हर साल विश्व स्तर पर आज, 15 अक्टूबर को अंतर्राष्ट्रीय ग्रामीण महिला दिवस मनाया जाता है। इसका उद्देश्य ग्रामीण परिवारों और समुदायों के समग्र विकास करने में महिलाओं और लड़कियों की महत्वपूर्ण भूमिका को समझने के लिए मनाया जाता है। आज के ही दिन को भारत में, कृषि और किसान कल्याण मंत्रालय, कृषि के क्षेत्र में महिलाओं की सक्रिय भागीदारी बढ़ाने के लिए 2016 से राष्ट्रीय महिला किसान दिवस के रूप में मनाता है।
आज के समय में महिलाएँ हर काम में सक्षम हैं और हर क्षेत्र में उनकी भागीदारी है। लेकिन उतना नहीं है जितना होना चाहिए। राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर पूरी कोशिश की जाती है कि महिलाओं को मान, सम्मान और अधिकार मिले, जिससे वो सशक्त बने। अंतर्राष्ट्रीय ग्रामीण महिला दिवस और राष्ट्रीय महिला किसान दिवस भी इसी उद्देश्य से मनाया जाता है कि लोगों का ध्यान महिलाओं और उनके काम के तरफ़ जाये।
ये दिवस महिलाओं को जागरूक करने के लिए भी मनाया जाता है, ताकि वो अपनी अधिकार को पहचाने और हर क्षेत्र में अपना योगदान दें। क्योंकि आज भी महिलाओं को संसाधनों तक पहुंच, निर्णय लेने में भागीदारी, समान वेतन, उनके खेतों के लिए ऋण और बाजार और भूमि और पशुधन के स्वामित्व में भेदभाव का सामना करना पड़ता है।
यह दिन लैंगिक समानता पर केंद्रित है और ग्रामीण क्षेत्रों में महिलाओं को सशक्त बनाने में मदद करता है। यह ग्रामीण महिलाओं द्वारा कृषि और ग्रामीण विकास को बढ़ाने, ग्रामीण गरीबी उन्मूलन और खाद्य सुरक्षा में सुधार करने में योगदान और महत्वपूर्ण भूमिका को सम्मानित करता है।
WHO के मुताबिक़ ग्रामीण महिलाओं की संख्या दुनिया भर की जनसंख्या की लगभग 22 फीसदी है। वे अपने समुदायों के स्वास्थ्य और कल्याण में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती हैं। ग्रामीण महिलाओं को भारी गरीबी जैसी चुनौतियों का सामना करना पड़ता है, साथ ही शिक्षा, स्वास्थ्य और अन्य सामाजिक सेवाओं और रोजगार के अवसरों तक पहुंच भी असमान होती है।
आज के समय में भारत में महिलाओं की भागीदारी हर क्षेत्र में बढ़ रही है। महिलायें बुवाई, रोपण, खाद, पौध संरक्षण, कटाई, निराई और भंडारण सहित कृषि के विभिन्न पहलुओं में अहम योगदान दे रही हैं।
इन सब के बावजूद आज भी ग्रामीण महिलाओं के पास भूमि अधिकार और ऋण से लेकर शिक्षा और तकनीकी जैसे संसाधनों तक पहुंच बहुत कम है।
संयुक्त राष्ट्र के मुताबिक, अगर महिलाओं को पुरुषों के समान उत्पादक संसाधनों तक पहुंच होती, तो कृषि उपज में 20 से 30 प्रतिशत की वृद्धि हो सकती है, जिससे 10 से 15 करोड़ अतिरिक्त लोगों को भोजन मिल सकता है।
ये देखें –
पूजा राय ने बनारस हिंदू विश्वविद्यालय (BHU) से पढ़ाई की है।
Lallantop में Internship करने के बाद NewsPotli के लिए कृषि और ग्रामीण भारत से जुड़ी खबरें लिखती हैं।