चालू वित्त वर्ष 2025-26 के अप्रैल-जुलाई में अमेरिका को बासमती चावल का निर्यात 78,000 टन रहा, जो पिछले साल 90,000 टन से 13 फीसद कम है. अगस्त में यह गिरावट और तेज हो सकती है, क्योंकि पिछले साल अगस्त में 22,730 टन निर्यात हुआ था, लेकिन इस महीने ट्रंप प्रशासन ने अतिरिक्त टैरिफ लागू किए हैं.
27 अगस्त के बाद अमेरिका में टैरिफ 25 फीसद से बढ़कर 50 फीसद हो जाएगा, जिससे भारत के लिए निर्यात मात्रा बनाए रखना मुश्किल होगा. इससे एकमात्र प्रतिस्पर्धी पाकिस्तान को फायदा होगा, जिसके बासमती चावल पर केवल 19 फीसद शुल्क है. अमेरिका को प्रमुख बासमती निर्यातक कंपनियों में एलटी फूड्स, स्टार राइस लैंड, इब्रो इंडिया और आरएस राइस मिल्स शामिल हैं. आपको बता दें कि बासमती चावल भारत और पाकिस्तान दोनों में भौगोलिक संकेत (GI) के तहत संरक्षित है, क्योंकि यह सुगंधित धान कुछ चुनिंदा क्षेत्रों में उगाया जाता है.
मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक एक प्रमुख निर्यातक ने बताया कि पिछले साल अमेरिका से बासमती निर्यात का मूल्य 1,230 डॉलर प्रति टन था, जो सऊदी अरब (1,025 डॉलर प्रति टन) और ईरान (881 डॉलर प्रति टन) से अधिक था. चीन का निर्यात मूल्य भी 1,095 डॉलर प्रति टन रहा. निर्यातक ने कहा कि apeda को नए बाजार विस्तार में मात्रा के साथ-साथ मूल्य पर भी ध्यान देना चाहिए.
बासमती चावल पांचवें स्थान पर
2024-25 में अमेरिका को भारत के कुल कृषि निर्यात (6.25 अरब डॉलर) में बासमती चावल पांचवें स्थान पर था. भारत ने 2024-25 में अमेरिका को 274,213 टन बासमती चावल निर्यात किया, जो कुल 6.07 मिलियन टन का 4.5 फीसद है. देश के कुल चावल निर्यात में बासमती का हिस्सा 30 फीसद है। वहीं सऊदी अरब को अधिकतम बासमती निर्यात हुआ, जो 1.17 मिलियन टन (1.12 अरब डॉलर) था. इराक और ईरान ने मिलकर 1.76 मिलियन टन (1.6 अरब डॉलर) आयात किया, जिसमें ईरान का हिस्सा 50,000 टन और इराक का 905,599 टन था.
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निर्यातकों की चिंता
निर्यातकों का कहना है कि टैरिफ वृद्धि से अमेरिकी बाजार में बिक्री प्रभावित होगी, जिससे निर्यात आय कम होगी और घरेलू कीमतों पर दबाव बढ़ेगा. पंजाब में बासमती की कीमतें पहले ही 2022-23 में 4,500 रुपए प्रति क्विंटल से घटकर 2023-24 में 3,500 रुपए प्रति क्विंटल रह गई हैं.
किसानों पर असर
पंजाब में बासमती की खेती 6.8 लाख हेक्टेयर में होती है, जिसमें 1509, 1121 और 1718 जैसी किस्में 80 फीसद क्षेत्र में उगाई जाती हैं. टैरिफ वृद्धि से किसानों को नुकसान हो सकता है, क्योंकि निर्यात कम होने से खरीद मूल्य घट सकता है, जिससे किसान सामान्य धान की खेती की ओर बढ़ सकते हैं.
ये देखें –
पूजा राय ने बनारस हिंदू विश्वविद्यालय (BHU) से पढ़ाई की है।
Lallantop में Internship करने के बाद NewsPotli के लिए कृषि और ग्रामीण भारत से जुड़ी खबरें लिखती हैं।