Budget 2024-25: केंद्र सरकार ने इस आम बजट में MSME सेक्टर के लिए कई बड़े ऐलान किए हैं। जैसे मुद्रा योजना के लिए लोन की सीमा में बड़ा बदलाव किया गया है। और सरकार का ज़ोर पारंपरिक कारीगरों को अंतर्राष्ट्रीय बाजार उपलब्ध करवाने पर भी है।
नई दिल्ली।आज वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने अपने 2024-25 के बजट भाषण में छोटे और मध्यम उद्योगों (MSME) के लिए कई महत्वपूर्ण योजनाओं की घोषणा की। उन्होंने कहा कि ये उद्योग भारत की अर्थव्यवस्था के लिए बहुत महत्वपूर्ण हैं। इन योजनाओं का उद्देश्य है छोटे व्यापारियों को आसानी से कर्ज दिलाना, सरकारी नियमों को सरल बनाना, लोगों को नई स्किल सिखाना और रोजगार के नए अवसर पैदा करना है।
वित्त मंत्री ने MSME के लिए ये कहा
1.सरकार ने घोषणा की है कि थर्ड पार्टी गारंटी के बिना MSME सेक्टर को लोन उपलब्ध करवाया जाएगा। इसके लिए ऋण गारंटी योजना शुरू होगी। इसके अलावा MSME को उनके संकट की अवधि के दौरान बैंक ऋण जारी रखने की सुविधा के लिए एक नई व्यवस्था लाई जाएगी।
2.उन्होंने कहा कि खरीदारों क ट्रेड्स(TREDS) प्लेटफॉर्म पर अनिवार्य रूप से शामिल करने के लिए कारोबार की सीमा को 500 करोड़ से घटाकर 250 करोड़ किया जाएगा।
MSME क्षेत्र में 50 मल्टी-प्रोडक्ट फूड इरेडिएशन इकाइयां स्थापित करने के लिए वित्तीय सहायता दी जाएगी। इस कदम से 22 सीपीएसई (CPSE) और 7000 कंपनियां इस प्लेटफॉर्म पर आ आएगी।
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3.वित्त मंत्री ने कहा कि, MSME और पारंपरिक कारीगरों को अंतरराष्ट्रीय बाजारों में अपने उत्पादों को बेचने में सक्षम बनाने के लिए PPP मोड में ई-कॉमर्स निर्यात केंद्र स्थापित किए जाएंगे। और MSME क्षेत्र में 50 मल्टी-प्रोडक्ट फूड इरेडिएशन इकाइयां स्थापित होगी। साथ ही NABL मान्यता वाली 100 खाद्य गुणवत्ता और सुरक्षा परीक्षण प्रयोगशालाएं स्थापित होगी।
4.उन्होंने कहा कि मुद्रा लोन की सीमा को 10 लाख रुपये से बढ़ाकर 20 लाख रुपये किया जाएगा। इससे छोटे कारोबारियों को ज़्यादा पैसा मिलेगा। और कहा कि छोटे उद्योग विकास बैंक (SIDBI) अब छोटे उद्योगों के समूहों तक सीधे पहुंचेगा और उन्हें सीधे लोन देगा। इससे छोटे उद्योगों को पैसा मिलना आसान होगा।
आपको बता दें कि सोमवार को रिलीज हुए इकॉनमिक सर्वे में बताया गया है कि भारत की अर्थव्यवस्था में MSME का बहुत बड़ा योगदान है। आर्थिक सर्वेक्षण 2023-24 के अनुसार, इस सेक्टर की भागीदारी देश की कुल GDP में 30% और उत्पादन में 45% का है और ये लगभग 11 करोड़ लोगों को रोजगार देता है।
लेकिन, छोटे व्यापारियों (MSME) के सामने कई चुनौतियां हैं। जैसे इन पर बहुत सारे नियम लागू होते हैं और कागजी कार्यवाही भी बहुत होती है। साथ ही, इन उद्यमों को समय पर और कम ब्याज पर पैसा मिलना एक बड़ी समस्या है।
इन सब को ध्यान में रखते हुए पिछले साल के मुकाबले इस साल छोटे व्यापारियों के लिए 41.6% ज्यादा, यानी 22,137.95 करोड़ रुपये दिए गए हैं।
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