केंद्रीय कृषि एवं किसान कल्याण और ग्रामीण विकास मंत्री शिवराज सिंह चौहान ने प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना के अंतर्गत किसानों का खरीफ सीजन में ज्यादा से ज्यादा नामांकन करने और ग्रामीण विकास मंत्रालय के तहत राष्ट्रीय ग्रामीण आजीविका मिशन में स्वयं सहायता समूहों (SHG) की सदस्य बहनों की तरक्की के लिए उन्हें अधिक लोन देने के संबंध में आज सभी बैंकों व राज्य सरकारों की वर्चुअल बैठक ली।
शिवराज सिंह ने सभी बैंकों को निर्देश दिए कि वे महिलाओं को लोन देने के लिए फोकस कर कवरेज बढ़ाएं, साथ ही दूरदराज व दुर्गम क्षेत्रों पर भी फोकस करके काम करें, ताकि बेहतर नतीजे मिल सकें। उन्होंने निर्णय लिया कि वर्तमान खरीफ सीजन के फसल बीमा में ज्यादा से ज्यादा किसानों को सुरक्षा कवच देने के लिए 16 से 30 अगस्त तक देशभर में अभियान चलाया जाएगा।
बिना गांवों के भारत नहीं जाना जा सकता
केंद्रीय मंत्री शिवराज सिंह ने इस महत्वपूर्ण बैठक में कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जी के नेतृत्व में विकसित भारत के निर्माण का महायज्ञ चल रहा है। उन्होंने कहा कि हमारे देश की विकास की गति और दिशा, दोनों देखकर दुनिया हैरान भी है और कुछ परेशान भी। अनेक लक्ष्यों को हमने प्रधानमंत्री के नेतृत्व में प्राप्त किया है। आज हम दुनिया की चौथी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था हैं और तीसरी बनने के कगार पर खड़े हुए हैं। इन उपलब्धियों के पीछे हमारे दोनों विभागों (कृषि एवं किसान कल्याण तथा ग्रामीण विकास) का बहुत अहम रोल है। शिवराज सिंह ने कहा कि जैसे बिना गांवों के भारत नहीं जाना जा सकता, वैसे ही बिना खेती के हमारे देश की पहचान ही नहीं है।
3 करोड़ “लखपति दीदी” बनाने का है लक्ष्य
शिवराज सिंह बैंकों को बधाई देते हुए कहा कि हमारे इन दोनों विभागों में हम जो उपलब्धियां हासिल कर रहे हैं, उनमें बैंकों का बहुत अहम योगदान है। अगर हम NRLM की बात करें तो 90 लाख 90 हज़ार स्वयं सहायता समूह हैं, जिनसे 10 करोड़ से ज़्यादा बहनें जुड़ी हुई हैं। शिवराज सिंह ने बैंकों की सराहना करते हुए कहा कि 11 लाख करोड़ रुपए का लोन इन स्वयं सहायता समूहों को मिल चुका है। आज सेल्फ-हेल्प ग्रुप महिला सशक्तिकरण का एक आंदोलन है, और “लखपति दीदी” की चर्चा सर्वत्र सुनाई देती है। प्रधानमंत्री ने जो लक्ष्य निर्धारित किया 3 करोड़ “लखपति दीदी” बनाने का, हम डेढ़ करोड़ का आंकड़ा तो बहुत पहले पार कर चुके हैं और अब लगातार और तेज़ी से आगे बढ़ रहे हैं।
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कई राज्यों का प्रदर्शन बहुत बेहतर
केंद्रीय मंत्री शिवराज सिंह ने कहा कि कई राज्यों का प्रदर्शन बहुत बेहतर है, लेकिन कुछ राज्यों व राज्यों में भी कुछ जिले पीछे हैं, कमजोर हैं, इसलिए बैंकों से आग्रह है कि ऋण लिंकेज में जो राज्य पिछड़ रहे हैं या राज्यों में कुछ जिले जो पिछड़ रहे हैं, वहां कैसे हम और बेहतर प्रयास कर सकें ताकि उनका प्रदर्शन भी बेहतर हों और ग्रामीण भारत के कोने-कोने को वित्तीय समावेशन का पूरा लाभ मिलें। कवरेज में वृद्धि तो हुई, लेकिन कुछ बैंक ऐसे हैं, जो राष्ट्रीय औसत से काफी नीचे हैं, जो बैंक बेहतर प्रदर्शन कर रहे हैं, उन्हें केंद्रीय मंत्री शिवराज सिंह चौहान ने बधाई भी दी।
ठीक ढंग से ऋण पहुंचा पाएं, इस पर तुरंत ध्यान दें
शिवराज सिंह ने कहा कि जिम्मेदारी केवल कुछ बैंकों की नहीं है, बल्कि सभी की है, इसलिए बैंक महिला उद्यमियों तक ठीक ढंग से ऋण पहुंचा पाएं, इस पर तुरंत ध्यान दें। सेल्फ हेल्प ग्रुप ने चमत्कार किया है, इसमें कोई दो मत नहीं है। एसएचजी, महिला सशक्तिकरण का ग्रामीण क्षेत्रों में पर्याय बन गया है, अब लखपति दीदी के लक्ष्य को हमें प्राप्त करना है तो केवल सेल्फ हेल्प ग्रुप को नहीं, बल्कि व्यक्तिगत ऋण पर भी ध्यान देना पड़ेगा। इसमें बैंक कुछ पीछे नजर आते हैं, अगर दीदी को लखपति बनाना है तो व्यक्तिगत ऋण भी देना पड़ेगा। शिवराज बोले- ये बहनें इतनी प्रमाणिकता से काम कर रही हैं कि एनपीए 0.7% के आसपास ही है ओवरऑल।
KCC से ऋण भी ₹10.25 लाख करोड़ को क्रॉस कर गया 2024-25 में
उन्होंने बताया कि हमारा संस्थागत ऋण 2013-14 में ₹7.3 लाख करोड़ था, जो 2023-24 में ₹25.49 लाख करोड़ हो गया है, यह हमारी उपलब्धि है। किसान क्रेडिट कार्ड (KCC) से ऋण भी ₹10.25 लाख करोड़ को क्रॉस कर गया 2024-25 में, यह हमारी उपलब्धि है। कुल संस्थागत कृषि ऋण अब प्राइवेट सेक्टर से नहीं आ रहा है, अन्यथा पहले किसानों को ज़रूरत पड़ती थी तो किसी प्राइवेट आदमी के पास जाता था कि पैसे दे दो, तो वह बहुत भारी ब्याज दरों पर लोन देता था। अब 75% ऋण बैंकों से किसानों के पास जा रहा है। छोटे और सीमांत किसानों को भी अधिक लाभ मिल रहा है। औसत ऋण का आकार बढ़कर ₹1.27 लाख हो गया है। 62% KCC के खाते सहकारी और ग्रामीण बैंकों में हैं। NPA भी लगातार सुधर रहा है। 2019 में 8.9% NPA था, जो घटकर 2023 में 2.2% हो गया है, जो लगातार सुधर रहा है लेकिन कई तरह की शिकायतें किसानों से मिलती हैं कैसे ₹2 लाख से कम के लोन पर कोलेटरल की ज़रूरत नहीं पड़ती, लेकिन बैंक मांगती हैं, बिना उसके देती ही नहीं हैं। सिविल स्कोर मांगने की बात भी आती है, इस पर शिवराज सिंह ने बैंकों से कहा कि ये कागज़ी कार्रवाई में क्यों उलझाते हैं। उन्होंने सभी बैंकों को स्पष्ट निर्देश दिए कि किसानों और बहनों को कोई परेशानी नहीं आने देना चाहिए।
बैठक में कृषि सचिव देवेश चतुर्वेदी व ग्रामीण विकास सचिव शैलेष सिंह भी मौजूद थे व इन्होंने अपने विचार व्यक्त किए। साथ ही, विभिन्न बैंकों के वरिष्ठ पदाधिकारियों एवं राज्यों के आला अधिकारियों ने भी अपने विचार साझा किए।
ये देखें –
पूजा राय ने बनारस हिंदू विश्वविद्यालय (BHU) से पढ़ाई की है।
Lallantop में Internship करने के बाद NewsPotli के लिए कृषि और ग्रामीण भारत से जुड़ी खबरें लिखती हैं।