सभी फसलों पर MSP गारंटी कानून और इसके साथ ही किसानों की दूसरी मांगों को लेकर किसान नेताओं ने आंदोलन कार्यक्रम शुरू कर दिया है। आज, 22 जुलाई को दिल्ली(Delhi) के कॉन्स्टीट्यूशनल क्लब में संयुक्त किसान मोर्चा (नॉन पॉलिटिकल) और किसान मजदूर मोर्चा ने बैठक की जिसमें किसान आंदोलन को लेकर आगे की रणनीति के बारे में बात की।
SKM यानी संयुक्त किसान मोर्चा और किसान मजदूर मोर्चा ने एक बार फिर से केंद्र सरकार के खिलाफ किसानों के आंदोलन की घोषणा की है। इन नेताओं ने MSP कानून की गारंटी, ऋण माफी, फसल बीमा, किसानों और खेतिहर मजदूरों की पेंशन, बिजली के निजीकरण को वापस लेने और अन्य मांगों को लेकर आंदोलन शुरू करने का फैसला किया है।
इसी पर चर्चा के लिए आज, 22 जुलाई को संयुक्त किसान मोर्चा और किसान मजदूर मोर्चा का साझा सम्मेलन नई दिल्ली के कॉन्स्टिट्यूशन क्लब में हुआ जिसमें देशभर से 150 से अधिक संगठनों के नेताओं ने भाग लिया। सम्मलेन में मुख्य तौर पर पूर्व केंद्रीय कृषि मंत्री सोमपाल शास्त्री, कृषि विशेषज्ञ देवेंद्र शर्मा, कर्नाटक एग्रीकल्चर प्राइस कमीशन के पूर्व चेयरमैन प्रकाश कामारेडी आदि ने MSP गारंटी कानून के मुद्दे पर विस्तार से तथ्यों के साथ बात रखी और कहा कि यदि सरकार में राजनीतिक इच्छाशक्ति हो तो MSP गारंटी कानून बनाने के लिए देश में पर्याप्त आर्थिक संसाधन मौजूद हैं। किसान नेताओं ने कहा कि 1 अगस्त से 22 सितंबर तक अलग-अलग दिनों में प्रदर्शन कार्यक्रम आयोजित किए जाएंगे।
सम्मेलन में ये लोग भी थे मौजूद
सम्मेलन की शुरुआत किसान नेता जगजीत सिंह डल्लेवाल ने करी और समापन सरवन सिंह पंधेर ने अपने सम्बोधन से किया। आज मुख्य तौर पर कर्नाटक से क़ुर्बुरु शांताकुमार, जसविंदर सिंह लोंगोवाल, पी आर पांड्यन, लखविंदर सिंह औलख, सुखजिंदर खोसा, अमरजीत मोहड़ी, प्रह्लाद कारवड़िया, ज़फर खान मेवाती, सुरजीत सिंह फूल राजिंदर चहल, हरपाल चौधरी, अनिल तालान, अनीश खटकड़, मनिंदर मान, रंजीत राजू, कपिल सिद्धू, अमरजीत राडा, सतनाम बगड़िया, सुखजीत सिंह, बलदेव सिंह सिरसा, गुरमणित मांगट, गुरदास सिंह, हरसुलिन्दर सिंह, अनिल श्योपुर, गुरिंदर भंगू, सुखदेव सिंह भोजराज, पीटी जॉन, रमनदीप मान, आनंद कुमार, आरनन्द कुमार, परमजीत सिंह, हामिद मलिक, अशोक बल्हारा आदि मौजूद रहे।
1 अगस्त से 22 सितंबर तक किसान आंदोलन कार्यक्रम
1) 1 अगस्त को MSP गारंटी कानून के पक्ष में और किसानों के हत्यारे अधिकारियों को राष्ट्रपति मैडल दिए जाने के खिलाफ देशभर में जिला मुख्यालयों तक मार्च कर के भाजपा के पुतले जलाए जाएंगे ।
2) 31 अगस्त को किसान आंदोलन – 2 के 200 दिन पूरे होने पर किसानी मोर्चों पर बड़ी महापंचायत आयोजित करी जायेगी।
3) किसान आंदोलन को गाँव-गाँव तक पहुंचाने के लिए 3 किसान महापंचायत देशभर में आयोजित करी जाएंगी।
4) पहली 1 सितम्बर को उत्तर प्रदेश के संभल में, दूसरी 15 सितम्बर को हरियाणा के जींद जिले की उचाना मंडी में और तीसरी 22 सितम्बर को कुरुक्षेत्र की पिपली मंडी में आयोजित करी जाएंगी।
क्या है MSP गारंटी कानून?
देश में चल रहे किसान आंदोलन में किसान लगातार सरकार से MSP कानून गारंटी की मांग कर रहें है।आख़िर ये है क्या? MSP यानी न्यूनतम समर्थन मूल्य वह न्यूनतम मूल्य है, जिस पर सरकार किसानों से उनकी फसल खरीदती है।फसल की बुवाई के दौरान ही इसकी कीमत तय कर दी जाती है। फसल की क़ीमत बाजर में घटे या बढ़े इससे कोई फ़र्क़ नहीं पड़ता।
MSP कई सारी बातों को ध्यान में रखकर तय किया जाता है। इसे कृषि लागत और मूल्य आयोग CACP की सिफारिशों पर तय किया जाता है।MSP तय करने के लिए सरकार फसल के लिए उत्पाद की लागत, बाजार में इसकी कीमत, सप्लाई एंड डिमांड की स्थितियां आदि को देखती हैं।
इस समय कुल 23 फसलों पर MSP लागू है, इनमें 7 अनाज जैसे ज्वार, बाजरा, मक्का, गेहूं, धान, जौ और रागी शामिल हैं. साथ ही, 5 दालें- मूंग, अरहर, चना, उड़द और मसूर के अलावा, 7 तिलहन भी आते हैं। इनमें सोयाबीन, कुसुम, तिल, सूरजमुखी, मूंगफली, तोरिया-सरसों और नाइजर बीज होती है। यही नहीं, इन फसलों की लिस्ट में 4 कमर्शियल फसलें- कपास, खोपरा, गन्ना और कच्चा जूट भी शामिल है।
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