बिहार के दरभंगा को मखाना उत्पादन का गढ़ माना जाता है. यहां के रिसर्च सेंटर ने पूरे देश को मखाने की वैज्ञानिक खेती के गुर सिखाए हैं. अब इसी अनुभव से मध्य प्रदेश के किसानों को लाभ देने की योजना बनी है. एमपी के नर्मदापुरम जिले के 150 किसानों को पहले चिन्हित किया गया है, जिन्हें वहां भेजा जाएगा ताकि वे मखाने की व्यावसायिक और वैज्ञानिक खेती सीख सकें. यह ट्रेनिंग पूरी तरह सरकार की देखरेख में होगी.
मध्य प्रदेश सरकार राज्य में बड़े पैमाने पर मखाना की खेती शुरू कर रही है. अब राज्य में पारंपरिक फसलों जैसे गेहूं, चना और धान के साथ-साथ मखाना की भी खेती की जाएगी. शुरुआत नर्मदापुरम जिले से हो रही है, जहां पहले चरण में लगभग 50 हेक्टेयर क्षेत्र में मखाना उगाया जाएगा. इस योजना के तहत किसानों को बिहार के दरभंगा स्थित मशहूर मखाना अनुसंधान केंद्र में प्रशिक्षण भी दिया जाएगा. किसानों को दरभंगा (बिहार) में ट्रेनिंग दिलाई जा रही है। पहले चरण में 150 किसानों ने मखाना खेती में रुचि दिखाई है।
मखाना की खेती
मखाना की खेती को कम लागत और अधिक मुनाफा देने वाली फसल माना जाता है. विभागीय आंकड़ों के अनुसार इसकी खेती में प्रति हेक्टेयर लागत 80,000 रुपये तक आती है जबकि मुनाफा लगभग 1.5 लाख रुपये तक होता है. वहीं इसकी खेती की बात करें तो यह लगभग 10 महीने की फसल है. कई किसान जो पारंपरिक फसलों जैसे गेहूं, चना, धान में घाटा उठा रहे हैं, उनके लिए मखाना एक वैकल्पिक और लाभदायक विकल्प बन सकता है.
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फरवरी–मार्च में होती है रोपाई
इसकी खेती जलमग्न भूमि जैसे तालाब, जलभराव क्षेत्र में की जाती है, जिसमें पानी की गहराई कम से कम 4 फीट तक होनी चाहिए. इसकी रोपाई फरवरी–मार्च के महीने में की जाती है. रोपाई के लगभग 5 महीने बाद से ही इसमें फूल आने लगते हैं. मखाना पौधा पानी में फैलता है और उसके फूल से बीज निकलते हैं, जिन्हें सुखाकर और प्रोसेस कर मखाना बनाया जाता है। हार्वेस्टिंग की बात करें तो किसान अक्टूबर से नवंबर के बीच की जाती है. इसीलिए नर्सरी से कटाई तक कुल मिला कर लगभग 10 महीने लग जाते हैं इसकी खेती में.
मखाना एक हाई-वैल्यू फसल
मखाना एक हाई-वैल्यू फसल है, जिसकी बाजार में कीमत करीब 1500 से 2500 रुपये प्रति किलो तक जाती है. इसकी मांग देश-विदेश दोनों जगह लगातार बढ़ रही है. ऐसे में अगर एक तालाब से 5-10 क्विंटल तक भी उत्पादन हो जाए, तो किसान सालाना लाखों की कमाई कर सकते हैं. इसके अलावा सरकार की योजना है कि किसानों को प्रशिक्षण के बाद बीज, खाद और अन्य तकनीकी सहायता भी सब्सिडी पर उपलब्ध कराई जाए.
ये देखें –
पूजा राय ने बनारस हिंदू विश्वविद्यालय (BHU) से पढ़ाई की है।
Lallantop में Internship करने के बाद NewsPotli के लिए कृषि और ग्रामीण भारत से जुड़ी खबरें लिखती हैं।