मक्का किसानों को उत्पादन का उचित दाम मिले, प्रति हेक्टेयर लागत घटे, इसके प्रयास हम करेंगे: कृषि मंत्री चौहान

कृषि मंत्री चौहान

मक्का तीसरी सबसे बड़ी क्रॉप, लेकिन प्रोडक्टिविटी बढ़ाना है, कई तरह के शोध की ज़रूरत है. आईसीएआर ने मक्का की कई नई किस्में विकसित की, जिनमें 77 हाइब्रिड किस्में भी हैं. 11वीं भारत मक्का समिट में बोले केंद्रीय कृषि मंत्री शिवराज सिंह.

केंद्रीय कृषि एवं किसान कल्याण और ग्रामीण विकास मंत्री शिवराज सिंह चौहान ने दिल्ली में भारतीय वाणिज्य एवं उद्योग महासंघ (फिक्की) द्वारा आयोजित 11वें भारत मक्का समिट-2025 का शुभारंभ किया. इस अवसर पर शिवराज सिंह ने मक्का उत्पादन के क्षेत्र में नवाचार और उत्कृष्ट योगदान देने वाले किसानों को सम्मानित किया. 

उन्होंने कहा कि मक्का में अभी कई चीजों की ज़रूरत है. मक्का तीसरी सबसे बड़ी क्रॉप हो गई है, पर प्रोडक्टिविटी बढ़ाना है.स्टार्च कम है, कई तरह के शोध की ज़रूरत है. अमेरिका, ब्राज़ील में कितना मक्का उत्पादन होता है. हम जीएम सीड्स का इस्तेमाल नहीं करते, इसके बावजूद उत्पादन बढ़ाया जा सकता है. हमने वैज्ञानिकों को निर्देश दिए हैं कि मक्का में उत्पादन कैसे बढ़े, क्योंकि 1990 के दशक में केवल 10 मिलियन टन उत्पादन था, अब ये बढ़कर लगभग 42.3 मिलियन टन तक पहुंच गया है और आगे ये 86 मिलियन टन पहुंच सकता है 2027 तक. अभी हमारी जो एवरेज प्रोडक्टिविटी है 3.78 टन प्रति हेक्टेयर, कुछ राज्यों- बंगाल, बिहार में प्रोडक्टिविटी एवरेज से ज़्यादा है. ओवरऑल अभी और बढ़ाने की ज़रूरत है. ये अलग बात है कि कुछ किसान बहुत अच्छा काम कर रहे हैं, जिनसे शिवराज सिंह ने अन्यों को भी शिक्षित करने में मदद का अनुरोध किया.

आने वाली पीढ़ियों को ध्यान में रखकर काम करना है
मंत्री ने कहा कि यहां कहा जा रहा था कि मक्के को एक ताकत के रूप में स्थापित करना है, मुझे तो किसान को एक ताकत के रूप में स्थापित करना है, उसमें मक्का भी सहयोगी हो. प्रधानमंत्री के नेतृत्व में हमारी नीति है- देश की खाद्य सुरक्षा सुनिश्चित करना, किसानों की आमदनी बढ़ाना, खेती को लाभ का धंधा बनाना, पोषणयुक्त आहार कैसे हमारी जनता को मिले, उसकी कोशिश करना और एक और लक्ष्य है हमारा कि ये धरती केवल हमारे लिए नहीं है, आने वाली पीढ़ियों का भी इस पर हक है, इसलिए हम कोशिश ये करें कि आने वाली पीढ़ियों के लिए धरती अन्न पैदा करती रहे. कहीं ऐसा न हो कि हम अधिकतम उत्पादन के चक्कर में इसका इतना शोषण कर लें कि बाद में वो बंजर होने की दिशा में बढ़ जाए. आने वाली पीढ़ियों का भी ख़याल रखना है.

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मक्का उत्पादन को लेकर हम काम करते रहेंगे
चौहान ने कहा कि हमें भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद को भी धन्यवाद देना चाहिए कि मक्का की कई नई किस्में-265 वैरायटी विकसित की हैं, जिनमें से 77 हाइब्रिड किस्में भी हैं, जिसमें स्पेशलिटी कॉर्न शामिल है और करीब 30 बायोफॉर्टिफाइड भी हैं, यानी काम हुआ है, लेकिन मुझे लगता है काम और करने की ज़रूरत है. उन्होंने कहा कि सरकार ने भी कसर नहीं छोड़ी है. बीच में मक्का के रेट काफ़ी गिर गए थे, लेकिन एमएसपी, एथनॉल लक्ष्य सहित सरकार की नीतियों से दाम फिर बढ़े हैं. मक्का के किसानों को ठीक दाम मिले, इसकी हम कोशिश करते रहेंगे.

मक्के में प्रोटीन बढ़ाने पर हो काम
चौहान ने कहा कि देश को तिलहन-तेल की भी जरूरत है, लेकिन कुछ चीजें हमें और करना पड़ेगी, डीडीजीएस जो एक सहायक उत्पाद है उसमें प्रोटीन काफी होता है लेकिन मक्के से ज्यादा चावल में होता है, मक्के में अगर 25% से 30% है तो चावल में 40% से 45% है, ये प्रोटीन मक्का में कैसे बढ़े, इसकी हम चिंता कर रहे हैं. स्वीट कॉर्न, बेबी कॉर्न ये ऐसी फसलें हैं, जिससे किसान को तत्काल लाभ मिलता है और तीन-तीन, चार-चार बार हम ये फसल पैदा कर सकते हैं. उनकी भी और अच्छी किस्में कैसे आएं, इस बात की हम कोशिश करते रहेंगे.

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Pooja Rai

पूजा राय ने बनारस हिंदू विश्वविद्यालय (BHU) से पढ़ाई की हैं ।
Lallantop में Internship करने के बाद NewsPotli के लिए कृषि और ग्रामीण भारत से जुड़ी खबरें लिखती हैं।

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