उत्तर प्रदेश सरकार ने 1 अगस्त से तीन महीने के लिए 11 कीटनाशकों पर बैन लगाया है। इन दवाओं के इस्तेमाल से चावल में अवशेष रह जाते हैं, जिससे उसकी गुणवत्ता खराब होती है और विदेशों में निर्यात पर रोक लग जाती है। यूरोपीय यूनियन, अमेरिका, सऊदी अरब, कतर और कई देशों ने ऐसे चावल को लौटा दिया है। इसी वजह से किसानों को जागरूक किया जा रहा है कि वे इन प्रतिबंधित दवाओं का इस्तेमाल न करें, वरना उन्हें भारी आर्थिक नुकसान उठाना पड़ सकता है।
नई दिल्ली: उत्तर प्रदेश सरकार ने बासमती चावल की गुणवत्ता बचाने और विदेशों में निर्यात बनाए रखने के लिए 11 कीटनाशकों पर 1 अगस्त से तीन महीने के लिए रोक लगा दी है।
इनमें ऐसिफेट, बुप्रोफेजिन, क्लोरपाइरीफॉस, प्रोपिकोनाज़ोल, थायामेथोक्साम, प्रोफेनोफॉस, कार्बेन्डाज़िम, ट्राइसाइक्लाज़ोल, टेबुकोनाज़ोल, कार्बोफ्यूरान और इमिडाक्लोप्रिड शामिल हैं। इन दवाओं के इस्तेमाल से चावल में अवशेष रह जाते हैं, जिससे उसकी गुणवत्ता गिरती है और विदेशों में निर्यातक देश उसे लौटा देते हैं।
इन देशों ने जताई आपत्ति
मुरादाबाद के कृषि रक्षा अधिकारी राजेंद्र कुमार ने बताया कि यूरोपीय संघ, अमेरिका, सऊदी अरब, कुवैत, क़तर और बहरीन जैसे देशों ने ऐसे चावल पर आपत्ति जताई है। किसानों को जागरूक किया जा रहा है कि अगर वे ये कीटनाशक इस्तेमाल करेंगे तो उनका चावल विदेश नहीं जाएगा और उन्हें आर्थिक नुकसान होगा।
किसानों को होगा इसका नुकसान
मुरादाबाद जिले में किसानों ने इन दवाओं का इस्तेमाल बंद कर दिया है और रसायन-मुक्त खेती की ओर बढ़ रहे हैं। कृषि विभाग प्रेस नोट और पत्रों के जरिए किसानों को नियम मानने की अपील कर रहा है। विभाग ने यह भी साफ किया है कि अगर प्रतिबंधित दवाओं से उगा चावल विदेश नहीं जाएगा तो उसे सिर्फ देश में ही कम दामों पर बेचना पड़ेगा।
राज्य सरकार ने यह भी सुनिश्चित किया है कि खाद जैसे जरूरी सामान, खासकर यूरिया, पर्याप्त मात्रा में उपलब्ध है, जिसे सहकारी समितियों के जरिए किसानों तक पहुँचाया जा रहा है।
ये देखें –
पूजा राय ने बनारस हिंदू विश्वविद्यालय (BHU) से पढ़ाई की है।
Lallantop में Internship करने के बाद NewsPotli के लिए कृषि और ग्रामीण भारत से जुड़ी खबरें लिखती हैं।