आपकी चाय में रंगत लाने के लिए इन्होंने कितना कुछ खो दिया

भारत में पश्चिम बंगाल और असम में बड़े पैमाने पर चाय की खेती होती है। बंगाल में सिलीगुड़ी, जलपाईगुड़ी, दार्जलिंग को टी स्टेट का गढ़ माना जाता है

पश्चिम बंगाल के टी स्टेट में काम करने वाले लोगों का हाल बहुत पुरा है। उन्हें दिन का महज 232 रुपये ही मेहनताना मिलता है।

भारत में पश्चिम बंगाल और असम में बड़े पैमाने पर चाय की खेती होती है। बंगाल में सिलीगुड़ी, जलपाईगुड़ी, दार्जलिंग को टी स्टेट का गढ़ माना जाता है। यहां चाय के बागान में काम करने वाले ज्यादातर मज़दूर बहुत ही बुरे हालात से गुज़र रहे हैं। उन्हें सिर्फ 232 रुपये दिहाड़ी पर काम करना पड़ता है। यहां काम करने वाले ज्यादातर वो लोग हैं, जिनके पिता, या दादा या घर का कोई सदस्य पहले इस टी स्टेट में काम कर चुका है।

दरअसल चाय बागान में काम करने वाले लोगों को टी स्टेट की तरफ से रहने के लिए घर दिया जाता है। घर आपको तभी तक मिलेगा जब तक कि परिवार का एक सदस्य यहां नौकरी कर रहा हो। यहां रहने वाले कई लोगों के पास घर नहीं है, इसी मजबूरी में वो यहां काम करते हैं कि, कम से कम सिर पर एक छत तो मिल जाएगी।

टी स्टेट का इतिहास, यहां के चाय की पत्ती की डिमांड और मजदूरों की परेशानी। डिटेल स्टोरी जानने के लिए विडियो देखिए

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