जानिए पद्मश्री पाने वाले केन मैन बख्शीराम और सिक्किम तुला राम उप्रेती?

डॉ. बक्शी राम, गन्ने की 14 किस्मों के जनक।

लखनऊ। पद्म पुरस्कारों में इस बार कुछ नाम देखकर किसान समुदाय को काफी खुशी हुई। इनमें एक हैं गन्ने की बेहतरीन किस्म CO-0238 के जनक और शोधक डॉक्टर बक्शी राम और दूसरे हैं सिक्कम में जैविक खेती को नया आयाम देने वाले 98 साल के तुला राम उप्रेती।

सरकार ने देश के तीन श्रेष्ठ सम्मान से सम्मानित होने वाले लोगों की लिस्ट जारी कर दी है। यह सम्मान अलग अलग क्षेत्रों जैसे कला, सामाजिक कार्य, विज्ञान, साहित्य और शिक्षा, व्यापार, खेल कूद आदि से जुड़े लोगो को दिया जाता है। इसकी घोषणा हर साल गणतंत्र दिवस पर की जाती है। भारत के प्रथम पुरूष इस सम्मान/पुरस्कार को राष्ट्रपति भवन में एक प्रोग्राम के दौरान देगें।

गन्ना मैन डॉक्टर बक्शी राम, बीच में.. प्रगतिशील किसान जबर पाल के खेत में.. फोटो साभार

74वें गणतंत्र दिवस की पूर्व संध्या पर पद्म पुरस्कारों की लिस्ट जारी हो गई है। लिस्ट के अनुसार इस बार कुल 106 लोगों को पद्म पुरस्कारों से सम्मानित किया जाएगा। जिसमें 6 पद्म विभूषण, 9 पद्म भूषण और 91 पद्म श्री शामिल हैं। सम्मानित लोगों की सूची में 19 महिलाएं भी हैं। इसी लिस्ट में खेती-किसानी पर काम करने वालों के नाम भी हैं जिन्होनें खोज करके देश की उन्नतशील खेती में अपना योगदान दिया है। बख्शी राम और तुला राम उप्रेती उन्ही चेहरों के नाम हैं और खेती क्षेत्र में पद्मश्री पुरस्कार से नवाज़े जाएंगे।

बख्शी राम और तुला राम उप्रेती जी ने देश को ऐसा क्या दिया, जिससे इनका चयन पद्म पुरस्कार के लिए हुआ है।

डॉ. बख्शी राम यादव का परिचय

दिल्ली के पास पंडवाला खुर्द गांव के निवासी डॉ. बख्शी की पढ़ाई हरियाणा एग्रीकल्चर यूनिवर्सिटी हिसार से हुई है और अपनी Phd भी यहीं से पूरी की हैं। साल 1984-86 तक इसी यूनिवर्सिटी में काम करने के बाद, गन्ना प्रजनन अनुसंधान संस्थान कोयंबटूर में सन 90 तक अपनी सेवा देते रहे और फिर करनाल के गन्ना प्रजनन अनुसंधान संस्थान में कार्यरत रहे। साल 2013 से 14 तक यूपी कौंसिल ऑफ शुगर केन में डायरेक्टर के पद पर रहकर गन्ने के क्षेत्र में अपनी भूमिका अदा की। फिर 2014 के बाद कोयंबटूर चले गए और  2021 तक वहीं अपनी सेवाएं दी।

डॉ. बख्शी जी ने करनाल के गन्ना प्रजनन संस्थान के क्षेत्रीय केंद्र में रहकर गन्ने की 24 किस्मों की खोज की। इन किस्मों में से CO-0238 किस्म की  अच्छी पैदावार ने हरियाणा और पंजाब के लगभग 50% से ज्यादा हिस्से पर अपनी पहचान बना रखी है और गन्ना किसानों के दिल में बस गई है। डॉ. बख्शी के इन्ही योगदानों के कारण इन्हे गन्ना क्रांति का पुरोधा भी माना जाता है।  

करनाल अनुसंधान केंद्र में वैज्ञानिक के पद पर नियुक्त हुए डॉ. बख्शी राम लगभग 24 सालों तक सेवा देते रहे। यहां काम करने के दौरान ही वो वरिष्ठ वैज्ञानिक बने और फिर प्रधान वैज्ञानिक के पद को भी संभाला। इसके बाद वो अनुसंधान केंद्र के अध्यक्ष बने। उनकी अगुवाई टीम ने गन्ने की कई प्रजातियां देश को दीं। जिन्होंने गन्ना उत्पादन क्षेत्र में अभूतपूर्व बदलाव लाकर गन्ना उत्पादन बढ़ाया। CO-0238 इन सभी प्रजातियों में ऐसी प्रजाति है, जो उत्तर भारत में अधिकांश किसानों तक पहुंची।

अलग-अलग जगहों पर काम करके गन्ने कि किस्मों और संबन्धित नीतियों में अपनी पूर्ण भूमिका निभाई और किसानों के हित में काम करते रहे।

तुला राम उप्रेती का घर. फोटो क्रेडिट सोम पांडे

तुला राम उप्रेती का परिचय

सिक्किम के रहने वाले तुला राम उप्रेती 98 साल की उम्र में देश के श्रेष्ठ सम्मान से सम्मानित किये जाएंगे। कृषि क्षेत्र में जैविक खेती को बढ़ावा देने जैसे उत्तम योगदानों के लिए पद्मश्री सम्मान के लिए चयनित हुए हैं। सिक्किम सरकार के ऑर्गेनिक मिशन की शुरुआत 6 दशक पहले ही तुला राम उप्रेती ने जैविक खेती को बढ़ावा देने के लिए कर दी थी। तुला राम उप्रेती बचपन से ही जैविक खेती करते हुए आएं हैं और पारंपरिक जैविक खेती को समझते समझाते हैं।

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