जैविक खेती को बढ़ावा देने के लिए सरकार क्या कर रही है?

organic farming

केंद्र सरकार परम्परागत कृषि विकास योजना (पीकेवीवाई) के अंतर्गत जैविक खेती को बढ़ावा देने के लिए 3 साल की अवधि के लिए प्रति हेक्टेयर 31,500 रुपये की सहायता देती है। इसमें से जैविक खेती अपनाने वाले किसानों को ऑन-फार्म/ऑफ-फार्म जैविक इनपुट के लिए प्रत्यक्ष लाभ हस्तांतरण के माध्यम से 3 साल की अवधि के लिए 15,000 रुपये प्रति हेक्टेयर की सहायता दी जाती है। इस योजना के अंतर्गत किसानों को ऑन-फार्म/ऑफ-फार्म जैविक आदानों के लिए 3 वर्षों के लिए 32500 रुपये प्रति हेक्टेयर की धनराशि दी जाती है, जिसमें किसानों को प्रत्यक्ष लाभ अंतरण के रूप में 15,000 रुपये शामिल हैं। यह जानकारी कृषि और किसान कल्याण राज्य मंत्री रामनाथ ठाकुर ने 7 फ़रवरी को राज्यसभा में एक लिखित उत्तर में दी है।

सरकार सभी राज्यों/केंद्र शासित प्रदेशों (पूर्वोत्तर राज्यों को छोड़कर) में परम्परागत कृषि विकास योजना (पीकेवीवाई) के माध्यम से जैविक खेती को बढ़ावा दे रही है। पूर्वोत्तर राज्यों के लिए सरकार पूर्वोत्तर क्षेत्र के लिए मिशन ऑर्गेनिक वैल्यू चेन डेवलपमेंट (एमओवीसीडीएनईआर) योजना लागू कर रही है। दोनों योजनाएं जैविक खेती में लगे किसानों को उत्पादन से लेकर प्रोसेसिंग, सर्टिफ़िकेशन और मार्केटिंग और कटाई के बाद प्रबंधन प्रशिक्षण और क्षमता निर्माण तक एंड-टू-एंड समर्थन पर जोर देती हैं।

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जैविक उत्पादों की गुणवत्ता नियंत्रण के लिए क्या किया गया ?

  • निर्यात बाजार के विकास के लिए वाणिज्य और उद्योग मंत्रालय के अंतर्गत राष्ट्रीय जैविक उत्पादन कार्यक्रम (एनपीओपी) योजना के अंतर्गत मान्यता प्राप्त प्रमाणन एजेंसी द्वारा तृतीय पक्ष प्रमाणन। एनपीओपी प्रमाणन योजना के अंतर्गत जैविक उत्पादों के लिए उत्पादन, प्रसंस्करण, व्यापार और निर्यात आवश्यकताओं जैसे सभी चरणों में उत्पादन और संचालन गतिविधियों को कवर किया जाता है।
  • कृषि और किसान कल्याण मंत्रालय के अंतर्गत भागीदारी गारंटी प्रणाली (पीजीएस-इंडिया) जिसमें हितधारक (किसान/उत्पादक सहित) एक-दूसरे के उत्पादन प्रथाओं का आकलन, निरीक्षण और सत्यापन करके और सामूहिक रूप से उत्पाद को जैविक घोषित करके पीजीएस-इंडिया प्रमाणन के संचालन के बारे में निर्णय लेने में शामिल होते हैं। पीजीएस-इंडिया प्रमाणन घरेलू बाजार की मांग को पूरा करने के लिए है।

पीकेवीवाई के अंतर्गत एनपीओपी प्रमाणीकरण और पीजीएस-इंडिया प्रमाणीकरण के अंतर्गत कवर किया गया कुल बढ़ता हुआ राज्यवार जैविक क्षेत्र 59.74 लाख हेक्टेयर है।

क्र.सं.राज्य का नामएनपीओपीपीकेवीवाई के अंतर्गत पीजीएस
1आंध्र प्रदेश63,678.693,60,805
2बिहार29,062.1331,561
3छत्तीसगढ़15,144.131,01,279
4गोवा12,287.4015334
5गुजरात6,80,819.9910000
6हरियाणा2,925.33
7हिमाचल प्रदेश9,334.2818748
8झारखंड54,408.2025300
9केरल44,263.9194480
10कर्नाटक71,085.9920900
11मध्य प्रदेश11,48,236.0774960
12महाराष्ट्र10,01,080.3266756
13ओडिशा1,81,022.2845800
14पंजाब11,089.416981
15तमिलनाडु42,758.2732940
16तेलंगाना84,865.168100
17राजस्थान5,80,092.22148500
18उत्तर प्रदेश66,391.34171185
19उत्तराखंड1,01,820.39140740
20पश्चिम बंगाल8,117.8021400
21असम27,079.404400
22अरुणाचल प्रदेश16,537.53380
23मेघालय29,703.30900
24मणिपुर32,584.50600
25मिजोरम14,238.30780
26नागालैंड16,221.56480
27सिक्किम75,729.7863000
28त्रिपुरा20,481.361000
29जम्मू और कश्मीर34,746.755160
30पांडिचेरी21.51
31दिल्ली9.60
32लद्दाख10480
33दमन और दिव642
34दादर और नगर500
कुल44,75,836.901498583
कुल योग (एनपीओपी + पीजीएस)5974419.90

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ये मिलती है सहायता
पीकेवीवाई के अंतर्गत वैल्यू एडिशन, मार्केटिंग और प्रचार की सुविधा के लिए 3 वर्षों के लिए 4,500 रुपये प्रति हेक्टेयर की दर से सहायता दी जाती है। किसानों के लिए पीकेवीवाई के अंतर्गत 3 वर्षों के लिए 3,000 रुपये प्रति हेक्टेयर और 7,500 रुपये प्रति हेक्टेयर की दर से प्रमाणन और प्रशिक्षण तथा हैंडहोल्डिंग और क्षमता निर्माण के लिए सहायता दी जाती है। जबकि एमओवीसीडीएनईआर योजना के अंतर्गत प्रशिक्षण, क्षमता निर्माण और प्रमाणीकरण के लिए 3 वर्षों के लिए 10,000 रुपये प्रति हेक्टेयर की दर से सहायता दी जाती है।

जैविक खेती पोर्टल के अंतर्गत कुल 6.22 लाख किसान रजिस्टर्ड
बाजार की उपलब्धता सुनिश्चित करने के लिए राज्य अपने क्षेत्र में या अन्य राज्यों के प्रमुख बाजारों में सेमिनार, सम्मेलन, कार्यशालाएं, क्रेता-विक्रेता बैठकें, प्रदर्शनियां, व्यापार मेले और जैविक उत्सव आयोजित करते हैं। सरकार ने किसानों द्वारा उपभोक्ताओं को जैविक उत्पादों की सीधी बिक्री के लिए ऑनलाइन मार्केटिंग प्लेटफॉर्म के रूप में वेब पोर्टल- www.Jaivikkheti.in/ विकसित किया है, ताकि उन्हें बेहतर मूल्य प्राप्ति में मदद मिल सके। जैविक खेती पोर्टल के अंतर्गत कुल 6.22 लाख किसान रजिस्टर्ड हैं।

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