीजन में शुरू होने वाले इस पहले चरण का लक्ष्य अगले कुछ वर्षों में कुल 8 लाख एकड़ को कवर…
इफको यानी इंडियन फार्मर्स फर्टिलाइजर कोऑपरेटिव लिमिटेड ने झारखंड में अपने एक और नए अभियान की शुरुआत की है. इसके तहत नैनो उर्वरकों के प्रयोग को बढ़ावा देने के लिए इफको द्वारा नैनो उर्वरक उपयोग संवर्धन अभियान की शुरुआत हुई है. इसके तहत इफको ने 200 मॉडल नैनो ग्राम समूह (क्लस्टर) चयनित किए हैं.
उत्तर प्रदेश सरकार किसानों को प्रमोशन ऑफ एग्रीकल्चरल मैकेनाइजेशन फॉर इन-सीटू मैनेजमेंट ऑफ क्रॉप रेज्ड्यू, (CRM) योजना के तहत फसल अवशेष प्रबंधन वाले कृषि यंत्रों पर किसानों को सब्सिडी दे रही है।
पंजाब वह राज्य है जो देश भर में बासमती उत्पादन में सबसे ज्यादा कॉनट्रिब्यूट करता है. इस बार वहाँ की सरकार को उम्मीदें हैं कि बासमती चावल की पैदावार बढ़ेगी. यह उम्मीद इस बात से दिखाई देती है कि इस बार पंजाब सरकार ने यह टारगेट रखा है कि इस बार राज्य में बासमती की बुवाई वाले क्षेत्र 40 परसेंट तक बढ़ेंगे.
दिनभर की खेती किसानी से जुड़ी खबरों की न्यूज पोटली में आपका स्वागत है। चलिए देखते हैं आज की पोटली में किसानों के लिए क्या क्या नया है।
ग्रामीण भारत इन दिनों डिजिटलाइज़ेशन और टेक्नोलॉजी की ओर तेजी से बढ़ रहा है। वही भारत सरकार भी देश के ग्रामीण और दूरदराज के क्षेत्रों में ब्रॉडबैंड और मोबाइल सेवाओं को बढ़ाने पर जोर दे रही है।
क्यों सूखे इलाके में बाढ़ की तस्वीरें हैं और भरपूर पानी वाले इलाकों में सूखा. पिछले दिनों राजधानी दिल्ली से लेकर बिहार तक हमने कई इलाके ऐसे देखे जहां पानी के लिए जद्दोजहद थी और उन्हीं जगहों के दूसरे इलाकों में बाढ़.
पंजाब सरकार किसानों को पराली(stubble) की समस्या से निपटने के लिये 500 करोड़ की लागत से नयी योजना तैयार कर रहा है। योजना के तहत किसान को, सहकारी समितियां, एफ़पीओ और पंचायतों को फसल अवशेष प्रबंधन (CRM) मशीनरी उपकरणों की लागत पर 50% से 80% तक सब्सिडी दी जायेगी।
वो ज़माना तो लगभग जा ही चुका है जब बैलों के जरिए खेती होती थी लेकिन लग रहा है कि अब ट्रैक्टर चलाने के लिए ड्राइवर की भी ज़रूरत खत्म होने वाली है और टेक्नोलॉजी खेती में नए नए अध्याय जोड़ रही है. महाराष्ट्र के अकोला में रहने वाले किसान विजेंद्र वरोकार ने कुछ ऐसा ही किया है कि वो चर्चा में आ गए हैं. उन्होंने अपने ट्रैक्टर मे एक ऐसी जर्मन तकनीक का इस्तेमाल किया है कि उनका ट्रैक्टर ड्राइवर रहित हो गया है. यह ट्रैक्टर बगैर किसी इंसान के खुद ही खेत की जुताई कर सकता है. इसके अलावा जुताई के साथ साथ यह बीजों की बुवाई में भी सक्षम है.