सरकार ने रबी सीजन 2025-26 से अमोनियम सल्फेट को यूरिया का बेहतर विकल्प बनाकर सब्सिडी योजना (NBS) में शामिल किया है। अब किसानों को इस खाद पर ₹9,479 प्रति टन की सब्सिडी मिलेगी, जिससे इसकी कीमत घटकर लगभग ₹700 प्रति बोरा रह जाएगी।विशेषज्ञों के अनुसार, अमोनियम सल्फेट मिट्टी के लिए यूरिया से ज्यादा फायदेमंद है क्योंकि यह धीरे-धीरे नाइट्रोजन छोड़ता है और सल्फर की पूर्ति करता है।
किसानों के लिए बड़ी खबर है। सरकार ने अब “अमोनियम सल्फेट” (Ammonium Sulphate) को यूरिया का बेहतर विकल्प बनाकर बढ़ावा देने का फैसला किया है। रबी सीजन 2025-26 से इस खाद को भी फर्टिलाइज़र सब्सिडी योजना (Nutrient Based Subsidy – NBS) के दायरे में शामिल किया गया है। अब इस पर भी वही सब्सिडी मिलेगी जो यूरिया पर मिलती है। यानी प्रति किलो नाइट्रोजन (N) पर ₹43.02 और प्रति किलो सल्फर (S) पर ₹2.87।
रबी सीजन से लागू होगी नई सब्सिडी
केंद्र सरकार ने अधिसूचना जारी कर बताया कि अमोनियम सल्फेट (AS 20.5-0-0-23) की किस्म पर अब ₹9,479 प्रति टन की सब्सिडी दी जाएगी। इस खाद में 20.5% नाइट्रोजन और 23% सल्फर होता है, जबकि इसमें फॉस्फेट या पोटाश नहीं होता।50 किलो वाले एक बोरे पर करीब ₹474 की सब्सिडी मिलेगी। पहले इसका बाजार भाव ₹1,100–₹1,200 प्रति बोरा था, जो किसानों के लिए महंगा पड़ता था। अब सब्सिडी लागू होने के बाद इसकी कीमत घटकर करीब ₹700 प्रति बोरा होने की उम्मीद है।
यूरिया से बेहतर, मिट्टी के लिए फायदेमंद
कृषि वैज्ञानिकों के अनुसार, अमोनियम सल्फेट यूरिया से धीरे-धीरे नाइट्रोजन छोड़ता है, जिससे फसल को लंबे समय तक पोषण मिलता है।एक रिपोर्ट के मुताबिक आईएआरआई के वैज्ञानिक ए.के. सिंह ने बताया, “हालांकि इसमें यूरिया की तुलना में कम नाइट्रोजन (20.5% बनाम 46%) होती है, लेकिन यह मिट्टी की सेहत के लिए बेहतर है। यूरिया के अत्यधिक इस्तेमाल से मिट्टी की गुणवत्ता घट रही है, जबकि अमोनियम सल्फेट इसे सुधारता है।” उन्होंने यह भी कहा कि अगर सरकार यूरिया की खुदरा कीमत को धीरे-धीरे बढ़ाए तो किसान स्वाभाविक रूप से अमोनियम सल्फेट की ओर बढ़ेंगे।
ये भी पढ़ें – देशभर में मक्का के दाम गिरे, जानिए क्या है वजह?
बढ़े उत्पादन के बावजूद यूरिया की किल्लत
सरकार के मुताबिक, खरीफ 2025 में यूरिया की अनुमानित मांग 185.39 लाख टन थी, जबकि बिक्री 193.20 लाख टन हुई। उपलब्धता 230.53 लाख टन बताई गई है।इसके बावजूद कई राज्यों से यूरिया की कमी की शिकायतें आईं, जिसके बाद राज्य सरकारों ने केंद्र से अतिरिक्त आपूर्ति की मांग की।रिपोर्ट के मुताबिक अक्टूबर में 39.68 लाख टन यूरिया की जरूरत थी, लेकिन सिर्फ 15.37 लाख टन की बिक्री हुई। हालांकि कुछ किसानों के पास खरीफ सीजन का पुराना स्टॉक बचा हो सकता है।”
अमोनियम सल्फेट क्यों है बेहतर विकल्प?
- मिट्टी की उर्वरता को बनाए रखता है
- फसल को लंबे समय तक नाइट्रोजन देता है
- सल्फर की कमी को पूरा करता है
- पर्यावरण के लिए सुरक्षित है
सरकार का यह कदम किसानों के लिए राहत भरा हो सकता है। एक ओर जहां यूरिया पर निर्भरता घटेगी, वहीं मिट्टी की सेहत सुधरेगी और किसानों की लागत भी घटेगी। आने वाले समय में अगर इसकी आपूर्ति सुचारू रही, तो अमोनियम सल्फेट भारत में एक प्रमुख खाद बन सकता है।
ये देखें –
पूजा राय ने बनारस हिंदू विश्वविद्यालय (BHU) से पढ़ाई की है।
Lallantop में Internship करने के बाद NewsPotli के लिए कृषि और ग्रामीण भारत से जुड़ी खबरें लिखती हैं।