क्या है डिजिटल कृषि मिशन?

डिजिटल क्रांति

भारत की डिजिटल क्रांति ने हाल के वर्षों में डिजिटल पहचान, सुरक्षित भुगतान और लेनदेन के माध्यम से शासन और सेवा वितरण में महत्वपूर्ण बदलाव किया है। इन विकासों ने वित्त, स्वास्थ्य देखभाल, शिक्षा और खुदरा सहित क्षेत्रों में काम आसान कर दिये हैं। कृषि क्षेत्र में भी ऐसे ही बदलाव के लिए 2 सितंबर 2024 को प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की अध्यक्षता में केंद्र सरकार के 1,940 करोड़ रुपये की हिस्सेदारी के साथ 2,817 करोड़ रुपये के पर्याप्त वित्तीय लागत के साथ ‘डिजिटल कृषि मिशन’ को मंजूरी दी थी।

अब साल 2025-26 के लिए 54.972 करोड़ रुपये की राशि आवंटित की गई है। हालांकि, महाराष्ट्र राज्य सहित राज्यों को उनके प्रस्तावों के आधार पर धनराशि जारी की जाती है। यह जानकारी कृषि एवं किसान कल्याण राज्य मंत्री श्री रामनाथ ठाकुर ने लोकसभा में एक लिखित उत्तर में दिया है।


मिशन का उद्देश्य क्या है?
मिशन का उद्देश्य देश में एक मजबूत डिजिटल कृषि पारिस्थितिकी तंत्र को सक्षम करना है ताकि अभिनव किसान-केंद्रित डिजिटल समाधान चलाए जा सकें और देश के सभी किसानों को समय पर और विश्वसनीय फसल संबंधी जानकारी उपलब्ध कराई जा सके। मिशन में कृषि के लिए डिजिटल सार्वजनिक अवसंरचना जैसे एग्रीस्टैक, कृषि निर्णय सहायता प्रणाली, व्यापक मृदा उर्वरता और प्रोफ़ाइल मानचित्र और केंद्र सरकार/राज्य सरकारों द्वारा की जाने वाली अन्य आईटी पहलों का निर्माण शामिल है।

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Agristack ज़्यादा महत्वपूर्ण
एग्रीस्टैक परियोजना इस मिशन के प्रमुख घटकों में से एक है, जिसमें कृषि क्षेत्र में तीन मूलभूत रजिस्ट्री या डेटाबेस शामिल हैं, यानी किसानों की रजिस्ट्री, भू-संदर्भित गाँव के नक्शे और फसल बोई गई रजिस्ट्री, जो सभी राज्य सरकारों / केंद्र शासित प्रदेशों द्वारा बनाई और रखी जाती हैं। सरकार मिशन के कार्यान्वयन के लिए सभी राज्यों को प्रशासनिक और तकनीकी सहायता देती है।

क्या होता है Agristack से?
एग्रीस्टैक किसानों के जनसांख्यिकीय विवरण, भूमि जोत और बोई गई फसलों पर व्यापक और उपयोगी डेटा देता है। यह किसानों को ऋण, बीमा, खरीद आदि जैसे लाभों और सेवाओं तक पहुंचने के लिए डिजिटल रूप से पहचानने और प्रमाणित करने में सक्षम बनाता है। यह राज्य को ऐसे समाधान तैयार करने में भी सक्षम बनाता है जो किसानों के लिए डिजिटल अर्थव्यवस्था तक पहुँच खोलते हैं जैसे कि एक भरोसेमंद तरीके से इनपुट तथा उपज की ऑनलाइन खरीद और बिक्री।

इसके अलावा, सरकार राष्ट्रीय कृषि बाजार (ई-नाम) को लागू कर रही है, जो विभिन्न राज्यों/केंद्र शासित प्रदेशों (यूटी) की भौतिक थोक मंडियों/बाजारों को एकीकृत करने वाला एक वर्चुअल प्लेटफॉर्म है, ताकि पारदर्शी मूल्य खोज पद्धति के माध्यम से कृषि वस्तुओं के ऑनलाइन व्यापार की सुविधा मिल सके और किसानों को उनकी उपज के लिए बेहतर लाभकारी मूल्य मिल सके। 31 दिसंबर, 2024 तक 23 राज्यों और 04 केंद्र शासित प्रदेशों (यूटी) की 1410 मंडियों को ई-नाम प्लेटफॉर्म के साथ एकीकृत किया जा चुका है।

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Pooja Rai

पूजा राय ने बनारस हिंदू विश्वविद्यालय (BHU) से पढ़ाई की है।
Lallantop में Internship करने के बाद NewsPotli के लिए कृषि और ग्रामीण भारत से जुड़ी खबरें लिखती हैं।

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