बाराबंकी (उत्तर प्रदेश)। 512 किलो प्याज बेचकर 2 रुपए की चेक पाने वाले महाराष्ट्र के किसान की कहानी बहुत लोगों को पता चल गई कि महाराट्र के प्याज किसान बर्बाद की कगार पर पहुंच गए हैं। प्याज की तरह आलू किसान भी परेशान हैं। उत्तर प्रदेश के किसानों को लाल आलू का 4 रुपए किलो का रेट मिल रहा है, जबकि किसानों के मुताबिक उसकी लागत ही 5 रुपए प्रति किलो से ज्यादा की है।
लखनऊ से सटे बाराबंकी जिले के अभिषेक कुमार के पास करीब 10 एकड़ में आलू था। जिसमे करीब 4000 बोरी (1 बोरी 50 किलो से ज्यादा) से ज्यादा उत्पादन हुआ है। लेकिन उनके पास सिर्फ 2000 बोरी आलू रखने का टोकन मिला है।
अपने खेत में ट्राली में आलू लोड करवा रहे अभिषेक न्यूज पोटली को बताते हैं, “आलू का मंडी में कोई भाव नहीं है। 400 रुपए कुंटल बेच देंगे तो लेबर की मजदूरी नहीं निकलेगी। मजबूरी में स्टोरी में रखना है लेकिन 4000-4200 बोरी की जगह किसी तरह कोल्ड स्टोरेज से 2000 बोरी का टोकन मिला है।”
अभिषेक के मुताबिक वो बाकी आलू के लिए जुगाड़ में लगे हैं, दौड़भाग से काम बना तो नए खुल रहे कोल्ट स्टोरेज में रखेंगे वर्ना घर में रखना मजबूरी है।
देखिए वीडियो-
अभिषेक के गांव से कुछ किलोमीटर दूर बसे बाराबंकी जिले में ही गदिया गांव के सुजीत वर्मा के पास भी करीब 2200 बोरी आलू है वो हमेशा से रबी सीजन में आलू की ही खेती करते हैं। लेकिन इस बार परेशान हैं। आलू की बोरी को सिलते हुए सुजीत कहते हैं, “इस बार ऊपर वाले के आशीर्वाद से उत्पादन अच्छा है, पिछले साल से ज्यादा आलू निकल रहा है लेकिन भाव नहीं है। बोरी समेत लाल आलू 4-6 रुपए किलो मांगा जा रहा है, जिससे 100 रुपए बोरी तो भरवाई और बोरी की लागत निकल जाएगी, तो बचेगा क्या?”
देश में आलू पैदा करने वाले राज्यों में पिछले 15-20 दिनों से आलू से खुदाई जारी थी जो अब चरम पर पहुंच गई है। देश में उत्तर प्रदेश, पंजाब, हरियाणा, पश्चिम बंगाल और बिहार में बड़े पैमाने पर आलू की खेती होती है। कृषि एवं किसान कल्याण मंत्रालय के मुताबिक देश में करीब 2200 हजार हेक्टयेर में आलू की खेती होती है। इस साल करीब 600 लाख टन से ज्यादा आलू के उत्पादन का अनुमान है। साल 2021-22 में 2200 हजार हेक्टेयर में आलू की बुवाई हुई थी और 53575 हजार मीट्रिक टन (535 लाख) आलू का उत्पादन हुआ था, जबकि इससे पहले साल 2020-21 में 2203 हजार हेक्टेयर में 56173 हजार मीट्रिक टन (560 लाख) उत्पादन हुआ था। बीज और कोल्ड स्टोरेज में रखने के लिए आलू की शुरुआत 20 फरवरी से हुई है। यूपी में ज्यादातर कोल्ड स्टोरेज 21 फरवरी को शुरु हुए हैं।
ज्यादा उत्पादन बना है कम रेट की वजह?
किसानों का कहना है इस बार मौसम ने उनका साथ दिया और फसल बेमौसम बारिश ओले आदि से बच गई लेकिन रेट से मात खा रही है। रिजवान अहमद जो गेहूं और आलू दोनों फसलें उगाते हैं वो कहते हैं। “पिछले साल गेहूं में लोगों को घाटा हुआ तो इस बार आलू बोया गया। पिछले साल आलू का रेट भी अच्छा था। इसलिए किसान ने आलू गेहूं-सरसों की जगह आलू बोया। पैदावार भी अच्छी है लेकिन रेट नहीं है। ”
रिजवान आगे कहते हैं, “कोल्ड स्टोरेज में आलू रख पाना टेढ़ी खीर है। अगर किसी के पास 500 बोरी आलू है तो 100 रख पा रहा है। स्टोरेज की हालत बहुत खराब है। लेकिन आलू अगर स्टोरेज में होगा तो ही लागत निकल पाएगी वरना तो लागत मिल पाना भी मुश्किल है।”
नोट-उद्यान विभाग से बात होते ही उनका पक्ष खबर में जोड़ा जाएगा।
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Arvind Shukla is a freelance journalist and founder of News Potli, a website that tells the stories of farmers, women, and tribal people.
Based in Lucknow, Uttar Pradesh, he grew up in a farming community and has spent years documenting the impact of climate threats, such as droughts, floods, and water shortages, on farmers and their livelihoods.
He has previously written about the plight of sugar workers, including a story focusing on how mills in Uttar Pradesh and Maharashtra owe sugarcane cutters billions in outstanding payments.