वाराणसी जिले के तड़िया गांव के किसान प्रकाश सिंह रघुवंशी उस समय चौंक गये जब एक दिन अचानक उनके पास करनाल स्थित भारतीय गेहूं एवं जौ अनुसंधान संस्थान (IIWBR) से फोन आया। फोन पर उन्हें बताया गया कि गेहूं पर काम करने वाले वैज्ञानिकों की एक टीम उनसे मिलना चाहती थी। फिर क्या था, दो दिन बाद यानी 25 जुलाई को दो वैज्ञानिक उनके घर पहुंच गये। पहुंचे क्यों? क्योंकि रघुवंशी ने गेहूं की दो नई किस्में विकसित की हैं।
हुआ यूं कि रघुवंशी ने हाल ही में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को एक पत्र लिखा। पत्र में उन्होंने लिखा कि वे किसान हैं और उन्होंने गेहूं की कई किस्में विकसित की हैं और वे इन्हें सरकार को दान करना चाहते हैं। लेकिन यह कैसे होगा, उन्हें नहीं पता। पत्र के साथ उन्होंने तीनों किस्मों के नमूने भी भेजे थे।
प्रधानमंत्री कार्यालय ने उनके पत्र को संज्ञान में लिया और ICAR को तत्काल उन बीजों की जांच करने का निर्देश दिया। रघुवंशी ने बिजनेसलाइन से कहा, “मेरे पास तीन एकड़ जमीन है और उन बीजों को संरक्षण के लिए उगाने के लिए यह बहुत कम है। कम से कम 10 एकड़ जमीन की जरूरत है, जिसे सरकार आवंटित कर सकती है, क्योंकि मेरे परिवार पर पहले से ही SBI और केनरा बैंक से ₹7 लाख का कर्ज है।”
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गुरुवार को उन्होंने आईआईडब्लूबीआर के वैज्ञानिकों- अरुण गुप्ता और अमित कुमार शर्मा को 31 ‘किस्में’ सौंपीं। उन्हें बताया गया है कि अगले रबी सीजन में उन बीजों को कई गुना बढ़ाया जाएगा और संस्थान में संरक्षित किया जाएगा।
विकसित कीं 80 उन्नत किस्में
एक पूर्व वैज्ञानिक जो रघुवंशी के साथ 20 साल पहले उन बीजों के परीक्षण में शामिल थे, ने बताया कि उन बीजों की जांच की गई थी क्योंकि किसान ने भारत के राष्ट्रपति को पत्र लिखा था। पूर्व वैज्ञानिक ने कहा, “वैज्ञानिक मापदंडों के आधार पर किसी भी बीज को किस्म घोषित करने के लिए कुछ शर्तें पूरी करनी होती हैं। उनकी दो किस्में पहले से ही पौध किस्म संरक्षण और कृषक अधिकार प्राधिकरण के साथ पंजीकृत हैं और अगर कुछ और बीज उन श्रेणियों में आते हैं तो उन्हें भी वहां पंजीकृत किया जा सकता है।”
लेकिन विशेषज्ञों ने कहा कि किसान तय करते हैं कि वे कौन सी बीज किस्में उगाना चाहते हैं, जिसमें सरकार के हस्तक्षेप की बहुत कम गुंजाइश है। उन्होंने कहा कि रघुवंशी ने अपने बीजों को कुदरत ब्रांड के तहत ब्रांड किया है और उन किस्मों की कोई भी मांग इसकी उपज और अन्य कारकों पर आधारित होगी।
रघुवंशी ने मोदी को लिखे अपने पत्र में लिखा है, “मैंने अपनी बुद्धि और ज्ञान से 1995 से 2023 के बीच 80 तरह के विभिन्न गुणों वाले देशी गेहूं के बीजों की उन्नत किस्में तैयार की हैं। ये किस्में भविष्य में कृषि में एक नई हरित क्रांति लाएँगी।” उन्होंने प्रधानमंत्री से इन सभी किस्मों को अपने अधीन लेने का अनुरोध करते हुए कहा, “इस समय मेरी आंखों की रोशनी 30 प्रतिशत कम हो गई है और मेरी आर्थिक स्थिति भी ठीक नहीं है। मैं इसे (शोध और संरक्षण) आगे नहीं बढ़ा पा रहा हूँ। मेरे काम से सभी किसानों को लाभ मिलना चाहिए।”