देश में गेहूं भंडार 16 साल के सबसे न‍िचले स्‍तर पर, महंगा हो सकता है आटा

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लखनऊ। अगर आप दाल, तेल और दूध की बढ़ती कीमतों से परेशान हैं तो आने वाले समय में आपकी परेशानी और बढ़ सकती है। और इस बार आटा की कीमतें (Flour rate) क‍िचन का बजट ब‍िगाड़ सकती हैं। दरअसल भारतीय खाद्य निगम (FCI) द्वारा रखे गए गेहूं (wheat production) के आधिकारिक भंडारण में 1 जून तक 4.7 प्रतिशत की गिरावट आई है और यह 29.91 मिलियन टन रह गया है, जबकि एक साल पहले यह 31.39 मिलियन था। ऐसे में अगर इस सीजन गेहूं का उत्‍पादन प्रभावित हुआ तो भारत में न स‍िर्फ इसकी कीमत बढ़ सकती है, सरकार को दूसरे देशों से आयात भी करना पड़ सकता है।

आधिकारिक आंकड़ों से पता चलता है कि केंद्रीय पूल में गेहूं का पिछला सबसे कम स्टॉक 1 जून, 2008 को 24.12 मिलियन टन था। लेकिन चावल का भंडार 2023 में 41.42 के मुकाबले 21.8 प्रतिशत बढ़कर 50.46 मिलियन टन हो गया है। विशेषज्ञों का कहना है कि चावल के मामले में स्‍थ‍ित‍ि अच्‍छी होने से सरकार खाद्यान्न की स्थिति को संभाल सकती है, बशर्ते 2024 में मौसम अनुकूल रहे और बंपर उत्पादन की उम्मीद हो।

धान का स्टॉक बढ़ा
नवीनतम आंकड़ों के अनुसार 50.46 मिलियन टन के धान के स्टॉक में चावल के रूप में 17.94 मिलियन टन भी शामिल है। इस साल धान के स्टॉक में एक साल पहले की तुलना में 18 प्रतिशत की वृद्धि हुई है, क्योंकि खरीद में सुधार हुआ है। कुछ राज्यों में धान के उत्पादन में गिरावट के बावजूद अक्टूबर-मई 2023-24 के दौरान खरीद 50 मीट्रिक टन को पार कर गई है।

खाद्यान्नों का कुल स्टॉक – चावल, गेहूं, चावल और मोटे अनाज के मामले में धान – 1 जून तक एफसीआई के पास 80.76 मीट्रिक टन था, जो एक साल पहले 73.25 मीट्रिक टन से 10.3 प्रतिशत अधिक है। सरकार अभी तक कुल 264 लाख टन गेहूं खरीद चुकी है, लेकिन सरकारी लक्ष्य 372 लाख टन का है।

केंद्र ने गेहूं की कीमतों में वृद्धि को प्रभावी ढंग से नियंत्रित करने के लिए 2023-24 में खुले बाजार बिक्री योजना (ओएमएसएस) के तहत रिकॉर्ड 10 मीट्रिक टन गेहूं बेचा था। चावल के मामले में उठाव नगण्य रहा, जबकि सरकार ओएमएसएस के तहत यथासंभव अधिकतम मात्रा उपलब्ध कराने के लिए तैयार थी।

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