कृषि मंत्री शिवराज सिंह चौहान ने चावल की दो नई किस्में लॉन्च की हैं। इनके नाम हैं डीएसआर राइस 100 (कमला) और पूसा डीएसटी राइस 1।
किसानों के लिए अच्छी खबर है। कृषि मंत्री शिवराज सिंह चौहान ने चावल की दो नई किस्में लॉन्च की हैं। इनके नाम हैं डीएसआर राइस 100 (कमला) और पूसा डीएसटी राइस 1। इन्हें भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद (ICAR) ने विकसित किया है। इनकी खासियत है कि, पैदावार में लागत घटेगी और पानी भी बचेगा। इन नई किस्मों को CRISPR-Cas पर आधारित जीनोम-एडिटिंग तकनीक का इस्तेमाल करके विकसित किया गया है, जो विदेशी डीएनए को जोड़े बिना जीव की आनुवंशिक सामग्री में सटीक परिवर्तन करता है। सामान्य फसलों के लिए भारत के जैव सुरक्षा नियमों के तहत SDN 1 और SDN 2 प्रकार के जीनों के जीनोम संपादन को मंजूरी दी गई है।

दिल्ली में चावल की किस्मों को लॉन्च करने के दौरान शिवराज सिंह चौहान ने युवा किसानों से आधुनिक और उन्नत खेती की तकनीक अपनाने की अपील की। उन्होंने कहा, ‘जब वैज्ञानिक और किसान मिलकर काम करेंगे, तब खेती में चमत्कार होगा।‘ कार्यक्रम में शिवराज सिंह चौहान ने कहा कि, प्रधानमंत्री का विकसित भारत का संकल्प पूरा हो रहा है, और किसान समृद्धि की ओर बढ़ रहे है। आज का दिन स्वर्ण अक्षरों में लिखा जाएगा। आजादी के अमृत महोत्सव में प्रधानमंत्री जी ने कृषि की चुनौतियों से निपटने के लिए किसानों से आधुनिक तकनीक अपनाने का आह्वान किया था, उन्हीं के शब्दों को प्रेरणा का रूप देते हुए ICAR के वैज्ञानिकों ने नई किस्सों का इजाद कर कृषि क्षेत्र में असाधारण उपलब्धि हासिल की है।
चावल का उत्पादन बढ़ाने का लक्ष्य
इस कार्यक्रम के दौरान कृषि मंत्री ने किसानों माइनस 5 और प्लस 10 के फॉर्मूला भी दिया। उन्होंने कहा कि हमें इस फॉर्मूले पर काम करना होगा। इसका मतलब है, 5 मिलियन (50 लाख) हेक्टेयर चावल का एरिया कम करना है, और 10 मिलियन (एक करोड़) टन चावल का उत्पादन उतने एरिया में ही बढ़ाना है। इस उद्देश्य से काम करने से जो क्षेत्रफल बचेगा, उसमें दलहन और तिलहन की खेती पर जोर दिया जाएगा।
बासमती चावल का निर्यात
शिवराज सिंह चौहा ने इस बात पर जोर दिया कि आने वाले समय में खाद्य सुरक्षा सुनिश्चित करने, पौष्टिक उत्पादन बढ़ाने और भारत और दुनिया दोनों के लिए भोजन उपलब्ध कराने के साथ-साथ भारत को दुनिया की खाद्य टोकरी बनाने की जरूरत है। उन्होंने कहा कि हमें गर्व है कि हमारी कोशिशों से हर साल 48,000 करोड़ रुपये के बासमती चावल का निर्यात हो रहा है।