गर्मी बढ़ने पर गेहूं की फसल को कैसे दे ठंडक, समझिए एक्सपर्ट से

इस बार जरूरत से ज्यादा गर्म फरवरी और हर साल के मुकाबले इस साल मार्च में ज्यादा गर्मी पड़ने की आशंका ने किसानों को चिंता में डाल दिया है। किसानों को डर है कि इस बढ़ती गर्मी का असर उनके गेहूं के उत्पादन पर पड़ सकता है। बढ़ते तापमान में गेहूं की फसल बचाने के लिए कृषि वैज्ञानिक और जानकार फसल में हल्की सिंचाई की सलाह देते हैं। कृषि के जानकारों का मानना है कि, माइक्रो इरिगेशन सिस्टम के इस्तेमाल से गेहूं का उत्पादन 15-20 फीसदी तक बढ़ सकता है।

पंत नगर यूनिवर्सिटी के पूर्व प्रोफेसर और जैन इरिगेशन के कंसलटेंट डॉ. अशोक भारद्वाज के मुताबिक वो पिछले कई वर्षों से हरियाणा में प्रयोग कर रहे हैं, जिन किसानों ने तापमान बढ़ने पर अपने खेतों में ड्रिप से जड़ों में नमी बनाए रखी थी, या फिर स्प्रिकंलर या फव्वारा के द्वारा सिंचाई की थी उनकी पैदावार प्रभावित नहीं हुई थी।

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कैसे करें सिंचाई?
ड्रिप कूलिंग सिस्टम फसल को ठंडक पहुंचाने का एक अच्छा तरीका है। ड्रिप इरिगेशन में रात के समय सिंचाई की जाती है, जिससे जमीन का तापमान कंट्रोल रहता है, और फसल में ठंडक बनी रहती है। इससे फसल में दाना भरकर आता है और पैदावार बेहतर होती है। ड्रिप इरिगेशन में 30 सेमी. की दूरी पर 2 फिट के ड्रिप लगाए जाते हैं, जिससे प्रति घंटे 2 लीटर पानी फसल को सिंचित किया जा सकता है।

स्प्रिंकलर कूलिंग सिस्टम
स्प्रिंकलर कूलिंग सिस्टम भी फसल के लिए फायदेमंद है। जब तापमान 12 बजे से 4 बजे तक बढ़ता है, तो स्प्रिंकलर के जरिए 5 मिनट के लिए हल्की सी नमी दी जाती है, जिससे वाष्पीकरण की वजह से तापमान कम हो जाता है, और फसल को ठंडक मिलती है। ये सिस्टम खासतौर पर फसल की फलन अवस्था से पहले इस्तेमाल नहीं करना चाहिए, क्योंकि इससे फूल गिरने का डर होता है, लेकिन, फूल लगने के बाद, स्प्रिंकलर का उपयोग फसल के तापमान को नियंत्रित करने के लिए किया जा सकता है।

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एक एकड़ में 10 मीटर की दूरी पर 42 स्प्रिंकलर लगाने चाहिए, जिससे प्रति घंटे 300-400 लीटर पानी फसल को सिंचाई मिलती है। ये विशेष रूप से फरवरी और मार्च के बीच करना चाहिए, जब तापमान अधिक होता है, तब फसल को ठंडा रखने में मदद मिलती है।

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