उत्तर प्रदेश सरकार हर बार की तरह इस बार भी वन महोत्सव अभियान के तहत राज्य में वृक्षारोपण करने वाली है, जिसकी शुरुआत एक जुलाई से होगी, जिसके तहत 35 करोड़ पेड़ लगाने का लक्ष्य रखा गया है.
हर साल लगभग इसी सीजन में किए जाने वाले वृक्षारोपण का मकसद प्रदेश में हरियाली बढ़ाना, पर्यावरण को स्वच्छ व सुंदर बनाना, जलवायु परिवर्तन की चुनौतियों को कम करना और हर प्रकार के पौधे (फलदार, छायादार, औषधीय और इमारती) लगाकर अधिकतम जैव विविधता को सुनिश्चित करना है.
मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ का कहना है कि पर्यावरण संरक्षण केवल शासन की नहीं, बल्कि समाज की सामूहिक जिम्मेदारी है. 2030 तक प्रदेश के हरित आवरण को 20% तक ले जाने का हमारा लक्ष्य तभी सफल होगा जब वृक्षारोपण जन आंदोलन का स्वरूप ले. बता दें कि वर्ष 2024 के वृक्षारोपण अभियान के दौरान सहजन (Moringa) के करीब 55 लाख पौधे लगाए गए थे. वर्ष 2025 के लिए यह संख्या कमोबेश यही रहेगी.
सहजन के पेड़ लगाए जाएंगे
सहजन के औषधीय और पोषण संबंधी खूबियों के मद्देनजर वाराणसी के स्वास्थ्य विभाग ने अनुकरणीय पहल की है. इस क्रम में हर सामुदायिक, प्राथमिक और हेल्थ सब सेंटर्स पर सहजन के दो-दो पौध लगाए जाएंगे. पिछले दिनों से इसकी शुरुआत भी हो चुकी है. दो साल पूर्व केंद्र ने राज्यों को निर्देश दिया था कि वे पीएम पोषण योजना में स्थानीय स्तर पर सीजन में उगने वाले पोषक तत्वों से भरपूर पालक, अन्य शाक-भाजी एवं फलियों के साथ सहजन को भी शामिल करें.
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सहजन, पोषण का पावरहाउस
विशेषज्ञों की माने तो सहजन सिर्फ एक पौधा नहीं है बल्कि खुद में पोषण का पावरहाउस है. इसकी पत्तियों एवं फलियों में 300 से अधिक रोगों की रोकथाम के गुण होते हैं. इनमें 92 तरह के विटामिन्स, 46 तरह के एंटी ऑक्सीडेंट, 36 तरह के दर्द निवारक और 18 तरह के एमिनो एसिड मिलते हैं. इसके अलावा सहजन में विटामिन सी- संतरे से सात गुना, विटामिन ए- गाजर से चार गुना, कैल्शियम- दूध से चार गुना, पोटैशियम- केले से तीन गुना, प्रोटीन- दही से तीन गुना मिलता है.
ये देखें –
पूजा राय ने बनारस हिंदू विश्वविद्यालय (BHU) से पढ़ाई की है।
Lallantop में Internship करने के बाद NewsPotli के लिए कृषि और ग्रामीण भारत से जुड़ी खबरें लिखती हैं।