Ashish yadav

चाय के बागानों का कड़वा घूंट कौन पीता है?

230 रुपये दिन की दिहाडी है चाय के बागानों में काम करने वाले मजदूरों की।सरकार और बागान मालिक मिलकर इन श्रमिकों के लिए योजनाओं के तहत काम
भी करते हैं फिर भी मजदूर वर्ग है ना-खुश। न्यूज पोटली को इसके पीछे के तीन कारण मिलें पहली नेपाल, दूसरी जलवायु परिवर्तन और तीसरी पैदावार और क्वालिटी के मुताबिक रुपये नहीं मिल पाना।

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अपोलो और गोदरेज जैसी बड़ी कम्पनियां उन्नति कॉपरेटिव से खरीदती हैं जैविक और आयुर्वेदिक प्रोडक्ट

उन्नति से जुड़े 400 से ज्यादा लोग हिमालय की शिवालिक पहाडियों से वन संपद्दा, जड़ी बूटियां और औषधियां आप तक पहुंचाते हैं। उन्नति के पास 32 हजार एकड़ का जैविक सर्टिफाइड जंगल है

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कांच की बोतल या पैकट में आने वाला दूध कैसे होता है पैक और पाश्चराइज्ड

एक साथ 40 गायों का दूध नहीं निकाला जा सकता हैं 500 गायों के दूध निकालने में लगभग 2 से ढ़ाई घण्टे लगते हैं। दूध की लाइफ बढ़ाने के लिए किया जाता दूध पाश्चुराइज, सूक्ष्म वैक्टीरिया मर जाते है और दूध को जल्दी खट्टा या फटने से बचाया जा सकता है।

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किसान कीटनाशक के बजाय आईपीएम में करें इन्वेस्ट, लागत में आएगी कमी

फसल में कीट-पंतगों के अटैक से फसल बर्बाद हो रही, उसे रोकने के लिए किसान बाजार से तरह तरह के कीटनाशक का छिड़काव करता रहता हैं। इन सब से किसान की लागत में भी बढ़ोत्तरी आ रही है। किसान कीटनाशक के बजाय IPM पर इन्वेस्ट करे तो अपनी लागत में कमी ला सकता है।

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पारम्परिक खेती छोड़ किसान ने शुरू की अंजीर की खेती, हो रहा लाखों का मुनाफा

दुनियभर में फिग यानि अंजीर की 20 से ज्यादा किस्में खाने योग्य हैं। भारत में, कोंड्रिया, तिमला,चालिसगांव, फिग डायना, पूना फिग और फिग दिनकर काफी प्रचलित हैं। पूना फिग को महाराष्ट्र क्षेत्र के लिए उपयुक्त बताया जाता है।

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“गन्ने की खेती मेरे डीएनए में है”, मिलिए 1000 कुंटल प्रति एकड़ गन्ना उगाने वाले महाराष्ट्र के प्रगतिशील किसान से

महाराष्ट्र का ये युवा किसान अपने खेतों में प्रति एकड़ 1000 कुंटल से ज्यादा गन्ना पैदा करता ही है और यही तकनीकी दूसरे किसानों को सिखाता भी है। महाराष्ट्र और भारत के दूसरे राज्य ही नहीं, नेपाल तक के किसान उनसे ज्यादा गन्ना पैदा करने के लिए ट्रेनिंग लेने आते हैं।

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खेत में जलभराव की समस्या के लिए बेहतरीन समाधान

खेत में पानी भर जाने पर इंजन लगाकर पानी को खेत से बाहर निकालते हैं पर उसमें भी समय और पैसा लगता है और फसल को नुकसान तो हो ही चुका होता है। जलभराव की इन समस्याओं को एक सिस्टम लगाकर खत्म किया जा सकता हैं।

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भीषड़ गर्मी में तरोताजा होना है तो इन चीजों को खाना शूरू करें

बढ़ती गर्मी से हमारा शरीर परेशान हो जाता है, शरीर का तापमान सही बना रहे, ज्यादा पसीना न निकले इसके लिए हम पंखा, कूलर, ऐसी इन सबका इस्तेमाल करते हैं, पर क्या इससे आपके शरीर को अंदर से सच में राहत मिल जाती है, क्या सच में शरीर में ताजगी आ जाती है?

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