यूपी के बहराइच के किसान जय सिंह 1983 से प्राकृतिक तरीकों से केले की खेती कर रहे हैं। वे गोबर की खाद, ढेंचा की ग्रीन मैन्यूरिंग और सोलराइजेशन तकनीक का उपयोग करते हैं, जिससे मिट्टी उपजाऊ और कीटों से मुक्त रहती है। उनकी विधि से केले की फसल 75–80 दिनों में तैयार होती है और उपज बेहतर मिलती है। जय सिंह की तकनीक कम लागत, अधिक मुनाफा और पर्यावरण संरक्षण का बेहतरीन उदाहरण है।
प्रकृति के साथ कदम मिलाकर खेती करने वाले किसान जय सिंह ने यह साबित कर दिया है कि रासायनिक खादों और महंगे कीटनाशकों के बिना भी खेती लाभदायक हो सकती है। उत्तर प्रदेश के बहराइच जिले के रहने वाले जय सिंह 1983 से केले की खेती कर रहे हैं और अब वे अपनी नवाचारपूर्ण तकनीकों के लिए पूरे प्रदेश में जाने जाते हैं। उनकी खेती का तरीका न केवल कम लागत वाला है, बल्कि पर्यावरण के अनुकूल और उच्च उत्पादन देने वाला भी है।

ऊँची बेड पर पौधारोपण और शाम की रोपाई
जय सिंह केले के पौधे 4 से 6 इंच ऊँचे बेड पर पूर्व-पश्चिम दिशा में लगाते हैं। पौधों के बीच लगभग 5.75 फीट की दूरी रखी जाती है, जिससे धूप और हवा का संतुलन बना रहे। वे शाम के समय पौधारोपण और रात में सिंचाई की सलाह देते हैं ताकि पौधों को गर्मी से नुकसान न हो और झटका कम लगे।

गोबर की खाद से मिट्टी को बनाते हैं उपजाऊ
जय सिंह रासायनिक खादों की जगह गोबर की नमीदार खाद (FYM) का इस्तेमाल करते हैं। इससे मिट्टी की उर्वरता बढ़ती है और पौधों को प्राकृतिक पोषण मिलता है। वे ढेंचा (सन हेम्प) की ग्रीन मैन्यूरिंग भी करते हैं, जिससे मिट्टी में नाइट्रोजन और जैविक तत्वों की मात्रा बढ़ जाती है।

75–80 दिनों में तैयार होती है फसल
जय सिंह बताते हैं कि 15 मई के बाद फूलने वाले केले के गुच्छे आमतौर पर A ग्रेड के होते हैं, जिनकी लंबाई 19 सेंटीमीटर या उससे ज्यादा होती है। उनकी फसल लगभग 75 से 80 दिनों में कटाई के लिए तैयार हो जाती है।

कीट नियंत्रण के लिए प्राकृतिक उपाय
केला बीटल (Banana Weevil) से बचाव के लिए वे मार्च से जून के बीच 1 मिली लीटर फोलियर स्प्रे प्रति लीटर पानी के हिसाब से छिड़काव करने की सलाह देते हैं। यह प्रक्रिया नीचे के सकर काटने के बाद की जाती है ताकि पौधे स्वस्थ रहें।

सोलराइजेशन से मिट्टी की सफाई
जय सिंह सोलराइजेशन तकनीक अपनाते हैं, जिसमें खेत की मिट्टी को धूप में खुला छोड़कर हानिकारक जीवाणुओं और कीटों को खत्म किया जाता है। वे गहरी जुताई, साफ-सुथरा खेत और सही दूरी पर पौधे लगाने पर विशेष ध्यान देते हैं।

टिकाऊ खेती की मिसाल
जय सिंह की प्राकृतिक और वैज्ञानिक खेती की पद्धति ने उन्हें न केवल प्रदेश का अग्रणी किसान बनाया है, बल्कि उनकी तकनीक आज सतत और लाभदायक केले की खेती के लिए एक प्रेरणादायक मॉडल बन चुकी है।
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पूजा राय ने बनारस हिंदू विश्वविद्यालय (BHU) से पढ़ाई की है।
Lallantop में Internship करने के बाद NewsPotli के लिए कृषि और ग्रामीण भारत से जुड़ी खबरें लिखती हैं।