कृषि, दुनिया के सबसे पुराने और सबसे महत्वपूर्ण व्यवसायों में से एक है, जिसमें तेजी से तकनीकी परिवर्तन हो रहा है और यह परिवर्तन AI यानी आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस से प्रेरित है।एक एक्सपर्ट के मुताबिक AI के इस्तेमाल से गन्ने की खेती में पानी की जरूरत को 50 फीसदी तक कम कर प्रति एकड़ उत्पादन में करीब 30 फीसदी तक बढ़ोतरी की जा सकती है।
कृषि में AI ने क्रांति ला दी है। इस तकनीक से फसल पर जलवायु परिवर्तन के असर को कम किया जा सकता है। पौधों में बीमारी का तुरंत पता लगाना और ठीक करना, कृषि रसायनों के सही प्रयोग, मिट्टी में पोषक तत्वों का तुरंत पता लगाना, खेती में लागत कम कर उत्पादन को बढ़ाया जा सकता है, जिससे खाद्य सुरक्षा जैसी समस्याओं को हल किया जा सकता है।
आपको बता दें कि हाल ही में पुणे में महाराष्ट्र के उपमुख्यमंत्री अजीत पवार और पूर्व केंद्रीय कृषि मंत्री शरद पवार की मौजूदगी में एक बैठक हुई थी, जिसमें गन्ने की खेती में AI के इस्तेमाल पर चर्चा की गई थी। इस तकनीक को अधिक से अधिक किसानों तक पहुंचाने के तरीकों का पता लगाने के लिए वसंतदादा चीनी संस्थान और कृषि विकास ट्रस्ट के बीच एक MOU पर हस्ताक्षर भी किए गए।
गन्ने की खेती में होगा AI का इस्तेमाल
समाचार एजेंसी PTI के मुताबिक महाराष्ट्र राज्य सहकारी चीनी कारखाना संघ लिमिटेड के निदेशक जयप्रकाश दांडेगांवकर ने कहा कि माइक्रोसॉफ्ट ने गन्ने की खेती के लिए एआई के इस्तेमाल पर लंबे समय से काम किया है और गन्ने के उत्पादन में 30 प्रतिशत की वृद्धि और ((इसकी खेती में) पानी के इस्तेमाल को घटाकर आधा करने का आश्वासन दिया है। इससे चीनी मिलों को लंबे समय (110 दिनों से अधिक) तक चलाने में मदद मिलेगी और घाटा भी कम होगा।
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शुरुआत में 25,000 रुपये खर्च की जरूरत
दांडेगांवकर ने बताया कि महाराष्ट्र की 40 (23 सहकारी और 17 निजी) चीनी मिलें, जिन पर वीएसआई का कोई कर्ज नहीं है, उन्हें इस परियोजना (गन्ने की खेती में एआई के इस्तेमाल) में शामिल किया जाएगा।
उन्होंने बताया कि एक किसान द्वारा किए गए खर्च के लिए शुरुआत में 25,000 रुपये की जरूरत हो सकती है। उन्होंने कहा कि वॉर रूम इन किसानों को खेती के दौरान उठाए जाने वाले कदमों के बारे में कुछ सेकंड में सचेत कर देंगे। बताया कि यह तकनीक पूर्वानुमान, मिट्टी की जांच, पानी की चेतावनी, कीटनाशकों के इस्तेमाल को सीमित करने और मिट्टी के पोषक तत्वों की सुरक्षा पर काम करेगी।
AI से 150 टन प्रति एकड़ तक पहुंचने में मिलेगी मदद
दांडेगांवकर ने बताया कि महाराष्ट्र में गन्ने की पैदावार कम हुई है। उन्होंने कहा, “कम बारिश के कारण राज्य में प्रति एकड़ उत्पादन 73 टन तक गिर गया है। एआई का उपयोग निश्चित रूप से हमें निकट अवधि में कम से कम 150 टन प्रति एकड़ तक पहुंचने में मदद कर सकता है।” उन्होंने कहा, “किसानों को इसके लिए (सिंचाई के लिए) अपने खेतों में ड्रिप लगाने की जरूरत है। हम उम्मीद कर सकते हैं कि अगस्त के अंत तक या सितंबर के पहले सप्ताह तक इस तरह का पहला स्टेशन (स्वचालित एआई सुविधा) स्थापित हो जाएगा और चालू हो जाएगा।”
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पूजा राय ने बनारस हिंदू विश्वविद्यालय (BHU) से पढ़ाई की है।
Lallantop में Internship करने के बाद NewsPotli के लिए कृषि और ग्रामीण भारत से जुड़ी खबरें लिखती हैं।