दिल्ली। सरकार ने गेहूं की बढ़ती कीमतों को नियंत्रण में लाने के लिए एक बड़ा कदम उठाया है। सरकार ने प्रस्तावित गेहूं की आपूर्ति 4 लाख टन से बढ़ाकर 5 लाख टन कर दी है। इसके अलावा, एक लाख टन की आपूर्ति का 63% हिस्सा गेहूं के प्रमुख उत्पादक राज्यों – मध्यप्रदेश, पंजाब, हरियाणा, उत्तर प्रदेश, राजस्थान और हरियाणा को दिया गया है।
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आंकड़ों के अनुसार, पिछले सप्ताह की ई-नीलामी में सबसे ऊंची बोली उत्तर प्रदेश में 3,159 रुपये प्रति क्विंटल रही, जबकि न्यूनतम बोली 2,958 रुपये प्रति क्विंटल थी। कुल मिलाकर, 80.6 प्रतिशत आपूर्ति बिहार, असम, कर्नाटका, दिल्ली और महाराष्ट्र जैसे शीर्ष राज्यों को दी गई।
पिछले हफ्ते गेहूं की ई-नीलामी में सबसे ऊंची बोली उत्तर प्रदेश में प्रति क्विंटल 3,159 रुपये लगाई गई, जबकि न्यूनतम बोली 2,958 रुपये प्रति क्विंटल थी। वहीं, आने वाले फसल का उत्पादन पहले ही मध्य प्रदेश और गुजरात में हो चुका है, और बाकी राज्यों में 30 दिनों में हो जाएगा। इसके कारण मिलर्स 3,000 रुपये प्रति क्विंटल से अधिक नहीं चुकाने का अनुमान है, क्योंकि सरकार अगले फसल को 2,425 रुपये प्रति क्विंटल के MSP पर खरीदेगी।
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वहीं, बढ़ते तापमान के कारण अगले गेहूं की फसल पर भी अटकलें लगाई जा रही हैं। विशेषज्ञों का मानना है कि कृषि मंत्रालय, ICAR और निजी क्षेत्र के साथ इस समस्या का समाधान किया जा सकता है।