जलवायु परिवर्तन भारत की तरक्की की राह में सबसे बड़ा रोड़ा बन रहा है। पिछले कुछ सालों में बेमौसम बारिश, कहीं बाढ़, तो कहीं सूखा ना सिर्फ खेती-किसानी पर असर डाल रहा है, बल्कि पूरे देश की कामयाबी की राह में रुकावट बन रहा है। ये हिंदुस्तान के लिए चिंता की बात है, हाल ही में आई एशियाई विकास बैंक (ADB) की रिपोर्ट ने इस चिंता को और बढ़ा दिया है।
रिपोर्ट में अनुमान लगाया गया है कि तेजी से हो रहे जलवायु परिवर्तन की वजह से अगले कुछ सालों में समंदर का जल स्तर बढ़ सकता है और श्रम उत्पादकता में कमी आएगी। जिसकी वजह से साल 2070 तक भारत का सकल घरेलू उत्पाद (GDP) 24.7% तक घट सकती है।
ADB की इस रिपोर्ट में एशिया-प्रशांत क्षेत्र के विकासशील देशों पर जलवायु परिवर्तन का गहरा प्रभाव पड़ने की बात कही गई है। रिपोर्ट में बताया गया है कि ग्रीनहाउस गैस उत्सर्जन आउटलुक के तहत, 2070 तक विकासशील एशिया-प्रशांत क्षेत्र में GDP में 17.9% की गिरावट आ सकती है। ये कमी 2100 तक बढ़कर 41% होने के आसार हैं।
किन देशों पर कितना असर पड़ेगा?
रिपोर्ट की माने तो क्लाइमेट चेंज से बांग्लादेश को सबसे ज्यादा नुकसान उठाना पड़ सकता है। भारत के पड़ोसी मुल्क बांग्लादेश की GDP 30.5% तक गिर सकती है। इसके बाद वियतनाम का नंबर आता है। यहां की GDP में 30.2% तक की गिरावट संभव है। इंडोनेशिया की 26.8% और भारत की 24.7% तक GDP गिर सकती है।
रिपोर्ट में चेतावनी दी गई है कि अगर जलवायु संकट बढ़ता है तो क्षेत्र के 30 करोड़ से ज्यादा लोग तटीय बाढ़ से प्रभावित हो सकते हैं। इससे 2070 तक तटीय संपत्तियों को हर साल खरबों डॉलर का नुकसान हो सकता है। रिपोर्ट में बताया गया है कि 2021 में ग्लोबल ग्रीनहाउस गैस उत्सर्जन के लगभग आधे हिस्से के लिए एशिया-प्रशांत क्षेत्र जिम्मेदार था। इसमें चीन, दक्षिण एशिया और दक्षिण पूर्व एशिया का बड़ा योगदान था।
ADB के प्रेसीडेंट मसात्सुगु असकावा ने कहा है कि, जलवायु परिवर्तन ने तूफान, गर्मी की लहरों और बाढ़ से तबाही को और बढ़ा दिया है। इससे अभूतपूर्व आर्थिक चुनौतियां और मानवीय पीड़ा पैदा हुई है। अगर इसे बेहतर करने के लिए जल्द ही कोई कदम नहीं उठाया गया तो, ये बड़ी दिक्कत दे सकता है।
ADB की रिपोर्ट में भूस्खलन और बाढ़ के बढ़ते जोखिमों पर भी रौशनी डाली गई है। ये खास तौर पर भारत और चीन के बीच सीमावर्ती क्षेत्रों में चिंता की बात है। वैश्विक तापमान में इजाफा होने पर भूस्खलन की संख्या भी बढ़ सकती है। इसके अलावा, तूफान और चक्रवात और भी विनाशकारी हो सकते हैं। कृषि जैसे जलवायु-निर्भर क्षेत्रों में उत्पादन कम हो सकता है।
क्लाइमेट चेंज: किसानों का सबसे बड़ा दुश्मन