National Mission on Natural Farming यानी राष्ट्रीय प्राकृतिक खेती मिशन भारत सरकार द्वारा 2024 में शुरू की गई योजना है. यह योजना पूरे देश में मिशन मोड में प्राकृतिक खेती को बढ़ावा देने के लिए शुरू की गई है. इसका उद्देश्य सभी के लिए सुरक्षित और पौष्टिक भोजन उपलब्ध कराने के लिए प्राकृतिक खेती के तरीकों को बढ़ावा देना है. इस मिशन का उद्देश्य किसानों को खेती की इनपुट लागत और बाहर से खरीदे गए इनपुट पर निर्भरता कम करने में सहायता करना भी है.
राष्ट्रीय प्राकृतिक खेती मिशन को कृषि पद्धतियों को वैज्ञानिक रूप से पुनर्जीवित करने और मजबूत बनाने के लिए शुरू किया गया है ताकि किसान परिवारों और उपभोक्ताओं के लिए स्थिरता, जलवायु लचीलापन और स्वस्थ भोजन मिल सके.
प्राकृतिक खेती से मिट्टी के स्वास्थ्य में सुधार होगा, जैव विविधता को बढ़ावा मिलेगा और विविध फसल प्रणालियों को भी प्रोत्साहन मिलेगा.
1 करोड़ किसानों तक पहुँचने का लक्ष्य
इस मिशन के तहत सरकार 2026 तक इच्छुक ग्राम पंचायतों के 15,000 समूहों में इंप्लीमेंट करेगी. सरकार का 1 करोड़ (10 मिलियन) किसानों तक पहुँचने का और 7.5 लाख हेक्टेयर क्षेत्र में प्राकृतिक खेती शुरू करने का लक्ष्य है. इसके अलावा, किसानों को उपयोग के लिए तैयार जैविक उर्वरकों की आसान उपलब्धता और पहुंच प्रदान करने के लिए आवश्यकता आधारित 10,000 जैव-इनपुट संसाधन केंद्र भी स्थापित किए जाएंगे.
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किसानों को दी जाएगी ट्रेनिंग
इसके अंतर्गत, कृषि विज्ञान केंद्रों (केवीके), कृषि विश्वविद्यालयों (एयू) और किसानों के खेतों पर लगभग 2000 एनएफ मॉडल प्रदर्शन फार्म स्थापित किए जाएंगे, और इन्हें अनुभवी और प्रशिक्षित किसान मास्टर प्रशिक्षकों द्वारा सहायता दिये जाने की बात कही गई है. इच्छुक किसानों को उनके गांवों के निकट केवीके, कृषि विश्वविद्यालयों और व्यावहारिक एनएफ किसानों के खेतों में एनएफ पैकेज की कार्यप्रणाली, एनएफ इनपुट की तैयारी आदि पर मॉडल प्रदर्शन फार्मों में ट्रेनिंग भी दी जाएगी.
30,000 कृषि सखियाँ भी काम करेंगी
इस योजना के तहत 18.75 लाख प्रशिक्षित इच्छुक किसान अपने पशुओं का उपयोग करके या जैव-इनपुट संसाधन केंद्रों से खरीद कर जीवामृत, बीजामृत आदि जैसे इनपुट तैयार करेंगे. क्लस्टरों में इच्छुक किसानों के बीच जागरूकता पैदा करने, उन्हें संगठित करने और उनकी सहायता करने के लिए 30,000 कृषि सखियों/सामुदायिक संसाधन व्यक्तियों (सीआरपी) को तैनात किया जाएगा.
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इसका लाभ क्या है?
प्राकृतिक कृषि पद्धतियों से किसानों को खेती की इनपुट लागत और बाहर से खरीदे गए इनपुट पर निर्भरता कम करने में मदद मिलेगी, साथ ही मृदा स्वास्थ्य, उर्वरता और गुणवत्ता को पुनर्जीवित करने और जलभराव, बाढ़, सूखा आदि जैसे जलवायु जोखिमों के प्रति लचीलापन बनाने में मदद मिलेगी.
यह मिशन किसानों को कीटनाशकों आदि के संपर्क में आने से होने वाले स्वास्थ्य जोखिमों को भी कम करेगी और किसानों के परिवारों को स्वस्थ और पौष्टिक भोजन मिलेगा. इसके अलावा, प्राकृतिक खेती के माध्यम से, भावी पीढ़ियों को एक स्वस्थ धरती माता विरासत में मिलेंगी.
ये देखें –
पूजा राय ने बनारस हिंदू विश्वविद्यालय (BHU) से पढ़ाई की है।
Lallantop में Internship करने के बाद NewsPotli के लिए कृषि और ग्रामीण भारत से जुड़ी खबरें लिखती हैं।