खेती-किसानी और ग्रामीण भारत से जुड़ी दिनभर की ज़रूरी खबरें

दिनभर की खेती किसानी से जुड़ी खबरों की न्यूज पोटली में आपका स्वागत है। चलिए देखते हैं आज की पोटली में किसानों के लिए क्या क्या नया है।

मोटा अनाज जैसे ज्वार, बाजरा, रागी, कोदो, सांवा और चीना की खेती को बढ़ावा देने के लिये बिहार राज्य सरकार किसानों को 2000 रुपये नकद अनुदान दे रही है।
मोटे अनाज से खेती में होने वाले फायदे के साथ खाने में होने वाले फायदे को देखते हुए राज्य और केंद्र सरकारें इसकी खेती को बढ़ावा दे रही हैं। किसान इसकी खेती से जुड़े इसके लिए सरकार की तरफ से योजनाएं भी चलाईं जा रही हैं। इसी क्रम में बिहार सरकार भी मोटे अनाज की खेती को बढ़ावा देने के लिये किसानों को 2000 रुपये नकद अनुदान दे रही है, जिसे किसान अपनी मर्जी के अनुसार खेती के लिए खर्च कर सकेंगे। इसके तहत बिहार के कटिहार जिले में पहली बार मोटे अनाज की खेती को लेकर खरीफ मौसम का लक्ष्य निर्धारित किया गया है। न्यूट्री सिरियल पोषक अनाज कार्यक्रम के तहत सभी मोटे अनाज की खेती को लेकर अलग-अलग लक्ष्य रखा गया है। इसमें यह भी तय किया गया है कि किस मोटे अनाज की खेती कितने एकड़ में की जाएगी।

केंद्र सरकार ने किसानों को गेहूं के MSP(न्यूनतम समर्थन मूल्य) का भुगतान करने का पिछले साल का रिकॉर्ड तोड़ दिया है। अब तक पंजाब 27,477 करोड़ रुपये का भुगतान के साथ सबसे शीर्ष पर बना हुआ है जबकि हरियाणा 14,003 करोड़ रुपये भुगतान के साथ दूसरे नंबर पर है।
भारत की खाद्य सुरक्षा में पंजाब और हरियाणा का अहम योगदान है। यही दोनों राज्य बफर स्टॉक के लिए सबसे ज्यादा गेहूं का योगदान देते हैं।इसी बफर स्टॉक गेहूं को PDS(सार्वजन‍िक व‍ितरण प्रणाली) के जर‍िए 80 करोड़ गरीबों में बांटा जाता है और कुछ अनाज संकट काल के ल‍िए भी रखा जाता है।
सरकार को गेहूं बेचने के बदले पंजाब व हरियाणा के क‍िसानों को 28 मई तक 27,477 करोड़ रुपये और 14,003 करोड़ रुपये का क्रमशः भुगतान हो चुका है। इस क्रम में ब‍िहार 20.62 करोड़ रुपये के भुगतान के साथ सबसे पीछे है।
इस साल देश के 36,95,274 लाख क‍िसानों ने गेहूं बेचने के ल‍िए रज‍िस्ट्रेशन करवाया था, लेक‍िन अभी तक स‍िर्फ 20,81,471 क‍िसानों ने ही ब‍िक्री की है। ज‍िसमें से 18,84,225 क‍िसानों को भुगतान म‍िल चुका है।


उत्तर प्रदेश सरकार की कृषि विभाग के द्वारा सभी जिलों में किसानों की खेत की सेहत को जांचने का अभियान शुरू किया गया है। सरकार के द्वारा किसानों को यह सुविधा पूरी तरीके से नि:शुल्क दी जा रही है।

यूपी सरकार ने खेतों में मिट्टी की उर्वरा शक्ति की जांच के लिए अभियान शुरू किया है। किसान के खेतों में किस पोषक तत्व की कमी है, इसका पता लगाने के लिए हर जिले में मिट्टी की जाँच कराई जा रही है।जिसे पता चलने पर किसान जरूरी पोषक तत्व की कमी को दूर अपने फसल की सही उपज ले पायेंगे खास बात यह है कि किसानों को यह सुविधा नि:शुल्क उपलब्ध कराई जा रही है।
खेतो में बढ़ रहे रासायनिक उर्वरक के प्रयोग के चलते मिट्टी की सेहत पर बुरा असर पड़ रहा है इसे लेकर प्रदेश के हर जिलों में किसानों के बीच मृदा परीक्षण को लेकर जागरूकता भी फैलाई जा रही है। इसके अंतर्गत हर गांव से 100 किसान इसके लिए चयनित किए जाएंगे। मिट्टी की जांच के बाद किसानों को मृदा स्वास्थ्य कार्ड भी दिया जाएगा। 15 जून तक परीक्षण के लिए नमूना इकट्ठा करने का कार्य पूरा करने का लक्ष्य निर्धारित है।

और अब किसानों से लिए सबसे उपयोगी मौसम की जानाकरी

मौसम की खबर
मौसम विभाग के अनुसार उत्तर भारत के कई राज्यों में तापमान 45 डिग्री सेल्सियस के पार पहुंच गया है। इससे राजस्थान, उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश और महाराष्ट्र राज्य ज़्यादा प्रभावित हुए हैं, जहां पारा अपनी सामान्य सीमा से आगे बढ़ रहा है। दिल्ली सहित कई शहरों में ऐतिहासिक रूप से उच्च तापमान दर्ज किया गया है, जिससे गर्मी से जुड़ी बीमारियों और मृत्यु दर में वृद्धि हुई है।
देश भर के 37 शहरों में तापमान 45 डिग्री सेल्सियस से अधिक दर्ज किया गया। विशेषज्ञों ने 29 मई तक भीषण गर्मी जारी रहने की चेतावनी दी है।

IMD से मिली जानकारी के मुताबिक़ मुंबई में 10 जून से मॉनसून की बारिश शुरू होने की संभावना है। रिपोर्ट में कहा गया है कि मॉनसून अंडमान में प्रवेश कर चुका है और  10 से 11 जून के बीच मुंबई पहुंचने की उम्मीद है।आमतौर पर मुंबई में मॉनसून 11 जून को आता है।
IMD के अनुसार, दक्षिण-पश्चिम मॉनसून के 31 मई को केरल पहुंचने की संभावना है। इसके बाद देश के अलग-अलग हिस्सों में मॉनसून के आने का अनुमान लगाया जा रहा है

और आखिर में न्यूज पोटली की ज्ञान पोटली

गर्मियों में पपीते के पौधे लगाने से पहले इन बातों का ध्यान दें
पपीता एक पौष्टिक और स्वादिष्ट फल है। विटामिन और खनिजों से भरपूर यह फल बहुत स्वादिष्ट होता है। इसका उपयोग औषधीय रूप में भी किया जाता है। आसानी से उपलब्ध होने वाले पपीते के उत्पादन में कुछ विशेष बातों का ध्यान रखकर इसे बीमारियों से बचाया जा सकता है और बेहतरीन उत्पादन प्राप्त किया जा सकता है। इसकी खेती की लोकप्रियता दिन-ब-दिन बढ़ती जा रही है और क्षेत्रफल की दृष्टि से यह हमारे देश का पांचवां लोकप्रिय फल है।
इसकी खेती देश के विभिन्न राज्यों जैसे आंध्र प्रदेश, तमिलनाडु, बिहार, असम, महाराष्ट्र, गुजरात, उत्तर प्रदेश, पंजाब, हरियाणा, दिल्ली, जम्मू-कश्मीर और मिजोरम में की जा रही है।

कितनी बार करें सिंचाई-
पानी की कमी और निराई-गुड़ाई के अभाव से पपीते के उत्पादन पर बहुत बुरा प्रभाव पड़ता है। दक्षिण भारत की जलवायु में सर्दियों में 8-10 दिन और गर्मियों में 6 दिन के अन्तराल पर सिंचाई करनी चाहिये जबकि उत्तर भारत में अप्रैल से जून तक सप्ताह में दो बार और सर्दियों में 15 दिन के अन्तर पर सिंचाई करनी चाहिए। यह ध्यान रखना जरूरी है कि पानी तने को न छुए, नहीं तो पौधे में सड़न रोग लगने की संभावना रहेगी, इसलिए तने के आसपास की मिट्टी ऊंची रखनी चाहिए। पपीते के बगीचे को साफ रखने के लिए प्रत्येक सिंचाई के बाद पेड़ों के चारों ओर हल्की निराई-गुड़ाई करनी चाहिए।
खरपतवार नियंत्रण-
पपीते के बगीचे में कई खरपतवार उगते हैं और मिट्टी से नमी, पोषक तत्व, हवा और रौशनी आदि के लिए पपीते के पौधे से प्रतिस्पर्धा करते हैं जिससे पौधों की वृद्धि और उत्पादन पर बुरा असर पड़ता है। खरपतवारों से बचाव के लिए आवश्यकतानुसार निराई-गुड़ाई करनी चाहिए। बार-बार सिंचाई करने से मिट्टी की सतह बहुत कठोर हो जाती है और पौधे की वृद्धि पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ता है।ऐसे में 2-3 सिंचाई के बाद प्लेटों की हल्की निराई-गुड़ाई करनी चाहिए।

ये भी देखें –

https://youtu.be/RCdtsDM16Aw?si=gE9kC_pVIZ9aZv1-

                      खेती किसानी की रोचक जानकारी और जरुरी मुद्दों, नई तकनीक, नई मशीनों की जानकारी के लिए देखते रहिए न्यूज पोटली।

 

 

 

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