किसानों की आमदनी दोगुनी करने के लिए एग्रोफॉरेस्ट्री को बढ़ावा देने जा रही सरकार

सरकार ने खेती वाली ज़मीनों पर पेड़ों की कटाई को आसान बनाने के लिए मॉडल नियम जारी किए हैं। इससे किसानों की आय दोगुनी करने, वन क्षेत्र के बाहर वृक्षारोपण बढ़ाने और जलवायु परिवर्तन को कम करने में मदद मिलेगी।

केंद्र की नरेंद्र मोदी सरकार ने किसानों के हित में बड़ा फैसला लिया है। केंद्र ने कृषि वानिकी यानि Agroforestry को बढ़ावा देने और कृषि भूमि पर पेड़ों की कटाई को आसान बनाने के लिए मॉडल नियम जारी किए हैं। राज्य सरकारों को 19 जून को भेजे गए पत्र में पर्यावरण मंत्रालय ने कहा कि, कृषि भूमि पर पेड़ों की कटाई के लिए मॉडल नियम का उद्देश्य कृषि वानिकी में कारोबारी सुगमता को बढ़ाना और किसानों को बिना किसी दिक्कत के पेड़ों से आमदनी बढ़ाने के लिए प्रोत्साहित करना है।

कृषि वानिकी को बढ़ावा देने का मकसद

सरकार किसानों की आय दोगुनी करने, जंगलों के बाहर पेड़ों का आवरण बढ़ाने, जलवायु परिवर्तन को कम करने, लकड़ी के आयात को कम करने और टिकाऊ भूमि उपयोग सुनिश्चित करने के लिए Agroforestry को बढ़ावा दे रही है। मंत्रालय के मुताबिक, कृषि भूमि पर पेड़ों की कटाई के लिए स्पष्ट, सुसंगत नियमों की कमी एक बड़ी रुकावट है, जो कृषि वानिकी उत्पादों की खेती और विपणन को प्रभावित करती है।

ड्राफ्ट के मुताबिक, लकड़ी आधारित उद्योग (स्थापना और विनियमन) दिशानिर्देश, 2016 के तहत पहले से गठित राज्य स्तरीय समिति (SLC) इन नियमों के लिए समिति के रूप में भी काम करेगी। इसमें अब राजस्व और कृषि विभागों के अधिकारी भी शामिल होंगे। समिति राज्य सरकार को सलाह देगी कि, कैसे कृषि वानिकी को बढ़ावा दिया जाए और पेड़ों की कटाई और पारगमन के नियमों को आसान बनाकर कृषि भूमि से लकड़ी का उत्पादन बढ़ाया जाए।

NTMS पोर्टल पर रजिस्ट्रेशन क्यों ज़रूरी

ये आवेदनों के सत्यापन और कृषि भूमि से लकड़ी के पारगमन के लिए एजेंसियों को सूचीबद्ध करेगी। आवेदकों को अपनी रोपण भूमि को राष्ट्रीय लकड़ी प्रबंधन प्रणाली (NTMS) पोर्टल पर पंजीकृत करना होगा। उन्हें ज़मीन का मालिकाना हक और अपनी कृषि भूमि का स्थान दर्ज करना होगा। उन्हें मूल रोपण विवरण देना होगा, जिसमें प्रजातियों के अनुसार पौधों की संख्या, रोपण तिथि (महीना और वर्ष) और पौधों की औसत ऊंचाई शामिल है।

आवेदकों को SLC की ज़रूरत के मुताबिक इस जानकारी को अपडेट भी करना होगा। हर पेड़ की केएमएल फाइल फॉर्मेट में जियोटैग की गई तस्वीरों के साथ फोटो खींची जानी चाहिए। इन विवरणों की निगरानी वन, कृषि और पंचायती राज विभागों के क्षेत्रीय अधिकारी करेंगे।

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