ग्रामीण ऊर्जा मॉडल के जरिए उत्तर प्रदेश सरकार ने ग्रामीण इलाकों में एलपीजी के उपयोग में 70 फीसदी की कमी लाने का लक्ष्य तय किया है।निजी गोशालाओं के निर्माण को भी बढ़ावा देगी यह योजना। योजना के तहत सरकार 43 चयनित गौशालाओं में बायोगैस और जैविक खाद संयंत्र स्थापित करने की भी योजना बना रही है। हर गौशाला से प्रति माह 50 क्विंटल तक गोबर का उत्पादन होने की उम्मीद है।
लखनऊ: उत्तर प्रदेश की योगी सरकार ने ग्रामीण क्षेत्रों में ऊर्जा आत्मनिर्भरता और रोजगार बढ़ाने के उद्देश्य से ‘ग्राम-ऊर्जा मॉडल’ की शुरुआत कर दी है। इस योजना के तहत गांवों में घरेलू बायोगैस इकाइयां स्थापित की जाएंगी, जो एलपीजी रसोई गैस के विकल्प के रूप में काम करेंगी। सरकार का कहना है कि इससे ग्रामीण घरों में एलपीजी की खपत 70 फीसदी तक कम हो सकती है। इस योजना के तहत सरकार निजी गोशालाओं के निर्माण को भी बढ़ावा दे रही है। इससे आवारा पशुओं में भी कमी आएगी। मतलब योजना एक फायदे अनेक।
निजी गोशालाओं का निर्माण होगा
योगी सरकार के मुताबिक इस योजना को मनरेगा के साथ जोड़ा गया है, ताकि अधिक से अधिक ग्रामीण परिवारों को इससे प्रत्यक्ष लाभ मिल सके। ग्रामीण ऊर्जा मॉडल योजना के अंतर्गत व्यक्तिगत गोशालाओं का निर्माण कराया जाएगा। इन गोशालाओं से उत्पन्न गोबर का उपयोग बायोगैस प्लांट में किया जाएगा, जिससे खाना पकाने के लिए गैस बनेगी। बायोगैस से निकलने वाली बची हुई स्लरी को जैविक खाद के रूप में नजदीकी किसानों को बेचा जा सकेगा।
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ग्रामीण परिवारों की होगी बचत
उत्तर प्रदेश गोसेवा आयोग के ओएसडी डॉ. अनुराग श्रीवास्तव के अनुसार, इस योजना से ग्रामीण परिवारों को सीधा आर्थिक लाभ मिलेगा। गांवों में घरेलू बायोगैस यूनिटों की स्थापना के बाद रसोई में इस्तेमाल होने वाली एलपीजी सिलेंडर की खपत में लगभग 70 फीसदी तक की कमी आ सकती है। इससे न केवल परिवारों की बचत होगी, बल्कि यह पर्यावरण संरक्षण की दिशा में भी एक बड़ा कदम साबित होगा।
ये देखें –
पूजा राय ने बनारस हिंदू विश्वविद्यालय (BHU) से पढ़ाई की है।
Lallantop में Internship करने के बाद NewsPotli के लिए कृषि और ग्रामीण भारत से जुड़ी खबरें लिखती हैं।