लखनऊ (उत्तर प्रदेश): लखनऊ के रहमानखेड़ा में स्थित केन्द्रीय उपोष्ण बागवानी संस्थान 40 साल का हो गया। संस्थान 4 सितंबर 1972 को एक आम अनुसंधान केंद्र के रूप में प्रारम्भ किया गया था जिसे 1 जून 1984 को एक पूर्ण संस्थान का दर्जा मिला। शुरू में यहां केवल आम पर शोध होता था। लेकिन अब आम, अमरूद, आंवला, बेल, जामुन के साथ अन्य फलों और सब्जियों पर भी शोध हो रहा है। इस स्थापना दिवस पर न्यूज पोटली ने संस्थान के निदेशक डॉ. टी. दामोदरन से बात की। उन्होंने बताया कि संस्था आगामी वर्षों में आम की रंगीन प्रजातियों पर काम कर रही है साथ ही ऐसी प्रजातियों पर काम किया जा रहा जो जलवायु परिवर्तन से लड़ने में सक्षम होगा। इसके अलावा अमरूद और जामुन की नई वेरायटी भी जल्द किसानों के लिए उपलब्ध होगी।
भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद के तहत लखनऊ स्थित सेंट्रल इंस्टिट्यूट फॉर सबट्रॉपिकल हॉर्टिकल्चयर पूरे उत्तर भारत में बागबानी के क्षेत्र में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहा है। उत्तर भारत के उपोष्ण क्षेत्र में जहां सर्दी और गर्मी दोनों चरम पर पड़ती हैं इसके बीच में फलों का विकास, उत्पादन और उनकी मार्केटिंग करना मुश्किल काम है। किसानों से जुड़े विषयों जैसे किस्म, रोग, मार्केटिंग आदि पर ये संस्था शोध करती रहती है और किसानों के बीच में इनके उपाय भी रखती है।