किसानों से गेहूं (Wheat procurement) की खरीद 30 जून से बंद हो गई। भारतीय खाद्य निगम (FCI) ने एक अप्रैल से देशभर की मंडियों में खरीद शुरू की थी। इन तीन महीनों के दौरान भारतीय खाद्य निगम ने 26.6 मिलियन टन (mt) की खरीद की। लेकिन ये केंद्र सरकार के टारगेट 37.3 मिलियन टन को पूरा नहीं कर पाया। माना जा रहा कि निजी व्यापारियों ने न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) ₹2,275/क्विंटल से अधिक पर खरीद की इसलिए मंडियों में गेहूं की आवक कम हो गई। केंद्र ने 2022-23 में 18.79 मिलियन टन और 2023-24 में 26.2 मिलियन टन की खरीद की थी। 2021-22 में खरीद रिकॉर्ड 43.34 मिलियन थी।
पंजाब और हरियाणा में 31 मई को समाप्त हुई खरीद 19.6 मिलियन थी जो उनके संयुक्त लक्ष्य 21 मिलियन का 93 प्रतिशत है। दूसरी ओर मध्य प्रदेश, उत्तर प्रदेश और राजस्थान में खरीद 16 मिलियन टन के संयुक्त लक्ष्य के मुकाबले 6.98 मिलियन टन पर समाप्त हुई।
सरकार गेहूं पर पहले ही स्टॉक लिमिट लगा चुकी है
जब 2021-22 में 43.3 मिलियन टन की रिकॉर्ड खरीद हुई थी तब खरीद केंद्रों या मंडियों में आवक 44.4 मिलियन टन थी। लेकिन चालू सीजन में आवक 36 मिलियन टन से अधिक दर्ज की गई जिसके बारे में व्यापारियों का कहना है कि मौजूदा बाजार स्थितियों में यह इतनी खराब नहीं है।
सरकार ने पिछले साल गेहूं कीमतों में किसी भी वृद्धि को रोकने के लिए साप्ताहिक ई-नीलामी के माध्यम से खुले बाजार में 10 मिलियन टन गेहूं बेचा था। हालांकि यदि बफर स्टॉक को 1 अप्रैल, 2025 को पिछले वर्ष की समान अवधि के स्तर पर रखा जाता है तो वार्षिक आवश्यकता 18.4 मीट्रिक टन से अधिक (खरीदी गई मात्रा से) केवल 8.2 मीट्रिक टन अधिशेष होगा।
24 जून को केंद्र ने गेहूं के हितधारकों पर स्टॉक सीमा आदेश लागू किया, जिसमें प्रोसेसर, व्यापारी, थोक विक्रेता और खुदरा विक्रेता किसी भी समय अधिकतम मात्रा निर्धारित कर सकते हैं। तत्काल प्रभाव से बनाया गया यह आदेश 31 मार्च, 2025 तक वैध रहेगा।
प्रत्येक व्यापारी या थोक विक्रेता किसी भी समय अधिकतम 3,000 टन गेहूं रख सकता है, जबकि खुदरा विक्रेता (बड़ी श्रृंखला सहित) के लिए सीमा 10 टन होगी और बड़ी श्रृंखला खुदरा विक्रेता के लिए यह सीमा 3,000 टन होगी। प्रोसेसर के लिए स्टॉक की सीमा मासिक स्थापित क्षमता (एमआईसी) के 70 प्रतिशत पर वित्त वर्ष 2024-25 के शेष महीनों से गुणा करके तय की गई है।