पंजाब

पंजाब के किसानों को केंद्र सरकार का भरोसा, हरसंभव मदद मिलेगी: कृषि मंत्री शिवराज सिंह चौहान

केंद्रीय कृषि मंत्री शिवराज सिंह चौहान ने दिल्ली में खरीफ बुवाई और बाढ़ की स्थिति की समीक्षा की। उन्होंने कहा कि पंजाब के किसानों को चिंता करने की जरूरत नहीं है, क्योंकि केंद्र सरकार हरसंभव मदद करेगी। मंत्री ने भरोसा दिलाया कि वे जल्द ही पंजाब के बाढ़ प्रभावित इलाकों का दौरा कर किसानों से मिलेंगे। बैठक में यह भी बताया गया कि इस साल बुवाई का क्षेत्र बढ़ा है और आलू, प्याज, टमाटर जैसी सब्जियों का उत्पादन बेहतर है। चौहान ने अधिकारियों को किसानों को बागवानी और इंटीग्रेटेड फार्मिंग की ओर प्रोत्साहित करने के निर्देश दिए, ताकि कम लागत में अधिक लाभ कमाया जा सके और कृषि का समग्र विकास हो।

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पंजाब कृषि विश्वविद्यालय

धान से लेकर कपास तक… फसलों को नुकसान से बचाने के उपाय

पंजाब कृषि विश्वविद्यालय ने बाढ़ के बाद फसलों को बचाने के लिए किसानों को सलाह दी है। खेतों से जल्दी पानी निकालने पर जोर दिया गया है। धान-बासमती में यूरिया, पोटेशियम नाइट्रेट और फफूंदनाशक छिड़काव की सलाह है। मक्का, ज्वार और बाजरा में नुकसान के हिसाब से यूरिया का प्रयोग करने को कहा गया है। कपास किसानों को पैराविल्ट और गुलाबी सुंडी से बचाव के उपाय बताए गए हैं। वहीं, फलदार पेड़ों की देखभाल, टूटी शाखाओं की छंटाई और मिट्टी में नाइट्रोजन-पोटेशियम खाद डालने की हिदायत दी गई है।

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सस्ती तरल खाद

ड्रैगन फ्रूट की हाई-डेंसिटी खेती से बढ़ी कमाई, सस्ती तरल खाद से 80% तक कम हुआ खर्च

मुंबई के स्मिथ देढिया ने स्पेन से MBA करने के बाद खेती को चुना और कच्छ में ड्रैगन फ्रूट की आधुनिक खेती शुरू की। उन्होंने हाई-डेंसिटी तकनीक, ट्रेलिस सिस्टम और एडवांस ड्रिप सिंचाई से पैदावार बढ़ाई। साथ ही 25 टन टैंक में गोबर, SSP और DAP मिलाकर सस्ती तरल खाद तैयार करने की तकनीक विकसित की, जिससे पौधों की ग्रोथ तेज़ होती है और खाद का खर्च 80% तक घट जाता है। उनकी कहानी बताती है कि आधुनिक तकनीक से खेती को मुनाफ़े का बिज़नेस बनाया जा सकता है।

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हाई डेंसिटी फार्मिंग

हाई डेंसिटी फार्मिंग: कम जमीन में ज्यादा पैदावार का नया तरीका

हाई डेंसिटी फार्मिंग आधुनिक खेती की तकनीक है, जिसमें पौधों को कम दूरी पर ज़्यादा संख्या में लगाया जाता है ताकि कम ज़मीन से अधिक उत्पादन मिल सके। इसमें पौधों की छंटाई, आकार नियंत्रण, टपक सिंचाई और बेहतर किस्म के पौधों का इस्तेमाल किया जाता है। इस पद्धति से किसानों को जल्दी और बेहतर क्वालिटी की पैदावार मिलती है, जिससे मुनाफ़ा कई गुना बढ़ जाता है। इसका उपयोग आम, अमरूद, केला, संतरा और सब्ज़ियों की खेती में सबसे ज़्यादा होता है।

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बिहार

बांस मिशन योजना की शुरुआत, बिहार के किसानों को मिलेगा 50% अनुदान

सरकार ने 17 साल बाद फिर से बांस मिशन योजना शुरू की है। 10 से 50 डिसमिल जमीन पर बांस लगाने वाले किसानों को कुल खर्च का 50% अनुदान मिलेगा। रकम तीन किस्तों में दी जाएगी और सीधे बैंक खाते में जाएगी। योजना के लिए ऑनलाइन आवेदन करना होगा और पहले आओ, पहले पाओ के आधार पर लाभ मिलेगा। जिले में 17 हेक्टेयर में खेती का लक्ष्य रखा गया है। बांस की खेती से किसानों को लंबे समय तक कमाई होगी क्योंकि इसकी बाजार में हमेशा मांग रहती है।

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बिहार

बिहार में मखाना किसानों को बड़ी सौगात, 16 जिलों में खेती के विस्तार के लिए किसानों को मिलेगी 75% सब्सिडी

बिहार सरकार ने मखाना की खेती को बढ़ावा देने के लिए मखाना अवयव योजना शुरू की है। इस पर दो साल में करीब 17 करोड़ रुपये खर्च होंगे। योजना से राज्य के 16 जिलों के किसान लाभान्वित होंगे। किसानों को मखाना की खेती पर 75% यानी 72,750 रुपये प्रति हेक्टेयर अनुदान मिलेगा और पारंपरिक उपकरण किट पर भी 75% सहायता दी जाएगी। इसके अलावा किसानों को उन्नत किस्मों के बीज उपलब्ध कराए जाएंगे।

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मराठवाड़ा और विदर्भ में सबसे ज्यादा नुकसान

महाराष्ट्र में बारिश से 8 लाख हेक्टेयर फसल बर्बाद, मराठवाड़ा और विदर्भ में सबसे ज्यादा नुकसान

महाराष्ट्र में अगस्त की ज्यादा बारिश से करीब 8 लाख हेक्टेयर फसलें बर्बाद हो गईं, जिनमें मराठवाड़ा, विदर्भ, पश्चिमी और उत्तर महाराष्ट्र सबसे ज्यादा प्रभावित हैं। नांदेड और वाशीम जिले में सबसे ज्यादा नुकसान हुआ है। कपास, सोयाबीन, तुर, मक्का और अनार की फसलें बुरी तरह प्रभावित हुई हैं। किसानों का कहना है कि नुकसान का सही आकलन नहीं हुआ और पिछली बीमा राशि भी अब तक नहीं मिली। सरकार ने सर्वे कर मुआवजा देने का आश्वासन दिया है।

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जय सिंह

आलू की खेती की मास्टरक्लास, जय सिंह की 40 साल की खेती का अनुभव

उत्तर प्रदेश के बहराइच ज़िले के प्रगतिशील किसान जय सिंह 40 साल से आलू और केले की खेती कर रहे हैं। वे खेत को तीन बार रोटावेटर से तैयार कर गोबर की खाद डालते हैं। उन्होंने बताया कि एक एकड़ में 12–15 क्विंटल बीज आलू (40–50 ग्राम) लगता है, जिसे उपचार के बाद बोया जाता है। पहली सिंचाई हल्की और बाद में पौधों की छतरी बनने पर पानी दिया जाता है। खाद में NPK, यूरिया, मैग्नीशियम और जिंक का संतुलन उनकी पैदावार को बेहतर बनाता है।

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बिहार कृषि विभाग

केले की फसल पर काला सिगाटोका रोग का खतरा, बिहार कृषि विभाग ने किसानों को दी अहम सलाह

बिहार सरकार ने किसानों को चेताया है कि केले की फसल में काला सिगाटोका नामक फफूंदजनित रोग तेज़ी से फैल रहा है। यह रोग पत्तियों पर काले धब्बे और धारियाँ बनाता है, जिससे फल समय से पहले पककर खराब हो जाते हैं और किसानों को भारी नुकसान झेलना पड़ सकता है। कृषि विभाग ने बचाव के लिए कॉपर ऑक्सीक्लोराइड 50% का छिड़काव करने की सलाह दी है। बिहार केले की खेती में अहम भूमिका निभाता है और हर साल लगभग 14.57 लाख टन उत्पादन करता है, जो देश के कुल उत्पादन का 4–5% है।

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किसान सलाहकारों का मानदेय बढ़ा

बिहार सरकार का बड़ा फैसला, किसान सलाहकारों का बढ़ा मानदेय

बिहार के 7047 किसान सलाहकारों का मानदेय 13,000 रुपये से बढ़ाकर 21,000 रुपये प्रति माह कर दिया गया है। नई व्यवस्था 1 अप्रैल 2025 से लागू होगी। मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की अध्यक्षता में हुई कैबिनेट बैठक में यह निर्णय लिया गया। किसान सलाहकार किसानों को बीज, खाद, पानी, फसल प्रबंधन और तकनीकी जानकारी देने का काम करते हैं। सरकार का मानना है कि इस फैसले से किसानों को बेहतर मार्गदर्शन मिलेगा और कृषि उत्पादन बढ़ेगा।

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