समस्तीपुर(बिहार)। इन दिनों बागों में बहार है। आम के पौधे बौर (मंजर) से लदे नजर आ रहे हैं। बसंत ऋतु के आगमन के साथ ही आम में मंजर आना शुरू हो जाता है। लेकिन यही समय बागवानों के लिए चुनौती भरा भी होता है कि कैसे पेड़ में आए मंजर को बचाया जाए । डॉ राजेंद्र प्रसाद सेंट्रल एग्रीकल्चरल यूनिवर्सिटी समस्तीपुर, बिहार के प्रोफेसर डॉ एसके सिंह आम बागान मालिकों को कई टिप्स दे रहे हैं, जो उनके नुकसान को कम करके उत्पादन को बढ़ाने में मददगार हो सकता है।
भारत आम का सबसे बड़ा उत्पादक देश है। उत्तर प्रदेश, गुजरात, कर्नाटक, आन्ध्र प्रदेश, महाराष्ट्र एवं बिहार समेत कई राज्यों में होती है। देश में इसकी बागवानी लगभग 2217 हजार हेक्टेयर क्षेत्रफल में की जाती है, जिससे 18506 हजार टन उत्पादन होता है। आम की राष्ट्रीय उत्पादकता 8.3 टन प्रति हेक्टेयर है। बिहार में आम की खेती 148.37 हजार हेक्टेयर क्षेत्रफल में होती है। जिससे 1271.62 हजार टन उत्पादन प्राप्त होता है। बिहार में आम की उत्पादकता 8.57 टन प्रति है जो राष्ट्रीय उत्पादकता से थोड़ी ज्यादा है। उत्पादकता के दृष्टिकोण से बिहार 27 राज्यों में तेरहवें नम्बर पर आता है।
आम की उत्पादकता को बढ़ाने के लिए आवश्यक है कि मंजर आने के बाद की विभिन्न अवस्थाओं में क्या करना चाहिए क्या नही करना चाहिए यह जानना बेहद आवश्यक है। सही जानकारी के अभाव में फायदा होने के स्थान पर भारी नुकसान हो जाता है। कभी भी कृषि रसायनों का अत्यधिक प्रयोग न करें इससे फूल के कोमल हिस्सों को नुकसान पहुंचता है। आइए जानते है की बाग का वैज्ञानिक ढंग से प्रबंधन कैसे किया जाए।
आम में मंजर निकलने की अवस्था में बाग का प्रबंन्धन
आम के बागों में मंजर निकल गए है लेकिन जिन आम के बाग में अभी मंजर निकल रहे हैं, उसमें समय से इमिडाक्लोरप्रिड (17.8 एस0एल0) 1 मिलीलीटर दवा प्रति लीटर पानी में और घुलनशील गंधक चूर्ण फफूंदनाशक दवा (80 डब्लू पी0) 2 ग्राम प्रति लीटर पानी में घोलकर छिड़काव करने से आम का मधुवा कीट एवं चूर्णिल आसिता रोग की उग्रता में कमी आती है एवम मंजर जल्द निकल आते है।विकृत मंजर को तोड़कर बाग से बाहर ले जाकर जला देना चाहिए या जमीन में गाड़ देना चाहिए। मुख्य तने पर बोर्डा पेस्ट (1 किग्रा चूना + 1 किग्रा तुतिया + 10 लीटर पानी दर से) से पुताई करनी चाहिए।सबसे प्रमुख बात यह है कि इस अवस्था में बाग की सिंचाई नही करनी चाहिए। सिंचाई करने से फल झड़ने की सम्भावना बढ़ जाती है।
मटर के दाने के बराबर आम के फल होने की अवस्था में किये जाने वाले कृषि कार्य
फूल खिलने के बाद से लेकर फल के मटर के दाने के बराबर होने की अवस्था के मध्य किसी भी प्रकार का कोई भी कृषि रसायन का प्रयोग नहीं करना चाहिए ऐसे में फूल के कोमल हिस्से घावग्रस्त हो जाते हैं जिससे फल बनने की प्रक्रिया बुरी तरह से प्रभावित होती है। इससे बाग में सहायक कीट बाग में नही आते है जिससे परागण बुरी तरह से प्रभावित होता है। आम के टिकोले के मटर के दाने के बराबर हो जाने के बाद इमिडाक्लोरप्रीड (17.8 एस0एल0) 1मिली दवा प्रति लीटर पानी में और हैक्साकोनाजोल 2 मिलीलीटर प्रति लीटर पानी या डाइनोकैप (46 ई0सी0) 1 मिली दवा प्रति लीटर पानी में घोलकर छिड़कने से मधुवा एवं चूर्णिल आसिता की उग्रता में कमी आती है। प्लेनोफिक्स नामक दवा @ 1 मिली प्रति 3 लीटर पानी में घोलकर छिड़काव करने से फल के गिरने में कमी आती है। इस अवस्था में हल्की सिंचाई शुरू कर देनी चाहिए जिससे बाग की मिट्टी में नमी बनी रहे लेकिन इस बात का ध्यान देना चाहिए कि पेड़ के आस पास जलजमाव न हो।
मार्बल अवस्था (गुठली बनने की अवस्था) में किये जाने वाले कृषि कार्य
आई.आई.एच.आर., बैगलोर द्वारा विकसित मैंगों स्पेशल या सूक्ष्मपोषक तत्व जिसमें घुलनशील बोरान की मात्रा ज्यादा हो @ 2 ग्राम प्रति लीटर पानी में घोलकर छिड़काव करने से फल के झड़ने में कमी आती है एवं फल गुणवत्ता युक्त होते है ।बाग में हल्की-हल्की सिंचाई करके मिट्टी को हमेशा नम बनाये रखना चाहिए इससे फल की बढवार अच्छी होती है। बाग को साफ सुथरा रखना चाहिए।डाइक्लोरोवास 1.5 मिली लीटर प्रति लीटर पानी में घोलकर अच्छी तरह से छिड़काव करना चाहिए इसी घोल से मुख्य तने का भी छिड़काव करना चाहिए। ऐसा करने से आम के फल छेदक कीट की उग्रता में कमी आती है। फल मक्खी से फलों को नुकसान से बचाने के लिए फेरोमन ट्रैप 15 से 20 प्रति हेक्टेयर लगाना चाहिए एवं समय समय पर उसमे प्रयोग होने वाले लुयर को बदलते रहे इससे फल मक्खी से होने वाले नुकसान से आम के फल को बचा लेते है।
नियमित करें भ्रमण
आम के बाग का नियमित भ्रमण करते रहना चाहिए जिससे आपको ससमय पता चल जाएगा की बाग में किसी रोग या कीड़े का प्रकोप तो नही हुआ है। यदि कोई असामान्य लक्षण दिखे तो नजदीक के कृषि विज्ञान केंद्र या कृषि विभाग के पौधा संरक्षण अधिकारियों से संपर्क करें।