सागर, (मध्य प्रदेश)। आधुनिक किसान खेती में तकनीकि का प्रयोग करके कम खेत में अधिक पैदावार के साथ अच्छी कमाई भी कर रहे हैं। मध्य प्रदेश के सागर जिले में रहने वाले युवा किसान आकाश चौरसिया अपने खेत में मल्टीलेयर फार्मिंग की मदद से कम जमीन में ज्यादा उत्पादन ले रहे हैं। वे मिट्टी के अंदर, मिट्टी की सतह, मचान और मचान के ऊपर फसलें उगाते हैं।
न्यूज पोटली से बात करते हुए आकाश बताते हैं “जब हमने खेती की शुरुवात की थी तब हमारे पास बहुत कम जमीन थी, 10 डेसिमल जमीन से काम शुरू किया था। जब शहर आया तो देखा लोग कई मंजिल बिल्डिंग बनाकर रहते हैं फिर हम कम जमीन में एक के ऊपर एक फसल क्यों नही उगा सकते उगते। इस तरह से हमने मल्टी स्टोरी बिल्डिंग के कॉन्सेप्ट का उपयोग करके मल्टीलेयर फार्मिंग तकनीकि की शुरुवात की। अब हम एक ही जमीन पर चार-पांच फसलें उगाते हैं।”
आकाश के मुताबिक इस तकनीकि में ढ़ांचा मूल सिद्धांत होता है। उन्होंने अलग-अलग फसलों के फैलने के लिए ढांचे बनाए हैं।आकाश खेत की सिंचाई आधुनिक तकनीकि से करते हैं। उन्होने खेत में ड्रिप और फॉगर लगाये हैं।
मल्टीलेयर फार्मिंग का पार्ट-1 यहां देखें
आकाश आगे बताते हैं मल्टीलेयर फार्मिंग में फसलों का समायोजन बहुत जरुरी है। इस विधि में ये सुनिश्चित करना पड़ता है कब कौन सी फसल ऊपर, नीचे, बीच में और कौन सी फसल टॉप पर लगानी है। बीते 15 वर्षों से अब तक 4700 ज्यादा प्रयोग किये हैं जिनमें उन्हे अभी 375 में सफलता मिली है।
मल्टी लेयर फार्मिंग के पहले समायोजन के बारे में बताते हुए आकाश बताते हैं “हमने ग्राउंड फ्लोर पर काली हल्दी, पहले फ्लोर पर धनिया, दूसरे फ्लोर पर गिल्की(तरोई) , तीसरे फ्लोर पर कुंदरू और सबसे टॉप पर पपीता लगाया है। वे आगे कहते हैं अगर ये पाचों फसलें एक साथ होती हैं, तो ये अच्छे से उगेंगी और एक दूसरे का सहयोग करेंगी। हमारा ये मॉडल सफल है। हम हर साल ये फसलें एक साथ लगाते हैं।”
कंद समायोजन की फसलों के बारे में बताते हैं” ग्राउंड फ्लोर पर काली हल्दी, पहले फ्लोर पर कस्तूरी मेंथी लगाई है। वे बताते हैं मेथी लगाने से खेत में नमी बनी रहती है।
पालक के समायोजन के बारे में आकाश कहते है” इसमें हमने ग्राउंड फ्लोर पर पीली हल्दी, पहले फ्लोर पर पालक, दूसरे फ्लोर पर कुंदरू और सबसे टॉप पर पपीता लगाया है।
कस्तूरी मेथी के दूसरे समायोजन के बारे में वे कहते हैं” इसमें हमने ग्राउंड फ्लोर पर पीली हल्दी, पहले फ्लोर पर कस्तूरी मेथी, दूसरे फ्लोर पर कुंदरू और सबसे टॉप पर पपीता लगाया है। कस्तूरी मेथी का भाव मंडी में 600 रुपये प्रति किलो मिल जाता है।
मल्टीलेयर फार्मिंग के इस मॉडल को बनाने के लिए एक एकड़ में 1450 बांस लगते हैं । बांस से बांस की दूरी 5 मीटर रखी जाती है। इसको बांधनें में 125 किलो तार लगाई है जिसकी कीमत 20000 रुपये है। बनवाई मिलाकर एकड़ में 70 से 80 हजार रुपये अनुमानित लागत आती है।
आकाश के मुताबिक इस मॉडल से खेती करके किसान एकड़ में 8 लाख से 9 लाख रुपये का टर्नओवर करके साल में 4 लाख से 5 लाख रुपये की बचत कर सकता है।
खेती में जैविक खाद का प्रयोग
आकाश गाय के गोबर और रॉक फास्फेट या लकड़ी के बुरादे से वर्मीफाश बनाते हैं। इसे बनाने के लिए 25 फीसदी गोबर 75 फीसदी रॉक फास्फेट मिलाकर दो महीने छाया में सड़ाते हैं। इसके बाद फसल लगाने से पहले 2 टन प्रति एकड़ खेत में डालते हैं।दूसरा 500 किलो फसल के अवशिष्ट के कचरे के छोटे टुकड़े करके पांच किलो खड़े नमक का पानी मिलाकर मिट्टी में सड़ाते हैं। इसके बाद 500 किलो प्रति एकड़ के हिसाब से छिड़काव करते हैं।
रोग और कीट प्रबंधन
आकाश बताते हैं मिट्टी में पोशक तत्व बनाये रखने के लिए डीएपी, यूरिया,पोटाश और माइक्रो न्यूट्रियंट का प्रयोग करें। जैव विविधता पर फोकस करें। खेत में प्राकृतिक जीव जैसे चिड़िया, भंवरा, तितलियां,मेंढ़क और सांप ये सभी शत्रु जीवों को नष्ट कर देते हैं। इससे ईको सिस्टम भी बैलेंस रहता है व फसल के कीट प्रबंधन में भी मदद मिलती है।
कीट नियंत्रण के लिए आकाश खेत में किसी प्रकार का कोई भी स्प्रे नही करते हैं।
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