खेती-किसानी और ग्रामीण भारत से जुड़ी दिनभर की ज़रूरी खबरें

दिनभर की खेती किसानी से जुड़ी खबरों की न्यूज पोटली में आपका स्वागत है। चलिए देखते हैं आज की पोटली में किसानों के लिए क्या क्या नया है।

भारतीय खाद्य सुरक्षा और मानक प्राधिकरण (FSSAI) ने विशेष रूप से आम के मौसम के दौरान फलों को कृत्रिम रूप से पकाने के लिए कैल्शियम कार्बाइड के उपयोग के संबंध में व्यापारियों, फलों का रखरखाव करने वालों और खाद्य व्यवसाय संचालकों को कड़ी चेतावनी जारी की है।
भारतीय खाद्य सुरक्षा और मानक प्राधिकरण (FSSAI) के दिशा-निर्देशों में फलों को पकाने के लिए कैल्शियम कार्बाइड के उपयोग पर रोक लगाने वाले नियमों का कड़ाई से पालन करने की आवश्यकता पर जोर दिया गया है। इसके साथ ही कैल्शियम कार्बाइड के उपयोग से जुड़े स्वास्थ्य खतरों को भी रेखांकित किया गया है।
FSSAI ने राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों के खाद्य सुरक्षा विभागों से सतर्क रहने और इन नियमों का उल्लंघन करने वालों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई करने का आग्रह किया है। प्राधिकरण ने इस बात पर जोर दिया कि कैल्शियम कार्बाइड, एक खतरनाक रसायन, का उपयोग महत्वपूर्ण स्वास्थ्य जोखिम जैसे चक्कर आना, बार-बार प्यास लगना, जलन, कमजोरी, निगलने में कठिनाई, उल्टी और त्वचा के अल्सर पैदा करते हैं और खाद्य सुरक्षा और मानक अधिनियम, 2006 के साथ-साथ इसके संबंधित नियमों का उल्लंघन करता है।

बिहार सरकार गेंदा फूल की खेती करने वाले किसानों को प्रति हेक्टेयर 28,000 रुपये का अनुदान दे रही है।योजना का लाभ लेने के लिए इच्छुक किसान DBT पोर्टल पर रजिस्ट्रेशन कराकर ऑनलाइन आवेदन कर सकते हैं
बिहार सरकार किसानों को गेंदा फूल की खेती से आत्मनिर्भर करना चाहती है, इसके अन्तर्गत 805 हेक्टेयर का लक्ष्य रखा गया है। इसको लेकर किसानों को प्रोत्साहित किया जा रहा है।सरकार का कहना है कि इससे किसानों को अच्छी आमदनी होगी।
फूलों की खेती करने वाले किसानों की संख्या हाल के वर्षों में लगातार बढ़ रही है। उद्यान विभाग की ओर से किसानों से ऑनलाइन आवेदन लिया जा रहा है। इसके बाद किसानों को अनुदानित दर पर गेंदा फूल के पौधे उपलब्ध कराए जाएंगे।
प्रति हेक्टेयर यूनिट कॉस्ट 40,000 रुपये निर्धारित किया गया है। इस पर किसानों को 70 फीसदी तक अनुदान दिया जाएगा। यानी प्रति हेक्टेयर किसानों को 28,000 रुपये अनुदान दिए जाएंगे। अनुदान की राशि में से ही गेंदा के पौधे किसानों को उपलब्ध कराए जाएंगे।

सरकारी एजेंसियां ​​पिछले साल के गेहूं खरीद के आंकड़े को पार करने की तैयारी में हैं, मौजूदा खरीद 261 लाख टन के करीब है।
इकोनॉमिक टाइम्स के एक रिपोर्ट के अनुसार सरकारी एजेंसियां ​​आने वाले दिनों में पिछले साल के गेहूं खरीद के आंकड़े 262 लाख टन को पार करने की तैयारी में हैं, मौजूदा खरीद शनिवार तक लगभग 261 लाख टन तक पहुंच गई है। हालाँकि, कुल 300-310 लाख टन के शुरुआती अनुमान से कम रहने की उम्मीद है।
एफसीआई अधिकारियों को भरोसा है कि कुल खरीद 270 लाख टन तक पहुंच जाएगी। मध्य प्रदेश ने खरीद की अवधि 31 मई तक बढ़ा दी है। पंजाब और हरियाणा में अधिक खरीद दर्ज की गई है। उत्तर प्रदेश में भी खरीद को बढ़ावा देने का प्रयास।

बिहार सरकार पॉलीहाउस और शेड नेट लगाने पर 50 फीसदी सब्सिडी दे रही है ।इस स्कीम का लाभ लेने के लिए किसानों को ऑनलाइन आवेदन करना होगा।
बिहार कृषि विभाग के अनुसार, संरक्षित खेती द्वारा बागवानी विकास योजना के अंतर्गत पॉलीहाउस और शेड नेट की मदद से फसलों की खेती करने के लिए सरकार 50 फीसदी की सब्सिडी दे रही है। इसमें किसानों को पॉलीहाउस लगाने के लिए प्रति वर्ग मीटर की इकाई लागत 935 रुपये पर 50 फीसदी यानी 467 रुपये दिया जाएगा। साथ ही शेड नेट के लिए प्रति वर्ग मीटर की इकाई 710 रुपये पर 50 फीसदी 355 रुपये दिया जाएगा।
यदि आप बिहार के किसान हैं और पॉलीहाउस और शेड नेट की मदद से खेती करना चाहते हैं, तो आप इस योजना के लिए सब्सिडी का लाभ ले सकते हैं। इसके लिए बिहार कृषि विभाग, बागवानी निदेशालय की ऑफिशियल वेबसाइट लिंक पर विजिट कर सकते हैं।

और अब किसानों से लिए सबसे उपयोगी मौसम की जानाकरी
आज का मौसम
IMD, मौसम विभाग ने अगले 5 दिनों के दौरान उत्तर पश्चिम भारत के मैदानी इलाकों में लू से भीषण लू की स्थिति और उत्तरी मध्य प्रदेश और गुजरात राज्य में लू की स्थिति का अनुमान जताया है। जबकि 23 मई तक दक्षिण प्रायद्वीपीय भारत में भारी से बहुत भारी वर्षा होने की संभावना है और 20-22 मई, 2024 के दौरान केरल में अत्यधिक भारी वर्षा होने की संभावना है।

और आखिर में न्यूज पोटली की ज्ञान पोटली
आज 20मई2024, विश्व मधुमक्खी दिवस(World Bee Day) है।
संयुक्त राष्ट्र ने इस दिन की शुरुआत मधुमक्खियों और मधुमक्खी पालन के महत्व और उनके बचाव को लेके जागरूकता फैलाने के लिये की थी।
FAO के रिपोर्ट के अनुसार 4 में से 3 मानव खाद्य फसलें कुछ हद तक, परागण(pollination) पर निर्भर करती हैं। इसलिए ज़रूरी है कि
मधुमक्खियों की जनसंख्या बढ़ाने में हम सब योगदान करें।
क्या कर सकते हैं आप जिससे मधुमक्खियों का बचाव हो –
फसलों में केमिकल का कम इस्तेमाल करें और ऑर्गेनिक खेती को अपनाएं।
अपने घरों, बगीचों और खेतों में मधुमक्खियों के लिए फूलों वाले पौधे लगाएं।
लोकल हनी का इस्तेमाल करें और बीकीपर्स के काम को बढ़ावा दें।
मधुमक्खियों के महत्व और उनसे जुड़े खतरों के बारे में जागरूकता फैलाएं।

खेती किसानी की रोचक जानकारी और जरुरी मुद्दों, नई तकनीक, नई मशीनों की जानकारी के लिए देखते रहिए न्यूज पोटली।

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