लखनऊ (उत्तर प्रदेश)। किसानों को मेंथा के रुप में कैश क्रॉप देने वाले सीमैप के किसान मेले के पहले दिन कई राज्यों के किसानों को मेंथा (पिपरमिंट) की उन्नत किस्मों का वितरण किया गया। किसान मेले का उद्घाटन प्रदेश के कृषि मंत्री सूर्य प्रताप शाही ने किया। इस दौरान उन्होंने किसानों की आमदनी को बढ़ाने के लिए किए जा रहे सीमैप के प्रयासों की सराहना भी की।
सीएसआईआर के ‘एक सप्ताह एक प्रयोगशाला’ कार्यक्रम के अंतर्गत मंगलवार को सीएसआईआर-केन्द्रीय औषधीय एवं सगंध पौधा संस्थान (सीएसआईआर-सीमैप) की ओर से लखनऊ कैंपस में भव्य किसान मेले का आयोजन किया गया। मेले में उत्तर प्रदेश के साथ ही बिहार, मध्य प्रदेश, पंजाब, पश्चिम बंगाल, हरियाणा, असम, राजस्थान, महाराष्ट्र, छत्तीसगढ़, गुजरात, कर्नाटक, और उत्तराखंड के लगभग 3000 किसानों, औषधीय और सगंध उद्योग जगत से जुड़े प्रतिनिधियों ने हिस्सा लिया।
मेले के मुख्य अतिथि के रुप में शामिल हुए प्रदेश के कैबिनेट मंत्री, (वित्त कृषि, कृषि शिक्षा और कृषि अनुसंधान) सूर्य प्रताप शाही ने उत्तर प्रदेश सरकार द्वारा किसानों के लिए हित में किए जा रहे कार्यों को गिनवाया। इसके साथ ही उन्होंने सीमैप द्वारा औंस प्रजातियों की नई किस्मों, मूल्यवर्धन और प्रसंस्करण सुविधाओं को विकसित करके किसान के आर्थिक उत्थान की दिशा में किए जा रहे प्रयासों की सराहना की। कृषि मंत्री शाही ने किसान को आय बढ़ाने के लिए पारंपरिक फसलों के साथ औषधीय और सुगंधित फसलों को शामिल करने पर जोर दिया।
मुख्य अतिथि कृषि मंत्री सूर्य प्रताप शाही का स्वागत करते हुए सीमैप के निदेशक डॉ. प्रबोध कुमार त्रिवेदी ने बताया कि सीएसआईआर-अरोमा मिशन के तहत 30,000 हेक्टेयर के लगभग अतिरिक्त भूमि में सगंध पौधों की खेती की जा रही है। देश लेमनग्रास और मिंट में आत्मनिर्भर होने के साथ ही अग्रणी निर्यातक बन चुका है। उन्होंने बताया कि अगैती मिंट तकनीकी का उपयोग कर किसान मौसम के चलते होने वाले मेंथा क्रॉप के नुकसान से बचा सकते हैँ।
इस दौरान विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी परिषद के निदेशक और समारोह के विशिष्ट अतिथि इंजीनियर अनिल कुमार यादव ने सीमैप के प्रयासों की सराहना करते हुए राज्य सरकार से राज्य सुगंध मिशन शुरू करने का आग्रह किया। उन्होंने यह भी कहा कि ट्रिलियन डॉलर की अर्थव्यवस्था हासिल करने के लिए औषधीय और सुगंधित पौधों खेती तथा प्रसंस्करण (processing ) की व्यापक गुंजाइश है। समारोह में आए शामिल हुए मुख्यमंत्री के सलाहकार डॉ. जीएन सिंह ने कहा कि यूपी सरकार ने सीएसआईआर प्रयोगशालाओं के सहयोग से किसानों की आय में सुधार के लिए कई पहल की हैं।
समारोह में किसान मेला स्मारिका “औस ज्ञान्या” का विमोचन, यूवी प्रोटक्शन हर्बल प्रोडक्ट सिम-कायाकवच, मेंथा की वैकल्पिक खेती की कृषि तकनीकी पुस्तिका एवं सीमैप द्वारा विकसित उन्नत प्रजातियों एवं तकनीकियों की जानकारी के लिए QR-code रिलीज किया गया।
इस मेले का मुख्य आकर्षण औषधीय एवं सगंध पौधों के बाज़ार की जानकारी, उन्नत पौध सामग्री व प्रकाशनों का विक्रय, उन्नत क़िस्मों व सीमैप उत्पादों का प्रदर्शन, आसवन इकाईयों प्रसंस्करण का सजीव प्रदर्शन रहा। इस दौरान सीएसआईआर-सीमैप की विभिन्न प्रयोगशालाओं, उद्योगों तथा सीमैप लाभार्थी किसानों द्वारा विकसित उत्पाद एवं तकनीकी का प्रदर्शन एवं वितरण भी किया गया। समारोह में किसानों को उच्च गुणवत्ता वाले बीज एवं पौध सामाग्री उपलब्ध करायी गई, इन फसलों में मेंथा, कालमेघ, खस, पामारोजा, अश्वगंधा, सतावर, मूसली, तुलसी, गिलोय, नीबूघास शामिल रहीं। हालांकि सीमैप द्वारा विकसित मेंथा कि किस्म कोसी, सिम क्रांति, और सिम उन्नति को लेकर किसानों को काफी उत्साह देखा गया। तीनों किस्मों की करीब 2000 किलो सामग्री किसानों को नर्सरी के लिए दी गई।
मेंथा- कम दिनों में कमाई कराने वाली फसल
उत्तर प्रदेश में गर्मियों के सीजन में मेंथा कई जिलों के हजारों किसानों के लिए कमाई की मुख्य फसल होती है। करीब 80-90 दिन की फसल में किसानों को गेहूं और सरसों तथा रबी सीजन के बाद की दूसरी फसलों के मुकाबले ज्यादा आमदनी मिलती है। उत्तर प्रदेश में अमूमन किसान जनवरी के आखिर से लेकर फरवरी में मेंथा की जड़ों के जरिए नर्सरी तैयार करते हैं और फरवरी से अप्रैल तक इसकी रोपाई करते हैं। मेंथा की पत्तियों में मिंट आयल होता है, इसलिए आसवन विधि से तेल निकाला जाता है। मेंथा ऑयल का औसत रेट 1000 रुपए के आसपास रहता है।
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